किफायती फ्यूल सेल के लिए वैज्ञानिकों ने खोजा नया उत्प्रेरक

By उमाशंकर मिश्र | Nov 23, 2019

नई दिल्ली। (इंडिया साइंस वायर): फ्यूल सेल में उपयोग होने वाले महंगे प्लैटिनम कैटेलिस्ट (उत्प्रेरक) के किफायती और टिकाऊ विकल्प खोजने की वैज्ञानिकों की कोशिशों को एक नई सफलता मिली है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास और ब्रिटेन तथा चीन के वैज्ञानिकों ने जिरकोनियम नाइट्राइड नैनोपार्टिकल्स विकसित किए हैं जो फ्यूल सेल में उपयोग होने वाले प्लैटिनम कैटेलिस्ट (उत्प्रेरक) का किफायती विकल्प हो सकता है।

 

फ्यूल सेल में उपयोग होने वाले प्लैटिनम उत्प्रेरक की लागत सेल के कुल मूल्य की करीब 20 प्रतिशत होती है। प्लैटिनम एक दुर्लभ धातु है जिसकी प्रति ग्राम कीमत करीब तीन हजार रुपये तक होती है। दूसरी ओर, पृथ्वी पर जिरकोनियम भरपूर मात्रा में मौजूद है और यह प्लैटिनम की तुलना में 700 गुना तक सस्ता भी है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इन नैनोपार्टिकल्स का वास्तविक रूप में उपयोग किए जाने पर निकट भविष्य में बाजार में सस्ते और बेहतर फ्यूल सेल देखने को मिल सकते हैं। 

इसे भी पढ़ें: रक्त कोशिकाओं की गणना के लिए स्मार्ट माइक्रोस्कोपी तकनीक

आईआईटी मद्रास के शोधकर्ता तीजू थॉमस के अलावा इस अध्ययन में चीन के निनग्बो इंस्टीट्यूट ऑफ मैटेरियल्स टेक्नोलॉजी ऐंड इंजीनियरिंग के याओ युआन, हैंग्जिआ सेन एवं समीरा अदीमी, शंघाई इंस्टीट्यूट ऑफ सिरेमिक्स के जियाचेंग वांग तथा रुग्आंग मा, ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के जे. पॉल एटफील्ड और चीन की यूनिवर्सिटी ऑफ चाइनीज एकेडेमी ऑफ साइंसेज के वैज्ञानिक मिन्घुई यांग शामिल थे। यह अध्ययन शोध पत्रिका नेचर मैटेरियल्स में हाल में प्रकाशित किया गया है। 

 

ऑक्सीजन रिडक्शन रिएक्शन (ओआरआर) फ्यूल सेल और मेटल-एयर बैटरियों में में होने वाली एक प्रमुख रसायनिक अभिक्रिया है जिसके उत्प्रेरक के रूप में प्लैटिनम का उपयोग होता है। प्लैटिनम आधारित सामग्री का उपयोग माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक सेंसर्स, कैंसर की दवाओं, ऑटोमोटिव कैटेलिटिक कन्वर्टर और इलेक्ट्रोकेमिकल एनर्जी कन्वर्जन उपकरणों में भी होता है। लेकिन अत्यधिक महंगा, दुर्लभ और विषाक्तता के प्रति संवेदनशील होने के कारण प्लैटिनम का बड़े पैमाने पर उपयोग एक बड़ी बाधा है। 

 

फ्यूल सेल एक ऐसा उपकरण है जो आणविक बंधों में संचित रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर सकता है। सामान्य तौर पर उपयोग होने वाले हाइड्रोजन फ्यूल सेल में हाइड्रोजन अणुओं को धनात्मक रूप से आवेशित हाइड्रोजन आयन और इलेक्ट्रॉन में विभाजित करने के लिए प्लैटिनम को उत्प्रेरक के रूप में उपयोग किया जाता है। जबकि इलेक्ट्रॉन प्रत्यक्ष विद्युत उत्पादन करने के लिए प्रवाहित होते हैं और धनात्मक हाइड्रोजन आयन ऑक्सीजन के साथ मिलकर ऊर्जा के सबसे स्वच्छ रूपों में से एक के उत्पादन का मार्ग प्रशस्त करते हैं। इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन की आपूर्ति एक अन्य इलेक्ट्रोड के माध्यम से होती है। 

इसे भी पढ़ें: अधिक कुशल और जलवायु के अनुकूल एयर कंडीशनर बनाने की नई पहल

शोधकर्ताओं का कहना है कि जिरकोनियम नाइट्राइड प्लैटिनम आधारित कार्यों को तो कुशलता से पूरा करता ही है, बल्कि कई मायनों में इसे प्लैटिनम उत्प्रेरकों के मुकाबले अधिक बेहतर पाया गया है। प्लैटिनम की तुलना में जिरकोनियम नाइट्राइड उत्प्रेरक अधिक स्थिरता रखते हैं। फ्यूल सेल में उपयोग होने वाले प्लैटिनम उत्प्रेरक एक समय के पश्चात अपघटित होने लगते हैं। जबकि जिरकोनियम नाइट्राइड उत्प्रेरक के क्षरण की अपेक्षाकृत रूप से धीमी देखी गई है। 

 

तेजी से बदलती डिजिटल दुनिया में फ्यूल सेल और मेटल-एयर बैटरियां भविष्य में ऊर्जा के क्षेत्र में नए बदलावों को जन्म दे सकती हैं। ऑटोमोटिव इंडस्ट्री और ऑफ-ग्रिड ऊर्जा उत्पादन में भी इनकी भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो सकती है। प्लैटिनम की उच्च लागत इन बैटरियों के उपयोग में अब तक सबसे बड़ी बाधा रही है। बेहतर क्षमता के किफायती और टिकाऊ उत्प्रेरक इस बाधा को दूर करने में मददगार हो सकते हैं। 

 

(इंडिया साइंस वायर)

प्रमुख खबरें

खालिस्तानियों को खत्म करने के लिए India के साथ आया न्यूजीलैंड, जाने फिर क्या हुआ अंजाम

Maharashtra Elections: शराब के शौकीनों के लिए बुरी खबर, मुंबई समेत कई शहरों में चार दिनों तक Dry Day का ऐलान

जब आधी दुनिया सो रही थी, तब भारत ने रात में दागा सबसे खतरनाक हथियार, कई देशों में भगदड़

सीएम पिनरई विजयन पर बरसी कांग्रेस और IUML, लगाया भाजपा-आरएसएस का साथ देने का आरोप