जयपुर| केंद्रीय सूचना आयुक्त एवं लेखक उदय माहूरकर ने सोमवार को कहा कि ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारक वीर सावरकर जैसे देशभक्त को बदनाम करना दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा विवाद है।’
इसके साथ ही उन्होंने सावरकर को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा व कूटनीति का पितामह’ बताया। उन्होंने कहा कि सावरकर वोटबैंक की राजनीति के खिलाफ थे और अगर लोग उनके योगदान को देखें तो ऐसा लगता है कि वह भविष्यवादी और एकता के पक्षधर थे।
माहूरकर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कई वर्षों से सावरकर को बदनाम करने की साजिश चल रही है। जब किसी देशभक्त को खलनायक बनाने करने की बात आती है, यह दुनिया में अब तक के सबसे बड़े विवादों में से एक है।’’
वह यहां सावरकर पर अपनी पुस्तक ‘द मैन हू कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टिशन पर एक सत्र में भाग लेने के लिए आए थे।उन्होंने कहा कि सावरकर ने कहा था कि अगर देश का बंटवारा हुआ तो देश और हिंदुओं की स्थिति गंभीर हो जाएगी।
सावरकर पर कांग्रेस द्वारा निशाना बनाए जाने पर एक सवाल का जवाब देते हुए, माहुरकर ने कहा, ‘‘ऐसे लोग जो वोट बैंक की राजनीति पर निर्भर हैं, उनके लिए सावरकर सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी हैं।
सावरकर वोट बैंक की राजनीति और मुस्लिम तुष्टिकरण के खिलाफ थे। वह एकता के पक्ष में थे।’’ सावरकर को भारत रत्न दिए जाने के सवाल पर माहुरकर ने कहा कि ‘मिल जाए तो अच्छा और नहीं मिले तो भी कोई बात नहीं।’
उन्होंने कहा कि सावरकर के व्यक्तित्व का विश्लेषण भारत रत्न पुरस्कार से नहीं किया जा सकता और उनका व्यक्तित्व किसी सम्मान से बंधा नहीं है। एक बयान के अनुसार कार्यक्रम में डॉ.शेषाद्री चारि ने कहा ,‘‘ वीर सावरकर का हिंदुत्व किसी और के हिंदुत्व से अलग नहीं है, हिन्दुत्व सत्य का अनवरत शोध है, एक समय ऐसा आ जायेगा जब पूरी दुनिया में हिन्दुत्व छा जायेगा, ये व्याख्या डॉ. हेडगेवार, वीर सावरकर की नहीं थी, यह मोहनदास करमचंद गांधी की व्याख्या थी, इसलिये सावरकर और गांधी का विचार हिंदुत्व के बारे में एक ही है।