लिपस्टिक की बिक्री पर मास्क लग गया है। नज़र आंखों के मेकअप पर टिक गई हैं। आंख का हल्का सा इशारा अब कत्ल हो जाने का पर्याय होगा। मास्क की बदौलत आंखें ही आंखों के आकर्षण का केंद्र होने वाली हैं। मास्क के निर्माण में आ चुकी क्रांति के कारण डिज़ाइनर्ज़ पुराने ज़माने में जा सकते हैं और ऐतिहासिक मास्क संस्कृति से प्रेरित दर्जनों तरह के मास्क बना सकते हैं। पूरे चेहरे के लिए एक सुरक्षित, कलात्मक मास्क बन सकेगा।
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मास्क के पीछे कौन है पता नहीं चलेगा अगर मन पसंद रंग, आकार और प्रवृति के अनुसार मास्क न बनाए जाएंगे। विविधता ही हमारी शक्ति रही है अब यह विविधता ही मास्क व्यवसाय में ज़बरदस्त उठान लाएगी। अलग अलग धर्म, सम्प्रदाय, जाति, उपजाति परिवार को अलग अलग रंग व आकार का मास्क मिल सकेगा। मास्क पर राष्ट्रीय पहचान क्रमांक भी दिया जा सकता है। मुंबई की डिब्बा बंद लंच प्रणाली से प्रेरणा ले सकते हैं कि सबका अपना अपना अलग मास्क हो, किसी की पहचान गलती से किसी के पास न जाए। नेताओं के लिए उभरे हुए मुहं वाले मास्क बनाए जा सकते हैं ताकि वे जितना चाहे बोल सकें, उनके सरकारी पद के अनुसार डायमंड वर्क या गोल्ड वर्क वाले मास्क बनाए जा सकते हैं।
सिलाई का पुराना दौर लौट आया है अब कढ़ाई भी आएगी। लिपस्टिक इनके नीचे छिप चुकी है इसलिए परेशान हो गई है, होंट भी बहुत दुखी हैं क्यूंकि इनकी भूमिका अब सिर्फ मास्क ओढने तक रह जाएगी। पहले इन्हीं होटों को दिलकश बनाने के लिए दुनिया भर की हसीनाएं सर्जिकल अटैक करवाती थी और हज़ारों शेड्स की लिपस्टिक उन पर सजकर, लुभाने को तैयार रहती थी। निर्माताओं को ख़ास होंटों के लिए स्वच्छ व पारदर्शी मास्क बनाने होंगे ताकि लिपस्टिक दिख सके, कई ऐसे मास्क भी बनाए जाएंगे जो पहने हुए हों लेकिन पहने हुए न लगें। एक दिन मास्क पहनना, उतारना व नष्ट करना एक कला मानी जाएगी। लिपस्टिक ने हमारी संस्कृति पर खुलेपन के पैबंद लगाने शरू कर दिए थे अब यह रुक जाएगा।
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लिपस्टिक की जगह सुबह मास्क पहनने, दिन या रात को उतारने के बाद प्रयोग की जाने वाली विशेष क्रीम, साबुन, लोअर फेसवाश या मास्च्राइज़र ज़रूर बनने लगेंगे। मास्क धोने के लिए विशेष डिटर्जेंट और मशीन भी बनाई जा सकती है, आम पानी की कमी की स्थिति में नया पानी प्रयोग होगा। क्या भविष्य में अपने प्रिय का चुंबन लेना एक प्रोजेक्ट हुआ करेगा। मास्क एक मुखौटा ही है न।
- संतोष उत्सुक