संजय राउत ने SC के फैसले तक महाराष्‍ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 17, 2022

मुंबई। शिवसेना सांसद संजय राउत ने मांग उठायी है कि पार्टी के बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने का अनुरोध करने वाली याचिका पर जब तक उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ का फैसला नहीं आ जाता तब तक महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए। राउत ने एकनाथ शिंदे की सरकार के नए मंत्रिमंडल के गठन में हो रही देरी की भी आलोचना की। उन्होंने ट्वीट किया, “बारबाडोस की जनसंख्या ढाई लाख है और वहां के मंत्रिमंडल में 27 सदस्य हैं। महाराष्ट्र की 12 करोड़ आबादी को दो लोगों का मंत्रिमंडल मनमाने ढंग से चला रहा है। संविधान का मान कहां रखा गया है?” राउत ने मांग उठायी कि शिवसेना के बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने का अनुरोध करने वाली याचिका पर जब तक उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ का फैसला नहीं आ जाता तब तक महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए। राउत ने कहा, “संविधान का अनुच्छेद 164 (1-ए) कहता है कि राज्य के मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों की संख्या 12 से कम नहीं होनी चाहिए। 

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पिछले दो सप्ताह से, केवल दो लोगों का मंत्रिमंडल ऐसे निर्णय ले रहा है जो संवैधानिक रूप से वैध नहीं हैं। माननीय राज्यपाल जी, यह क्या हो रहा है?” हालांकि, हालिया अटकलों के अनुसार, 19 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव के बाद महाराष्ट्र में नई मंत्रिपरिषद का गठन हो सकता है। भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि 20 या 21 जुलाई को मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। राउत इस समय दिल्ली में हैं। उन्होंने रविवार को कहा, “यह (मंत्रिमंडल विस्तार) इसलिए नहीं हुआ क्योंकि संवैधानिक समस्या है। शिवसेना के 40 बागी विधायकों (शिंदे गुट) को अयोग्य ठहराए जाने का डर है और यह मामला उच्चतम न्यायालय में है। अगर वे मंत्री के रूप में शपथ लेंगे तो उन्हें अयोग्य ठहरा दिया जाएगा।” उच्चतम न्यायालय ने पिछले सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष से कहा था कि शिवसेना के विधायकों को अयोग्य ठहराने पर कोई निर्णय नहीं लिया जाए। महाराष्ट्र विधानसभा सचिव राजेंद्र भागवत ने शिवसेना के 53 विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इनमें से 40 नोटिस मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को भेजे गए हैं तथा 13 अन्य नोटिस उद्धव ठाकरे के गुट को जारी किए गए हैं। दोनों गुटों ने एक दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की है।

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