By अंकित सिंह | Jan 12, 2021
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव के बयान पर बिहार वाकयुद्ध छिड़ गया है। भूपेंद्र यादव ने रविवार को कहा था कि इस सप्ताह के अंत में मकर संक्रांति त्यौहार के बाद लालू प्रसाद की पार्टी (राजद) को ‘‘बड़ी टूट’’ का सामना करना पड़ेगा और उन्होंने राजद नेतृत्व को इस संकट को टालने की चुनौती दी थी। भूपेंद्र यादव के बयान पर अब आरजेडी हमलावर हो गया है। भूपेंद्र यादव को चुनौती का जवाब देते हुए आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने इसे गीदड़ भभकी बताया। मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि हमारी चुनौती है कि भाजपा को बिहार में अगर सरकार बचाना है तो बचा ले। भाजपा ज्यादा छटपट करेगी तो खरमास से पहले ही आरजेडी खेल कर देगी और भाजपा तहस-नहस हो जाएगी। उन्होंने कहा कि यह राजद की तरफ से भाजपा को यह खुली चुनौती है।
मृत्युंजय तिवारी ने पूछा कि भूपेंद्र यादव आखिर बिहार में 19 लाख रोजगार सृजन, कानून व्यवस्था और बढ़ते अपराध के विषय पर क्यों नहीं कुछ बोलते हैं? भूपेंद्र यादव के इस बयान पर अब प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने भी पलटवार किया है। जगदानंद सिंह ने तो विवादित बयान देते हुए पूछा कि आप ही बता दो कि हर भौंकने वाले का जवाब देना जरूरी है क्या? उन्होंने कहा कि राजद पूरी तरह से मजबूती के साथ है और यह बिहार की नंबर एक पार्टी है। बिहार की जनता राजद के साथ है। भाजपा नेता की टिप्पणी पर राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि बिहार भाजपा प्रभारी ने भारी भरकम दावा किया है कि राजद में बहुत बड़ी टूट होने वाली है। अगर सचमुच उनके दावे में दम है तो हम पर कृपा क्यों, राजद को तोड़ कर दिखाएं।
शिवानंद तिवारी ने तंज सकते हुए कहा कि बेहतर होगा कि भाजपा का नेतृत्व हमारी चिंता छोड़ कर अपने गठबंधन की चिंता करे। नीतीश जी का बयान ही कह रहा है कि गठबंधन में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। उन्हीं का कहना है कि इसके पहले गठबंधन में ऐसा कभी नहीं हुआ था। मंत्रिमंडल का गठन अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। कुछ महीने पहले जदयू छोड राजद में शामिल हुए राज्य के पूर्व मंत्री श्याम रजक ने जदयू के विधायकों के भाजपा में शामिल होने को भाजपा और जदयू के बीच असहज संबंधों के प्रमाण के रूप में पेश किया था। हाल ही में गठित बिहार विधानसभा में राजद 75 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, जिसके बाद भाजपा ने सबसे अधिक 74 सीटें जीती थी। जदयू केवल 43 सीटें जीतकर इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रही थी।