By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 29, 2020
पटना। राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के हस्तक्षेप के बाद बाहुबली से राजनेता बने पूर्व सांसद रामा सिंह का राजद में शामिल होना फिलहाल रुक गया है। पार्टी सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। रामा सिंह ने रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा के टिकट पर बिहार की वैशाली लोकसभा सीट से 2014 में चुनाव लड़ा था और राजद के संस्थापकों में शामिल रहे पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह को पराजित कर सांसद बने थे। रामा सिंह के हाल में तेजस्वी प्रसाद यादव से मुलाकात करने और उनके राजद में शामिल होने की चर्चा से नाराज रघुवंश ने 23 जून को पार्टी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। रघुवंश ने जिस दिन राजद के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था उसी दिन पार्टी के पांच विधान परिषद सदस्य पाला बदलकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में शामिल हो गए थे।
राजद के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने रामा सिंह को पार्टी में शामिल किए जाने को टाले जाने से जुड़े सवाल पर कहा, “ये चुनाव का समय है और राजद के पक्ष में होना कई लोगों के लिए स्वाभाविक पसंद है।” तिवारी ने कहा कि उन्हें कब राजद में शामिल किया जाएगा यह पार्टी हाईकमान के क्षेत्राधिकार में आता है। बिहार में सत्ताधारी जदयू के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि “पांच एमएलसी के बाहर निकलने से राजद को गहरा झटका लगा है और विपक्षी पार्टी के पैरों तले जमीन खिसक गयी है। इस दल के निकट भविष्य में अपने कई फैसलों को पलटने पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि रघुवंश प्रसाद सिंह पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया जा रहा है जबकि बाहुबली से राजनेता बने जेल में बंद मोहम्मद शाहाबुद्दीन और बलात्कार के एक मामले में सजा काट रहे राज बल्लभ यादव जैसे लोगों से राजद को कोई समस्या नहीं है।
भाजपा नेता निखिल आनंद ने राजद और तेजस्वी पर कंफ्यूज्ड (भ्रमित) पार्टी और नेता होने का आरोप लगाते हुए कहा कि तेजस्वी रघुवंश को दरकिनार कर रामा सिंह को अहमियत दे रहे थे। उन्होंने दावा किया, “रघुवंश ने तेजस्वी को सुपरसीड कर सीधे लालू से बात कर ली और रामा सिंह की राजद में इंट्री पर वीटो लगा दिया। रघुवंश बाबू की बॉल पर तेजस्वी क्लीन बोल्ड हो गए।” निखिल ने आसन्न बिहार विधानसभा चुनाव में राजद के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी के बारे में कहा कि अब उनकी विश्वसनीयता और नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठ गया है।