मुंबई। दहाई अंकों की विकास दर की बहस के बीच रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने चेतावनी देते हुए कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इस तरह की तेजी हमेशा ऋण संचालित होती है और यह खतरनाक परिणामों के साथ कहीं भी भरभरा सकती है। आचार्य ने बुधवार रात एशिया सोसायटी के एक कार्यक्रम में कहा कि अब अर्थव्यवस्था को संरचनात्मक तरीके से सही दिशा में करने की जरूरत है। जैसे ही इसकी क्षमता वापस आएगी, वृद्धि की रफ्तार और शानदार होगी तथा वह अधिक टिकाऊ भी होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सोचता हूं कि नौ से 10 प्रतिशत की विकास दर कुछ श्रेणियों को भारी ऋण देने पर निर्भर करती है।’’ उन्होंने अर्थव्यवस्था की इस तरह की स्थिति पर अपनी आशंका स्पष्ट करते हुए कहा, ‘‘मैं डर जाता हूं जब कोई अर्थव्यवस्था नौ से 10 प्रतिशत की दर से वृद्धि करती है क्योंकि इस रफ्तार को टिकाऊ रख पाना आसान नहीं है। आपको इसके लिए बेहद कम समय में अपनी उत्पादकता में काफी सुधार करने पड़ते हैं तब जाकर इस तरह की वृद्धि दर हासिल होती है। लेकिन दुर्भाग्य से इस तरह की अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ने लगती है और हम यहीं ऐसा होते देख चुके हैं।’’
आचार्य ने कहा, ‘‘महंगाई नियंत्रित करने पर ध्यान देने तथा कंपनियों एवं बैंकों की बैलेंस शीट सही करने के लिए अन्य कदम उठाकर रिजर्व बैंक अगले तीन से पाचं साल के बीच अधिक टिकाऊ आर्थिक प्रगति के लिए रास्ता तैयार कर रहा है। यह बड़ी गलती होगी यदि हम अपनी बैलेंस शीट को तत्काल प्रभावी तरीके से अभी सही नहीं करते हैं।’’ दिवालिया संहिता को कर्ज में फंसी संपत्तियों की समस्या सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण कदम बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘संभव है कि अभी यह बुरा लगे क्योंकि इससे भारी नुकसान हो सकता है, पर मैं सोचता हूं कि हमें यह बर्दाश्त करना होगा क्योंकि अंसुतलन लंबे समय से शुरू हो गया था।’’ पिछले सप्ताह रिजर्व बैंक के गवर्नर ऊर्जित पटेल ने भी बैंकों खासकर सार्वजनिक बैंकों को बैलेंस शीट के चलते चेताया था।