राजा राम मंदिर ओरछा की अलग है कहानी, सूर्योदय और सूर्यास्त पर पुलिस देती है सलामी

By कमल सिंघी | Apr 02, 2020

ओरछा उत्तर भारत के टीकमगढ़ जिले का राजा राम मंदिर ओरछा दुनियाभर में अपने वैभव के लिए मशहूर है। राजा राम मंदिर की एक दिलचस्प कहानी आज भी कई लोगों की जुबां से सुनने को मिलती हैं। कहा जाता है कि भगवान राम जी एक बार महारानी की जिद के आगे झुक गए थे और भगवान राम ने एक शर्त पर जिद पूरी की थी। दरअसल शर्त पूरी होने के बाद भगवान राम ओरछा आए थे। इसके बाद से दुनियाभर के भक्त भगवान राम को ओरछा में राजा राम के रुप में भगवान राम की पूजा करते हैं। इसी कारण इस मंदिर में यहां राम की पूजा भगवान के रुप में नहीं बल्कि राजा के रुप में पूजा होती है। 

 

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महाराजा ने दी थी महारानी को चुनौती

राजा राम के ओरछा में विराजने की एक प्राचीन कथा आज भी प्रचलित है। दरअसल महाराजा मधुकरशाह ने अपनी पत्नी गणेशकुंवरी से वृंदावन साथ चलने के लिए कहा, मगर महारानी तो भगवान राम की भक्ति में लीन रहती, इसलिए उन्होंने जाने से मना कर दिया। महाराजा ने महारानी को तैश में आकर बोल दिया, इतनी रामभक्त हो तो अपने राम को ओरछा ले आओ। इसके बाद रानी अयोध्या गई और वहां सरयू तट पर साधना शुरु कर दी और वहां संत तुलसीदास से आशीर्वाद पाकर रानी की तपस्या और कठोर हो गई। कई महीनों बाद भी राम जी के दर्शन नहीं हुए तो रानी नदी में कूद गईं, नदी में रामजी के दर्शन हुए, तब रानी ने राम जी को ओरछा चलने के लिए निवेदन किया। भगवान राम ने भी एक शर्त रखी कि ओरछा तो चलेंगे लेकिन तब जब कि वहां उनकी सत्ता और राजशाही है, इसके बाद ओरछा के महाराजा मधुकरशाह ने ओरछा में रामराज की स्थापना की और वह आज भी वैसा ही है। 

 

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आज भी पुलिस देती है सलामी

एकमात्र मंदिर है जहां पुलिस सुबह और शाम सलामी देती है। यह मंदिर दुनियाभर में लोकप्रिय है। यहां भगवान राम को राजा के रुप में पूजा जाती है, दूर-दूर से राजा के रुप में भगवान राम का सम्मान देखने भक्त आते हैं। यहां मध्यप्रदेश पुलिस के जवान सूर्योदय और सूर्यास्त पर बंदूकों से सलामी देते हैं। सलामी देने का सिलसिला सालों से चला आ रहा है। जो आज भी जारी है। यहां भक्तों को पान का बना हुआ प्रसाद भी खिलाया जाता है। 

 

विदेशी पर्यटक भी आते हैं ओरछा

ओरछा में रामराजा मंदिर भगवान राम और जानकी जी की मूल प्रतिमाओं के लिए उत्तर भारत में ओरछा का विशेष स्थान है। यही वजह है कि ओरछा में प्रतिवर्ष तकरीबन 5 लाख से ज्यादा धर्म जिज्ञासु स्वदेशी पर्यटक आते हैं और लगभग बीस हजार से ज्यादा विदेशी पर्यटक ओरछा की पुरातात्विक महत्व के खूबसूरत महलों, विशाल किले, शीश महल, जहांगीर महल, रायप्रवीण महल, लक्ष्मी मंदिर, चतुर्भुज मंदिर, बेतवा नदी के तट पर छतरियां और नदी किनारे के जंगल में घूमने वाले जानवरों की अटखेलियां समेत कई प्राचीन काल की भव्य इमारतें मौजूद हैं।


- कमल सिंघी


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