By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 11, 2016
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को उत्तराखंड विधानसभा में हुए शक्ति परीक्षण पर अपनी मंजूरी की मुहर लगा दी जिसके पश्चात कांग्रेस के नेता हरीश रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से अपदस्थ किए जाने के छह सप्ताह बाद फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने अपनी व्यवस्था में कहा ‘‘रावत को शक्ति परीक्षण में 61 में से 33 वोट मिले। मतदान में कोई अनियमितता नहीं पाई गई। नौ विधायक अपनी अयोग्यता के कारण मतदान नहीं कर सके।’’ साथ ही पीठ ने राष्ट्रपति शासन को वापस लेने का आदेश दिया ताकि 68 वर्षीय रावत मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यभार संभाल सकें। देहरादून में यह खबर फैलते ही जश्न शुरू हो गया कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर मंगलवार को राज्य विधानसभा में संपन्न हुए शक्ति परीक्षण में रावत जीत गए हैं। इस घटनाक्रम को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है जिसने उत्तराखंड में विनियोग विधेयक पर मतदान के दौरान कांग्रेस के नौ विधायकों के भाजपा के पक्ष में होने के बाद कांग्रेस की सरकार को बख्रास्त कर दिया और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था। इसके बाद बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने दलबदल कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया। इस फैसले को उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा और उच्चतम न्यायालय ने इसमें हस्तक्षेप नहीं किया।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह की पीठ के आदेशानुसार, मुख्य सचिव (विधायी एवं संसदीय मामले) ने उसके समक्ष रिकॉर्ड्स पेश किए जिनका अध्ययन करने के बाद आज पीठ ने अपनी व्यवस्था दी। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि हरीश रावत ने अपना बहुमत साबित कर दिया है। उन्होंने पीठ के समक्ष कहा ‘‘यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी संख्या 1 (हरीश रावत) ने विधानसभा में अपना बहुमत साबित कर दिया है। इस मुद्दे पर मुझे केंद्र से निर्देश मिले हैं। निर्देश यह हैं कि केंद्र राष्ट्रपति शासन हटा लेगा।’’ हरीश रावत की ओर से अदालत में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा ‘‘यह एक निष्पक्ष निर्णय है।’’ पीठ ने कहा कि राष्ट्रपति शासन हटाए जाने के बाद रावत मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभालेंगे। ‘‘हम केंद्र को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की अधिसूचना वापस लेने की अनुमति देते हैं।’’ साथ ही पीठ ने केंद्र सरकार को उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने संबंधी आदेश की एक प्रति उसके समक्ष दो दिन बाद दाखिल करने को कहा। पीठ ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति शासन की अधिसूचना को जायज ठहराने संबंधी याचिका 28 मार्च को दी गई थी और उच्च न्यायालय ने इस पर फैसला दिया था। यह याचिका यथावत रहेगी क्योंकि इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है। न्यायालय ने कहा कि उसने यह भी पाया कि नौ अयोग्य विधायकों ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है और ‘‘हम इस पर कुछ नहीं कहेंगे।''
उत्तराखंड में रावत को सरकार बनाने की मंजूरी मिलने से उत्साहित कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि लोकतंत्र की जीत हुई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री इस घटनाक्रम से सबक सीखेंगे। राहुल ने कहा ‘‘उन्होंने (भाजपा ने) अपनी ओर से बहुत गलत किया। हमने अपनी ओर से बेहतरीन किया। उत्तराखंड में लोकतंत्र की जीत हुई है।’’ ट्विटर पर कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा ‘‘उम्मीद है कि प्रधानमंत्री यह सबक सीखेंगे कि भारत की जनता और हमारे संस्थापकों द्वारा स्थापित संस्थान लोकतंत्र की हत्या बर्दाश्त नहीं करेंगे।’’ पीठ ने कहा कि अगर हम नौ विधायकों की अयोग्यता को रद्द कर देते हैं तो एक और शक्ति परीक्षण होगा। अपने आदेश में पीठ ने कहा कि सदन में शक्ति परीक्षण की कार्यवाही उत्तराखंड के मुख्य सचिव (विधायी एवं संसदीय मामले) तथा सचिव (विधानसभा) के समुचित पर्यवेक्षण में हुई। पीठ ने अटॉर्नी जनरल और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता एवं मनिन्दर सिंह के बयान भी दर्ज किए कि मतदान के दौरान कोई अनियमितता नहीं हुई। व्यवस्था देते हुए पीठ ने कहा ‘‘मुख्य सचिव (विधायी एवं संसदीय मामले) जयदेव सिंह द्वारा सीलबंद लिफाफे में हमारे समक्ष पेश किए गए, मतदान के परिणाम हमने खोले और पाया कि डाले गए कुल 61 में से 33 वोट रावत के पक्ष में हैं।’’ उन्होंने कहा ‘‘हम यह भी स्पष्ट करते हैं कि विधानसभा के नौ सदस्यों ने मतदान नहीं किया क्योंकि वह इसके लिए अयोग्य थे।’’ पूर्व में, अटॉर्नी जनरल रोहतगी ने कहा ‘‘समाचारों और अन्य खबरों से यह स्पष्ट है कि आदेशानुसार मतदान हुआ और रावत ने बहुमत साबित किया। मुझे सरकार से और सर्वोच्च प्राधिकार से निर्देश मिले हैं कि हम राष्ट्रपति शासन हटा लेंगे।''
अटॉर्नी जनरल ने यह भी कहा ‘‘हम आज ही राष्ट्रपति शासन हटा लेंगे। मैंने सरकार को ऐसी सलाह भी दी है।’’ वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि निष्पक्ष रूख अपनाने के लिए हम अटॉर्नी जनरल की सराहना करते हैं। अटॉर्नी जनरल ने कहा ‘‘उनकी (रावत की) सरकार बहाल की जाएगी।’’ पीठ ने जयदेव सिंह का यह बयान भी रिकार्ड किया कि मतदान में कोई अनियमितता नहीं हुई। पीठ ने कहा ‘‘हमने इसे स्वीकार कर लिया। अटॉर्नी जनरल ने भी इसे स्वीकार कर लिया।’’ अटॉर्नी जनरल ने कहा कि राष्ट्रपति शासन संबंधी 22 अप्रैल 2016 के आदेश को बदला जाना चाहिए ताकि राष्ट्रपति शासन को हटाए जाने के लिए कदम उठाए जा सकें। पीठ ने कहा कि अटॉर्नी जनरल के अनुरोध को ध्यान में रखते हुए हम राष्ट्रपति शासन की अधिसूचना वापस लेने के लिए सरकार को छूट देते हुए आदेश बदलते हैं। पीठ ने कहा ‘‘यह कहने की जरूरत नहीं है कि राष्ट्रपति शासन हटाए जाने के बाद रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद पर बहाल हो सकते हैं।’’ साथ ही पीठ ने कहा कि नौ विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य घोषित किया और उनकी अयोग्यता को उच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा तथा विशेष अनुमति याचिका में भी यह कहा गया। ‘‘यह अदालत विशेष अनुमति याचिका पर स्थगन का अंतरिम आदेश देने से इंकार करती है और मामले को 12 जुलाई तक स्थगित किया जाता है।’’ पीठ ने कहा ‘‘अयोग्यता का प्रभाव क्या होगा, यह बहस का विषय है। हम इस पर कुछ नहीं कहते।’’ साथ ही पीठ ने मामले को शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध कर दिया। शुक्रवार को पीठ उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन की अधिसूचना रद्द करने संबंधी आदेश को देखेगी और संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत लगाए गए राष्ट्रपति शासन को रद्द करने के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ केंद्र की अपील पर सुनवाई के लिए अगली तारीख भी नियत करेगी।