By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 04, 2023
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारत युद्ध में विश्वास नहीं करता है, लेकिन किसी भी चुनौती का सामना करने एवं अपने भूभाग की रक्षा करने की हर क्षमता रखता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत ने अपने किसी पड़ोसी देश की एक इंच भूमि का भी अतिक्रमण नहीं किया है। सिंह की यह टिप्पणी चीन को परोक्ष संदेश प्रतीत हो रही है। तवांग सेक्टर में घुसपैठ की चीनी सेना की कोशिश को भारतीय सेना द्वारा नाकाम करने के तीन सप्ताह बाद सिंह ने यह टिप्पणी की।
रक्षा मंत्री सिंह ने सैन्य तैयारियों और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और जम्मू कश्मीर के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पुलों और सड़कों समेत 28 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को देश को समर्पित किया। उन्होंने इस मौके पर कहा, ‘‘भारत एक ऐसा देश है जो कभी भी युद्ध को बढ़ावा नहीं देता है और हमेशा अपने पड़ोसियों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखना चाहता है... यह हमें भगवान राम और भगवान बुद्ध की शिक्षाओं से विरासत में मिला है। हालांकि देश के पास, उकसाने पर किसी भी तरह की स्थिति का सामना करने की क्षमता है।’’
सिंह ने अरुणाचल प्रदेश में अलोंग-यिंकिओंग रोड स्थित सियोम पुल पर आयोजित एक समारोह में कहा, ‘‘भारतीय सेना में सीमा पर किसी भी चुनौती का सामना करने की क्षमता है।’’ नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में यांग्त्से में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच झड़प के बाद रक्षा मंत्री पहली बार इस राज्य के दौरे पर हैं।
सिंह ने कहा, ‘‘भारत ने किसी अन्य देश की एक इंच भूमि तक का भी अतिक्रमण नहीं किया है।’’ सिंह ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस टिप्पणी का भी जिक्र किया कि ‘‘यह युद्ध का युग नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज पूरी दुनिया में कई संघर्ष चल रहे हैं। भारत हमेशा युद्ध के विरोध में रहा है। यह हमारी नीति है। हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब इस संकल्प की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित किया था जब उन्होंने कहा था,‘‘ यह युग युद्ध का नहीं है।’’
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘हम युद्ध में यकीन नहीं रखते, लेकिन अगर यह हम पर थोपा गया तो हम लड़ेंगे। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि देश सभी खतरों से सुरक्षित रहे। हमारे सशस्त्र बल तैयार है और यह देखना सुखद है कि हमारा बीआरओ उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर चल रहा है।’’ अपने संबोधन में, सिंह ने एलएसी के साथ चीनी पीएलए के अतिक्रमण के प्रयासों का भी परोक्ष रूप से संदर्भ दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘हाल में, हमारे सैन्य बलों ने बहादुरी तथा मुस्तैदी के साथ हालात से निपटते हुए उत्तरी क्षेत्र में दुश्मन का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया। यह क्षेत्र में पर्याप्त ढांचागत विकास के कारण संभव हुआ। यह हमें दूर-दराज के क्षेत्रों की प्रगति के लिए और भी अधिक प्रेरित करता है।’’ रक्षा मंत्री ने आधारभूत ढांचे के विकास को लेकर सरकार की प्राथमिकता को भी रेखांकित किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘डेमचौक हो या डीएस-दौलत-बेग-ओल्डी सेक्टर, लद्दाख में सड़कों के निर्माण की रफ्तार अभूतपूर्व है।
पहले डेमचौक के लोगों को दर्रा पार करने के लिए घोड़ों और खच्चरों का इस्तेमाल करना पड़ता था। लेकिन आज वे किसी भी वाहन से यात्रा कर सकते हैं। अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में यांग्त्से में एलएसी पर दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच झड़प के बाद भारत और चीन के बीच तनाव और बढ़ा है। सिंह ने 13 दिसंबर को संसद को बताया कि चीनी सैनिकों ने यांग्त्से क्षेत्र में यथास्थिति को ‘‘एकतरफा’’ बदलने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना के दृढ़ और मजबूत कदम ने उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया।
रक्षा मंत्री ने बीआरओ की 27 अन्य परियोजनाओं का भी डिजिटल तरीके से उद्घाटन किया। उन्होंने परियोजनाओं को सशस्त्र बलों की अभियानगत तैयारियों को बढ़ाने और दूर-दराज के सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास की दिशा में सरकार और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के ठोस प्रयासों के रूप में वर्णित किया। रक्षा मंत्रालय के अनुसार परियोजनाओं में सियोम पुल, तीन सड़कों और तीन अन्य परियोजनाओं सहित 22 पुल शामिल हैं।
इनमें से आठ परियोजनाएं लद्दाख में, पांच अरुणाचल प्रदेश में, चार जम्मू कश्मीर में, तीन-तीन सिक्किम, पंजाब और उत्तराखंड में तथा दो राजस्थान में हैं इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि केंद्र सरकार हिमालयी क्षेत्रों के सीमावर्ती इलाकों में विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि पिछले आठ साल में, अरुणाचल प्रदेश में बुनियादी ढांचे के विकास ने राज्य की काफी मदद दी है। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि केंद्र में भाजपा नीत सरकार के सत्ता में आने के बाद 2014 से पूर्वोत्तर क्षेत्र में 10,000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हुआ है।
बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के अलावा, सिंह ने लद्दाख में दो और मिजोरम में एक ‘टेलीमेडिसिन नोड्स’ का भी उद्घाटन किया। उन्होंने जोर दिया कि सीमावर्ती क्षेत्रों को जोड़ना और यहां के निवासियों का विकास सुनिश्चित करना केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। सिंह ने कहा कि 2021 में बीआरओ ने आधारभूत ढांचे के निर्माण से जुड़ी 102 परियोजनाएं पूरी की थीं। उन्होंने कहा कि 2022 में इन 28 परियोजनाओं के साथ ही संगठन ने देश को रिकॉर्ड 103 परियोजनाएं समर्पित की हैं। उन्होंने एक प्रसिद्ध कथन ‘‘ये मंजिल नहीं ये तो शुरुआत है’’ का जिक्र करते हुए कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क के बुनियादी ढांचे का निर्माण बीआरओ के लिए एक यात्रा है और एक मजबूत तथा समृद्ध भारत इसकी मंजिल होनी चाहिए।