रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को 1947 के युद्ध नायकों की प्रशंसा की। उन्होंने, साथ ही, देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए पाकिस्तानी घुसपैठियों को बाहर निकालने में जम्मू-कश्मीर के लोगों द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान की भी सराहना की। ‘इन्फेंट्री डे’की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर श्रीनगर के पुराने हवाई क्षेत्र में आयोजित एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में, उन्होंने कहा, ‘‘बंटवारे की खूनी दास्तान 1947 में लिखी गई और उसकी स्याही सूखी भी नहीं थी कि पाकिस्तान ने विश्वासघात की एक नई पटकथा लिखनी शुरू कर दी।
बंटवारे के कुछ समय बाद ही पाकिस्तान का वो चरित्र सामने आ गया, जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।’’ सेना की पहली सिख रेजीमेंट 75 साल पहले जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तानी सेना से बचाने के लिए डकोटा विमान में श्रीनगर के ओल्ड एअरफील्ड में पहुंची थी। यह आजाद भारत का पहला सैन्य अभियान था, जिसने 1947-48 के युद्ध की तस्वीर बदल दी थी। सेना इस ऐतिहासिक घटना को ‘इंफेंट्री दिवस’ के तौर पर मनाती है। इस मौके पर सेना श्रीनगर के पुराने एअरफील्ड (बडगाम एअरफील्ड) में ‘शौर्य दिवस’ मना रही है।
रक्षा मंत्री ने कहा, कबालियों ने सैन्य वर्दी नहीं पहनी हुई थी, लेकिन उनके पास बंदूकें, मोर्टार और अन्य लड़ाकू उपकरण थे। उन्होंने कहा, डोमाल और मुजफ्फराबाद से, वे पीर पंजाल हिल्स की तरफ बढ़े। महाराजा हरि सिंह स्थिति को लेकर असमंजस में थे क्योंकि इन पाकिस्तानी घुसपैठियों ने लूटपाट की, लोगों की हत्या की और कहर बरपाया। मंत्री ने कहा, ‘‘लेकिन, ये घुसपैठिए हमारे सैनिकों की बहादुरी के सामने टिक नहीं सके।’’
सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि कई बाधाओं के बावजूद, हमारे सैनिकों के साहस और बलिदान के कारण भारत बार-बार उठ खड़ा हुआ है और आज भारत की इमारत उनके द्वारा रखी गई मजबूत नींव पर खड़ी है। उन्होंने कहा, ‘‘सबसे बड़ी महिमा, जैसा कि वे कहते हैं, कभी न गिरने में नहीं है, बल्कि हर बार गिरकर उठने में है। 1947 की घटना ऐसा ही एक उदाहरण है। सिंह ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में निर्दोष लोगों के खिलाफ अमानवीय घटनाओं के लिए पाकिस्तान पूरी तरह से जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, ‘‘हम एकता की भावना के साथ आगे बढ़ रहे हैं। हमें भविष्य में हमारे विकास के रास्ते में आने वाली विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ मिलकर लड़ने का संकल्प लेना चाहिए।