रिले टीम के चमकते सितारे Rajeev Arokia पेरिस ओलंपिक में भारत का परचम लहराने को बेताब

By Anoop Prajapati | Jun 30, 2024

भारतीय रिले टीम के चारों खिलाड़ी 26 जुलाई से 11 अगस्‍त के बीच होने वाले ओलंपिक में तिरंगा लहराने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। इस टीम के अहम सदस्‍य रहे आरोकिया राजीव अपने पिता का सपना भी पूरा करने के लिए तैयार हैं। आरोकिया के पिता वाई सौंदरराजन बस ड्राइवर थे और उनकी मां दिहाड़ी मजदूर थीं। ड्राइवर से पहले उनके पिता स्‍टेट लेवल के धावक और लंबी कूद के खिलाड़ी थे, मगर वो इससे आगे नहीं बढ़  पाए, मगर अब आरोकिया अपने पिता के सपने को पूरा कर रहे हैं। उन्होंने पुरुषों की चार गुणा 400 मीटर रिले में सिल्‍वर मेडल भी जीता। वो टोक्यो ओलिंपिक की चार गुणा 400 मीटर रिले टीम का हिस्सा थे।


लॉन्ग जम्प छोड़कर स्प्रिंट में आना राजीव के लिए फायदेमंद ही रहा है,फील्ड से ट्रैक पर आने के लिए राजीव अपने कोच को इसका श्रेय देते है, इसके लिए उन्होंने अपने कोच की सलाह का पूरे अनुशासन के साथ पालन किया। तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के एक गांव के रहने वाले अरोकिया ने एशियाई खेलों में सभी प्रकार के पदक जीते हैं - इंचियोन 2014 में 400 मीटर में कांस्य पदक, पुरुषों की 4x400 मीटर रिले में रजत और 2018 के जकार्ता में मिक्स्ड 4x400 मीटर रिले में स्वर्ण हासिल किया है। रियो 2016 खेलों में पुरुषों की 4x400 मीटर रिले में भाग लेने के बाद, अरोकिया राजीव टोक्यो में अपने दूसरे ओलंपिक में भाग लेने जा रहे है, अपने रिले साथी मोहम्मद अनस, अमोज जैकब, नोआ निर्मल टॉम और नागनाथन पांडी के साथ, राजीव अपने ओलंपिक अनुभव को बेहतर बनाना चाहेंगे। 


एक साधारण से परिवार से ताल्लुक रखनेवाले राजीव ने जब दौड़ना शुरू किया तो उस वक्त उनके पास जूते तक नहीं थे, इतना ही नहीं तमिलनाडु में राज्य स्तर पर आयोजित एक प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए राजीव को अपने एक दोस्त से स्पाइक्स जूते उधार लेने पड़े थे। लालगुडी शहर के गवर्नमेंट बॉयज़ हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाई करने के दौरान स्कूल के एथलेटिक्स कोच टी रामचंद्रन को महसूस हुआ की राजीव के दौड़ने की शैली काफी अच्छी है। तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज में, राजीव ने विश्वविद्यालय स्तर पर लंबी कूद और ट्रिपल जम्प में हिस्सा लिया और जीत हासिल की। हालांकि, उनके परिवार के पास उनके पोषण और प्रशिक्षण के लिए आवश्यक संसाधन नहीं थे। जिसके चलते ट्रक ड्राइवर के बेटे राजीव ने 2011 में भारतीय सेना की मद्रास रेजीमेंट की 8वीं बटालियन में दाखिला लिया ताकि उन्हें बेहतर सुविधाएं मिल सकें। 


2017 में, उन्होंने भुवनेश्वर में एशियाई चैंपियनशिप में पुरुषों की 4x400 मीटर रिले में स्वर्ण और 400 मीटर में रजत पदक जीता था। इस जूनियर कमीशन अधिकारी को 2017 में भारत सरकार द्वारा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जो मद्रास रेजिमेंट से इस पुरस्कार को पानेवाले दूसरे अधिकारी थे। क्वार्टर-मिलर का व्यक्तिगत बेस्ट 400 मी 45.37 सेकेंड का है, जो की तब आया जब दोहा 2019 के एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य से चूक गए थे। COVID-19 लॉकडाउन के कारण पटियाला में राष्ट्रीय खेल संस्थान भी सीमित समय तक खुलता था, अरोकिया राजीव अपनी दिनचर्या के मुताबिक छह घंटे प्रैक्टिस करते थे, जिसमें सुबह के तीन और शाम के तीन घंटे शामिल होते थे। राजीव बताते है कि परिवार से दूर किसी कमरे तक सीमित रहना मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण रहा है, क्योंकि महामारी के बाद से शायद ही किसी कार्यक्रम में भाग लिया है, इतना ही नहीं अरोकिया राजीव ने कहा कि एक समय तो ऐसा आया जब उन्होंने ट्रेनिंग प्वाइंट पर भी सवाल उठाना शुरू कर दिया था।

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