By नीरज कुमार दुबे | Jun 27, 2024
लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने के बाद राहुल गांधी देश का दिल जीतने में लग गये हैं और आम जनता के हितों को प्रभावित करने वाले हर मुद्दे को प्रखरता से उठाने की तैयारी कर रहे हैं। जनता के मुद्दों के साथ ही राहुल गांधी राजनीतिक मुद्दों पर भी काफी सजगता से काम कर रहे हैं। संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को जवाब देने के लिए कमर कस चुके राहुल गांधी ने आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की और उनके द्वारा सदन के भीतर आपातकाल का उल्लेख किए जाने को लेकर यह कहते हुए आपत्ति दर्ज कराई कि यह कदम राजनीतिक था और इससे बचा जा सकता था। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने संसद भवन में बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि यह एक शिष्टाचार मुलाकात थी, जिस दौरान राहुल गांधी ने सदन में अध्यक्ष द्वारा आपातकाल का उल्लेख किए जाने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक शिष्टाचार मुलाकात थी। लोकसभा अध्यक्ष ने राहुल गांधी को विपक्ष का नेता घोषित किया। उसके बाद राहुल गांधी गठबंधन के सहयोगी नेताओं के साथ अध्यक्ष से मिले।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या राहुल गांधी ने सदन में आपातकाल की निंदा करते हुए प्रस्ताव लाए जाने के मुद्दे पर चर्चा की, वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘हमने संसद के कामकाज के बारे में कई चीजों पर चर्चा की। निश्चित तौर पर यह मुद्दा भी उठा।’’ कांग्रेस नेता ने बताया, ‘‘राहुल जी ने विपक्ष के नेता के रूप में अध्यक्ष को इस मुद्दे के बारे में सूचित किया और कहा कि अध्यक्ष की तरफ से इसे टाला जा सकता था। यह स्पष्ट रूप से एक राजनीतिक संदर्भ था, इसे टाला जा सकता था।’’ हम आपको बता दें कि लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में कार्यभार संभालने के बाद राहुल गांधी की अध्यक्ष के साथ यह पहली बैठक थी। उनके साथ सपा के धर्मेंद्र यादव, द्रमुक की कनिमोझी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) की सुप्रिया सुले और तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी के अलावा कुछ अन्य लोग भी थे।
इस बीच, वेणुगोपाल ने भी बिरला को पत्र लिखकर पद संभालने के बाद अपने पहले कार्य के रूप में आपातकाल पर प्रस्ताव लाने को लेकर पार्टी की तरफ से विरोध जताया। उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘मैं इसे संसद की विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले एक बहुत ही गंभीर मामले के संदर्भ में लिख रहा हूं। कल, यानी 26 जून 2024 को, लोकसभा अध्यक्ष के रूप में आपके चुनाव पर बधाई देने के समय एक सामान्य सौहार्दपूर्ण माहौल था।’’ उनका कहना था कि बाद में पहले आपातकाल की घोषणा के संबंध में बिरला वक्तव्य बेहद चौंकाने वाला था तथा अध्यक्ष की ओर से इस तरह का राजनीतिक संदर्भ देना संसद के इतिहास में अभूतपूर्व है।’’ वेणुगोपाल ने अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘‘मैं, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से, संसदीय परंपराओं के इस उपहास पर अपनी गहरी चिंता और पीड़ा व्यक्त करता हूं।’’
हम आपको याद दिला दें कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के फिर से अध्यक्ष बनने के कुछ देर बाद बुधवार को सदन में उस वक्त हंगामा देखने को मिला जब बिरला ने 1975 में कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की निंदा करते हुए बुधवार को एक प्रस्ताव पढ़ा और कहा कि वह कालखंड काले अध्याय के रूप में दर्ज है ‘‘जब देश में तानाशाही थोप दी गई थी, लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया था और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंट दिया गया था।’’ इस दौरान सदन में कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने हंगामा और नारेबाजी की।