By अनुराग गुप्ता | Mar 08, 2022
नयी दिल्ली। पंजाब समेत सभी पांचों राज्यों में विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं और एग्जिट पोल भी सामने आ गए हैं। ऐसे में ग्रैंड ओल्ड पार्टी को बहुत बड़ा नुकसान होता हुआ दिखाई दे रहा है। हालांकि एग्जिट पोल अनुमान मात्र है और 10 मार्च को तय हो जाएगा कि अनुमान सही साबित होते हैं या फिर इससे उलट नतीजे आते हैं। लेकिन एक बात तो तय है कि पंजाब में अंतर्कलह से जूझ रही कांग्रेस ने हार का ठीकरा फोंडने की तैयारी शुरू कर दी है।
क्या अपनी सीट गंवा देंगे सिद्धू ?
तमाम एग्जिट पोल में पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनते हुए दिखाई दे रही है। जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस दूसरे नंबर पर सिमट गई है। इतना ही नहीं अमृतसर पूर्व से चुनावी मैदान में उतरे प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को बिक्रम सिंह मजीठिया चुनौती देते हुए नजर आ रहे हैं। टाउम्स नाऊ के सर्वे के मुताबिक, नवजोत सिंह सिद्धू इस बार बुरी तरह से चुनाव हार सकते हैं। भले ही बिक्रम सिंह मजीठिया ने नवजोत सिंह सिद्धू को चुनौती दी हो लेकिन इस सीट से दोनों को ही जीत नहीं मिल रही है बल्कि यहां से आम आदमी पार्टी उम्मीदवार जीवन जीत कौर ने बाजी मार ली है।
CM उम्मीदवार जीत रहे हैं अपनी-अपनी सीटें !
सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस के मुख्यमंत्री उम्मीदवार चरणजीत सिंह चन्नी, आम आदमी पार्टी के भगवंत मान और पंजाब लोक कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी-अपनी सीटें जीतते हुए दिखाई दे रहे हैं। हालांकि 10 मार्च को ही स्पष्ट हो पाएगा कि सर्वे में कितना दम है। पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की सरकार बनते हुए दिखाई दे रही थी लेकिन नतीजे इससे उलट रहे। 2017 के चुनावों में कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं जबकि आम आदमी पार्टी को 20 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था और पांच साल बीतते-बीतते 9 विधायकों ने भी पार्टी का साथ छोड़ दिया था।
सिद्धू पर फूटेगा हार का ठीकरा ?
माना जा रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू पर हार का ठीकरा फूट सकता है। अगर सर्वे के अनुमान नतीजों में तब्दील हुए तो प्रदेश में आम आदमी पार्टी की सरकार बनेगी। ऐसे में कांग्रेस चरणजीत सिंह चन्नी को पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकते हैं क्योंकि आगामी विधानसभा चुनाव में इससे कांग्रेस को फायदा हो सकता है लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू से पार्टी किनारा भी काट सकती है। एक तो आलाकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू पर भरोसा जताते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह को नाराज किया। इसके बाद भी नवजोत सिंह सिद्धू सामंजस्य बनाने में असफल साबित हुए। मतदात तक तो हर रोक अंतर्कलह को लेकर कोई न कोई खबर सामने आ ही जाती थी।