By अंकित सिंह | Jul 13, 2023
महाराष्ट्र की राजनीति में सियासी हलचल जारी है। जबसे अजित पवार ने महाराष्ट्र के एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस की सरकार में मंत्री पद की शपथ ली है, तब से सत्ता पक्ष और विपक्ष में दोनों ही तरफ राजनीतिक सुगबुगाहट में तेजी देखी गई है। सत्ता पक्ष में जहां एक ओर आम सहमति नहीं बना पा रहा है तभी तो मंत्रालयों के बंटवारे और कैबिनेट विस्तार का मामला अटका पड़ा है। तो दूसरी ओर शरद पवार, उद्धव ठाकरे और कांग्रेस मिलकर एकजुटता तो दिखा रहे हैं, लेकिन नेतृत्व को लेकर सभी के अपने-अपने दावे हैं। इन सबके बीच कांग्रेस की ओर से साफ तौर पर दावा कर दिया गया है कि महाराष्ट्र में विपक्ष का नेतृत्व वही करने जा रही है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण की ओर से कहा गया है।
महाराष्ट्र में शरद पवार और उद्धव ठाकरे के लिए कांग्रेस का यह बयान झटका इसलिए भी हो सकता है क्योंकि जहां महा विकास आघाडी का नेतृत्व ठाकरे ने किया था तो वहीं शरद पवार लगातार कांग्रेस से ज्यादा ताकत महाराष्ट्र में रखते रहे हैं। एनसीपी में फूट के बाद कांग्रेस की ओर से साफ तौर पर कह दिया गया था कि हमारी पार्टी में एकजुटत है और विधायकों की संख्या ज्यादा है इसलिए नेता प्रतिपक्ष हमें मिलना चाहिए। चव्हाण ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में विभाजन के बाद राज्य में पैदा हुई नई राजनीतिक परिस्थितियों का हवाला देते हुए कहा कि प्रदेश में उनका दल विपक्ष का नेतृत्व करेगा और महाविकास आघाड़ी (एमवीए) के घटक के तौर पर ही अगला लोकसभा चुनाव लड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना की तरह कांग्रेस में टूट होने की कोई गुंजाइश नहीं है।
कांग्रेस नेता ने अपने बयान में कहा कि कांग्रेस पार्टी विपक्ष का नेतृत्व करेगी और हम एक प्रभावी विपक्ष होंगे। महा विकास आघाड़ी का गठन जिस उद्देश्य से हुआ था वो आज भी कायम है। वह उद्देश्य था कि हमें भाजपा की अगुवाई वाली सांप्रदायिक ताकतों को पराजित करना है...हम लड़ाई जारी रखेंगे।’’ उनका यह भी कहना था कि सीटों को लेकर मोलभाव का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि भाजपा को हराने की संभावना के आधार पर ही उम्मीदवार तय होंगे। विपक्षी गठबंधन की कवायद पर चव्हाण ने कहा, ‘‘2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 37 प्रतिशत वोट मिले थे। अगर कल्पना करें कि आज भी भाजपा के पास 35 प्रतिशत का जनाधार है तो इसका मतलब हे कि 65 प्रतिशत मतदाता भाजपा के खिलाफ हैं। इन 65 प्रतिशत लोगों के वोट अलग अलग पार्टियों में बंट जाते हैं। वोटों के बंटवारे से मोदी जी को फायदा होता है।’’