By नीरज कुमार दुबे | Sep 06, 2024
राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार के कार्यकाल में तुष्टिकरण की राजनीति को बढ़ावा दिया जाता था इसलिए जिहादियों और आतंकवादियों के मामलों की पैरवी में संभवतः जानबूझकर कमी रखी जाती थी तभी कभी खबर आती है कि बम धमाके का दोषी बरी हो गया, कभी खबर आती है कि सामूहिक बलात्कार को जिहाद की तरह आगे बढ़ाने वाले जिहादी कड़ी सजा से बच गये। अब खबर आई है कि उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल हत्याकांड के एक आरोपी मोहम्मद जावेद को उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी। दर्जी कन्हैयालाल हत्याकांड का वीडियो पूरे देश ने देखा था। हत्यारों ने अलग से जो वीडियो बनाकर सर तन से जुदा करने की धमकी दी थी वह भी लोगों को आज भी याद है। तमाम सबूत जब सोशल मीडिया पर ही उपलब्ध हैं तो सवाल उठता है कि मुकदमे की पैरवी में ऐसी क्या कमजोरी रखी गयी कि हत्या के आरोपी को जमानत मिल गयी?
यहां एक बात और गौर करने लायक है कि जैसे ही अदालत ने जमानत दी तो पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बयान आ गया कि भाजपा ने चुनावी लाभ लेने के लिए इस घटना का राजनीतिक इस्तेमाल किया। यहां सवाल गहलोत से है कि क्या वह वीडियो देखने के बावजूद इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि कन्हैयालाल की हत्या उन्हीं हत्यारों ने की थी? हम आपको याद दिला दें कि जून 2022 में उदयपुर के व्यस्त हाथीपोल इलाके में दर्जी कन्हैयालाल की उनकी दुकान पर चाकू से हमला कर हत्या कर दी गई थी। कन्हैयालाल पर दो लोगों ने चाकू से हमला किया था। आरोपी इस बात से नाराज बताए जा रहे थे कि कन्हैयालाल ने सोशल मीडिया पर इस्लाम के खिलाफ एक पोस्ट का कथित तौर पर समर्थन किया था। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।
मामले की जांच एनआईए कर रही है। जयपुर में एनआईए अदालत में 11 आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए गए जिनमें धारा 302 (हत्या), धारा 452 (अनधिकृत प्रवेश), धारा 153-ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), धारा 295-ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, जिसका उद्देश्य किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत करना है), धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम शामिल हैं। इस जघन्य हत्याकांड में एनआईए अदालत द्वारा जमानत देने से इंकार किए जाने के बाद आरोपी ने जमानत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
आरोपी ने अपने वकील सैयद सआदत अली के जरिए दलील दी कि उसे फोन कॉल डिटेल के आधार पर गिरफ्तार किया गया था, जबकि साजिश रचने में शामिल अन्य आरोपियों के साथ उसकी लोकेशन का पता नहीं लगाया जा सका। अली ने कहा कि घटना से पहले अन्य मुख्य आरोपी एक चाय के ढाबे (टी-स्टॉल) पर एकत्र हुए थे लेकिन याचिकाकर्ता की लोकेशन वहां की नहीं थी। उससे कोई बरामदगी नहीं हुई है और मामले में उसका अपराध अभी साबित होना बाकी है। बचाव पक्ष के वकील की दलीलों पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति पंकज भंडारी की अध्यक्षता वाली पीठ ने आरोपी को जमानत दे दी, क्योंकि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी उसके और मामले के अन्य मुख्य आरोपियों के खुलासे के बयान पर आधारित थी। बहरहाल, राजस्थान सरकार ने कहा है कि वह कन्हैयालाल के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने कहा है कि सरकार इस मामले को देखेगी। वहीं दूसरी ओर कन्हैयालाल के बेटे ने आरोपी को जमानत मिलने पर दुख जताया है।