By अंकित सिंह | Feb 29, 2024
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता शेख शाहजहां को कड़ी फटकार लगाई, जिन्हें पिछले महीने उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखली में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम पर हुए हमले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। उच्च न्यायालय ने कहा कि गिरफ्तार टीएमसी नेता "किसी भी सहानुभूति के पात्र नहीं हैं"। कोर्ट ने शाहजहां शेख को 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। मिनाखान से तड़के गिरफ्तारी के बाद शेख को सुबह 10 बजकर 40 मिनट पर बशीरहाट की अदालत में पेश किया गया। राज्य पुलिस ने शेख को 14 दिन की हिरासत में भेजे जाने का अनुरोध किया था लेकिन अदालत ने 10 दिन की पुलिस हिरासत की मंजूर दी।
शेख शाहजहां की गिरफ्तारी के बाद भी भाजपा ममता सरकार पर हमलावर है। पश्चिम बंगाल के एलओपी और भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि ये गिरफ्तारी नहीं है। वह (शेख शाहजहाँ) उनके (सरकारी) संरक्षण में है। उन्हें ममता सरकार ने आश्वासन दिया है कि आपको कुछ नहीं होगा, आपको फोन का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि लोगों के लगातार दबाव, अदालत, लगातार प्रयास के कारण यह (शेख शाहजहाँ की गिरफ्तारी) हुआ है मीडिया की और बीजेपी और संदेशखाली की माताओं की लड़ाई है। ये है 'देवीशक्ति' की आवाज, दोषी को कड़ी सजा मिलनी चाहिए, फांसी की सजा होनी चाहिए।
वहीं, भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि एजेंसियों की 56 दिनों की तलाश के बाद आखिरकार शाहजहां शेख को गिरफ्तार कर लिया गया है। चिंता की बात यह है कि उनके गिरफ्तारी वारंट में महिलाओं के खिलाफ अपराध का कोई जिक्र नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि यह भी स्पष्ट है कि बंगाल सरकार के रुख का संदेशखाली की घटनाओं से कोई संबंध नहीं है। अगर उन्हें ईडी से जुड़े मामलों में गिरफ्तार किया गया है तो बंगाल सरकार उन्हें ईडी को क्यों नहीं सौंप रही है? उन्होंने कहा कि शाहजहां शेख महफूज ठिकाने पर ममता सरकार की दामन-ए-रहमत में कहीं पर महफूज था। अब उसे दोबारा हिफाजत देने के लिए ताकि उसे ED और CBI द्वारा गिरफ्तार न किया जा सके, इसलिए पश्चिम बंगाल पुलिस की मेहमान नवाजी में चला गया है।
भाजपा नेता ने बताया कि मैं मेहमान नवाजी इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि गिरफ्तारी के दौरान शाहजहां शेख की जो बॉडी लैंग्वेज थी, वह किसी गुनहगार की नहीं लग रही थी। उन्होंने कहा कि शाहजहाँ शेख की गिरफ़्तारी के समय उसकी शारीरिक भाषा का विश्लेषण करें, और ध्यान दें कि वह कितनी निडरता से चल रहा था... क्या किसी जघन्य अपराध का आरोपी इस तरह चलने की हिम्मत करेगा?ममता बनर्जी ने पहले सदन में उनका बचाव किया और अब उन्हें पुलिस सुरक्षा प्राप्त है। उन्होंने मीडिया को जो विक्ट्री साइन दिखाया, उसका मतलब क्या था?