भारत विभिन्न परंपराओं का देश है। होली का त्योहार पूरे देश में आकर्षण का बिन्दु होता है। कवियत्री ने 'आओ मिलकर खेलें होली' कविता में होली के त्योहार का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है। कवियत्री ने बताया है कि होली का त्योहार आपसी मनमुटाव मिटा कर मिलजुलकर मनाने वाला त्योहार है। कवियत्री ने बताया है कि होली को त्योहार किस तरह चारों तरफ खुशियां ही खुशियां बिखेरता है।
एकात्म भाव से समरस हों,
आओ मिलकर खेलें होली।
न कोई ऊंचा, न कोई नीच,
हम सब बन जाएं हमजोली।
विश्व बंधुत्व का भाव समाया,
यही हमारी संस्कृति है।
दुश्मन नहीं है कोई अपना,
यही हमारी बोली है।
मन में उड़ते हैं रंग सभी,
धरती पर फैली है सतरंगी।
एक दूजे को रंग लगाते,
चेहरे पर भाव हैं उमंगी।
होली का त्यौहार भाता है,
जैसे बजती हो मधुर दुदंभी।
सब मिलकर एक भाव से,
हो जाते हैं हम सब संगी।
ऐसा ही है देश हमारा,
जग को देता पावन संदेश,
भेदभाव का नहीं ठिकाना,
भारत हो या हो परदेश।
सबके मन को भाती होली,
चारो तरफ खुशियों की बहार।
प्रकृति भी फैलाती दिखती,
रंग बिरंगे फूलों की फुहार।
गली गली में बिखरे रंग,
दिखती गुलाल की बौछार।
सारे झगड़े मिटाती अपने,
होली है प्रेम का त्यौहार।
झूमें, नाचें और गाएं हम,
उच्चारित करें यह उद्गार,
समरसता का संदेश देकर
खूब मनाएं होली का त्यौहार।
डॉ. वंदना सेन
मध्यप्रदेश