SCO Summit में Xi Jinping और Shehbaz Sharif को जब PM Modi खरी खरी सुना रहे थे, तब Vladimir Putin मुस्कुरा रहे थे

By नीरज कुमार दुबे | Jul 04, 2023

एससीओ शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को वैश्विक शांति के लिए खतरा बताते हुए स्पष्ट रूप से आतंक के पोषक पाकिस्तान और उसके समर्थक चीन पर निशाना साधा है। साथ ही प्रधानमंत्री ने एससीओ की मजबूती और आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए भारत की ओर से उठाये गये कदमों की भी चर्चा की। देखा जाये तो एससीओ अध्यक्ष के रूप में भारत ने पूरे एशियाई क्षेत्र में शांति, समृद्धि और विकास के लिए प्रभावी कदम उठाये हैं। साथ ही वैश्विक परिस्थितियों के चलते इस क्षेत्र के लिए उपजी चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए भारत ने जिस तरह उनसे निबटने के उपाय भी सुझाये वह दर्शाता है कि भारत सिर्फ समस्याओं और शिकायतों का जिक्र करने वाला नहीं अपितु उनके समाधान निकालने वाला देश भी बन चुका है।


आतंक के मुद्दे पर मोदी ने धो डाला

जहां तक प्रधानमंत्री की ओर से इस वैश्विक मंच पर आतंकवाद का मुद्दा उठाये जाने की बात है तो हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद को क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा करार देते हुए कहा है कि कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के औजार के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं तथा शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) को ऐसे देशों की आलोचना करने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल माध्यम से शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शिखर बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही। बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आदि ने हिस्सा लिया। खास बात यह रही कि जब आतंकवाद के मुद्दे पर मोदी पाकिस्तान और चीन को खरी खरी सुना रहे थे तब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मुस्कुरा रहे थे। वैसे भी पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान को आतंकवाद की फैक्ट्री माना जाता है और वहां बनने वाले आतंकवादियों को संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक आतंकवादी घोषित करवाने की राह में अड़चन पैदा करने वाले चीन को आतंकवाद का संरक्षक माना जाता है। इसलिए प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में आतंकवाद के मुद्दे को प्रभावी तरीके से सामने रखा।

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एससीओ मंत्रियों की बैठक

हम आपको यह भी बता दें कि अभी मई महीने में एससीओ सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक गोवा में और उससे पहले रक्षा मंत्रियों की बैठक दिल्ली में आयोजित की गयी थी। इन दोनों बैठकों में चीनी मंत्री शामिल हुए थे। मंत्रियों की भागीदारी को देखते हुए माना जा रहा था कि एससीओ वार्षिक शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी आएंगे। भारत सरकार ने उनको न्यौता भी भेज दिया था। लेकिन चीन के साथ हालिया द्विपक्षीय बैठकों के बावजूद दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर गतिरोध बना हुआ है। इसके अलावा भारत की ओर से जी-20 बैठकों का आयोजन अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर में किये जाने पर चीन और पाकिस्तान की ओर से जतायी गयी आपत्तियों को जिस तरह भारत ने खारिज करते हुए कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी उससे भी संबंधों में तनाव बढ़ा है। इसलिए भारत ने डिजिटल तरीके से शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी का फैसला लिया था।


एससीओ की पिछली बैठक

हम आपको यह भी याद दिला दें कि एससीओ शिखर सम्मेलन का आयोजन पिछले साल उज्बेक शहर समरकंद में किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन सहित संगठन के सभी शीर्ष नेताओं ने हिस्सा लिया था। उस दौरान भी मोदी और शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय मुलाकात नहीं हुई थी और भारत-चीन संबंधों में जारी गतिरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग आज जब एक बार फिर आमने सामने थे तब भी यह मुलाकात द्विपक्षीय नहीं बल्कि बहुपक्षीय थी। जहां तक भारत-चीन संबंधों की बात है तो दोनों सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में गतिरोध बना हुआ है। हालांकि, दोनों पक्षों ने व्यापक कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के बाद, टकराव वाले कई स्थानों से अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाया है।


एससीओ का इतिहास

हम आपको यह भी बता दें कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भारत, रूस, चीन, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिजिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में एक शिखर सम्मेलन में की गयी थी। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने थे। इसे एक महत्वपूर्ण आर्थिक एवं सुरक्षा समूह माना जाता है। भारत ने एससीओ की अध्यक्षता पिछले वर्ष 16 सितंबर को समरकंद शिखर सम्मेलन के दौरान संभाली थी। इस समूह के दो निकाय- सचिवालय और एससीओ क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी ढांचे (एससीओ रैट्स) के प्रमुखों ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया। इस शिखर बैठक का मुख्य विषय ‘सुरक्षित एससीओ की ओर’ (टूवर्ड सिक्योर एससीओ) है।

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