By नीरज कुमार दुबे | Sep 07, 2024
जम्मू-कश्मीर विधानसभा का चुनाव इस मायने में खास है कि इस बार कोई बहिष्कार का आह्वान नहीं कर रहा है और नेता से लेकर मतदाता तक, सभी बढ़-चढ़कर लोकतंत्र के इस महापर्व में हिस्सा ले रहे हैं। खास बात यह है कि अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी भी इस बार चुनाव मैदान में है। हम आपको बता दें कि केंद्र ने आतंकवाद-रोधी कानूनों के तहत फरवरी 2019 में जमात-ए-इस्लामी पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया था। इस वर्ष की शुरुआत में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंध को पांच वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया था, जिसमें केंद्र ने संगठन की भारत विरोधी गतिविधियों को जारी रखने का हवाला दिया है। इसलिए जमात के लोग अपने संगठन के नाम से नहीं निर्दलीय के तौर पर चुनाव मैदान में हैं। जमात ने पीडीपी से भी गठबंधन करना चाहा था लेकिन यह संभव नहीं हो सका। हालांकि महबूबा मुफ्ती ने सरकार से जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया था ताकि वह चुनाव लड़ सके।
हम आपको बता दें कि जमात-ए-इस्लामी कश्मीर को जेआईजेके नाम से भी जाना जाता है। 1953 में मौलाना अहरार और गुलाम रसूल अब्दुल्ला की ओर से स्थापित किया गया यह संगठन शुरुआत से ही कश्मीर को अलग देश बनाने की मांग करता रहा है। 1990 के दशक में इस संगठन पर कश्मीरी पंडितों को लेकर कट्टर रुख अपनाने का आरोप भी लगा था। मोदी सरकार ने इसे प्रतिबंधित संगठनों की सूची में डाला तो इसने नई रणनीति बनाते हुए निर्दलीय के तौर पर अपने उम्मीदवार उतार दिये। गुलाम अहमद वानी के नेतृत्व में जमात-ए-इस्लामी के लोग इस समय प्रचार में जुटे हुए हैं।
हम आपको यह भी बता दें कि कश्मीर में राष्ट्रीय या स्थानीय क्षेत्रीय दल ही नहीं बल्कि विभिन्न राज्यों के दल भी चुनाव लड़ रहे हैं। इसी कड़ी में शिवसेना यूबीटी के उम्मीदवार ने कश्मीर घाटी की सांस्कृतिक पहचान की रक्षा और सरकारी नौकरियों पर धरती पुत्रों का पहला अधिकार, मुफ्त बिजली-पानी और बेरोजगारी भत्ता आदि का संकल्प जाहिर करते हुए विधानसभा चुनावों के लिए अपना पर्चा दाखिल कर दिया है। शिवसेना यूबीटी के प्रदेश अध्यक्ष मनीष साहनी की मौजूदगी में पार्टी उम्मीदवार मोहम्मद रमजान डार ने अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं के साथ कश्मीर की हजरतबल विधानसभा सीट से अपना नामांकन दाखिल किया। प्रभासाक्षी से बात करते हुए, पार्टी के राज्य प्रमुख मनीष साहनी ने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) का प्रत्येक उम्मीदवार जम्मू-कश्मीर के विशेष विशेषाधिकार, स्थानीय लोगों के अधिकारों की बहाली, मुफ्त बिजली और पानी आदि के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगा।