By नीरज कुमार दुबे | Dec 02, 2023
महाराष्ट्र में शरद पवार के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने और इस्तीफा वापस लेने का घटनाक्रम पूरी तरह नाटकीय था। पहले भी माना जा रहा था कि शरद पवार ने पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए यह खेल खेला है लेकिन अब इस खेल का खुलासा उनके भतीजे अजित पवार ने भी कर दिया है। राजनीतिक गुगली फेंकने में माहिर शरद पवार की राजनीतिक चालबाजियों का जिस तरह अजित पवार एक-एक कर खुलासा कर रहे हैं उससे चाचा-भतीजे की जोड़ी के फिर से एक होने की संभावनाएं भी खत्म होती दिख रही हैं। दोनों नेता जिस तरह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर अपने दावे के समर्थन में चुनाव आयोग के समक्ष दलीलें पेश कर रहे हैं उससे आसार तो यही लग रहे हैं कि चाचा के हाथ से निकल कर पार्टी भतीजे के हाथ में जा सकती है क्योंकि अधिकांश चुने हुए प्रतिनिधि और पार्टी नेता अजित पवार के साथ हैं।
जहां तक शरद पवार के इस्तीफा प्रकरण के दौरान हुई नौटंकी की बात है तो आपको बता दें कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अजित पवार ने कहा है कि जब शरद पवार ने मई में पार्टी अध्यक्ष के रूप में अपने इस्तीफे की घोषणा की थी, तो कुछ नेताओं को उनसे (शरद से) अपना फैसला वापस लेने की मांग करते हुए प्रदर्शन करने को कहा गया था। रायगढ़ जिले के कर्जत में पार्टी की विचार मंथन बैठक को संबोधित करते हुए अजित पवार ने इस इस्तीफा प्रकरण को ‘नौटंकी’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘जितेंद्र आव्हाड और आनंद परांजपे (राकांपा नेताओं) को (शरद पवार द्वारा) बुलाया गया और उनका (शरद का) इस्तीफा वापस लेने की मांग करते हुए प्रदर्शन आयोजित करने को कहा गया था। अजित पवार ने कहा, ‘‘परांजपे बाद में मेरे पास आए और मैंने उनसे पूछा कि आप यह नौटंकी क्यों कर रहे हैं। मेरा यह विचार था कि इसकी जरूरत नहीं थी। मैंने उनका (शरद पवार का) इस्तीफा नहीं मांगा था।’’
हम आपको याद दिला दें कि मुंबई में दो मई को एक कार्यक्रम में राकांपा प्रमुख के रूप में इस्तीफा देने की घोषणा करने के कुछ ही दिनों बाद, शरद पवार ने कहा था कि वह देश भर में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए अपना फैसला वापस ले रहे हैं। देखा जाये तो उस समय पार्टी के कार्यकर्ता और नेता भावुक हो गये थे और आम लोग भी टीवी समाचार चैनलों पर दिखाये जा रहे घटनाक्रम को टकटकी लगाये देख रहे थे लेकिन किसी को क्या पता था कि वह सब मात्र नौटंकी था।
हम आपको यह भी याद दिला दें कि अजित पवार दो जुलाई को महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि शरद पवार के नेतृत्व वाला गुट समझौते के लिए संपर्क कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह की एक बैठक कारोबारी अतुल चोरडिया के पुणे स्थित आवास पर 12 अगस्त को हुई थी। अजित ने कहा, ‘‘यदि आप हमारे फैसले (शिंदे नीत सरकार में शामिल होने) को पसंद नहीं करते हैं, तो आपने हमें बैठक के लिए क्यों बुलाया था।’’
उन्होंने यह भी कहा कि उनका गुट बारामती लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ेगा। हम आपको बता दें कि शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले अभी इस सीट का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर रही हैं। उधर, सुप्रिया सुले ने अपने चचेरे भाई के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘मेरी हमेशा से यह राय रही है कि किसी को मेरे खिलाफ चुनाव लड़ना चाहिए।’’
अजित पवार ने यह भी कहा कि समान नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण पर विस्तृत चर्चा करने के लिए यह उपयुक्त समय है। उन्होंने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाया जाए, एक दंपति को केवल दो बच्चे पैदा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। यदि हम अभी ऐसा नहीं करते हैं, तो हमारे प्राकृतिक संसाधन हमारे लिए कम पड़ जाएंगे। अगर नरेन्द्र मोदी जी कोई कानून लाना चाहते हैं, तो उन्हें लाना चाहिए।''
जहां तक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मालिकाना हक की बात है तो हम आपको बता दें कि पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न की लड़ाई में शरद पवार गुट सोमवार को निर्वाचन आयोग के समक्ष अपनी दलीलें पूरी कर सकता है। इसके बाद अजित पवार के नेतृत्व वाला समूह आयोग के सामने अपना पक्ष रखेगा। शरद पवार खेमे ने इस सप्ताह बुधवार की सुनवाई के दौरान और इससे पहले भी निर्वाचन आयोग के समक्ष राकांपा में विवाद के आधार पर ही सवाल उठाया था। शरद पवार गुट ने दलीलों के दौरान कहा कि जो लोग 2018 में पार्टी में संगठनात्मक चुनाव कराने का हिस्सा थे, वे 2023 में यह दावा नहीं कर सकते कि वे चुनाव त्रुटिपूर्ण थे। शरद पवार गुट द्वारा सोमवार को निर्वाचन आयोग के समक्ष अपनी दलीलें पूरी करने की संभावना है। इसके बाद फिर, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार का खेमा आयोग के समक्ष अपना प्रत्युत्तर (शरद पवार खेमे की दलीलों का जवाब) पेश करेगा।
हम आपको याद दिला दें कि अजित पवार ने जुलाई की शुरुआत में महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के लिए अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत करने से दो दिन पहले 30 जून को पार्टी के नाम के साथ-साथ चुनाव चिह्न पर दावा करते हुए निर्वाचन आयोग से संपर्क किया था और बाद में 40 विधायकों के समर्थन से खुद को पार्टी अध्यक्ष घोषित कर दिया था। बहरहाल, ऐसे मामलों में, निर्वाचन आयोग एक अर्ध-न्यायिक निकाय के रूप में काम करता है और मामले की सुनवाई मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों द्वारा की जाती है।