माता-पिता ने मजदूरी करके सिखाई हॉकी, बेटा Amit Rohidas बना भारतीय टीम का पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ

By Anoop Prajapati | Jul 07, 2024

भारतीय हॉकी टीम के डिफेंस की दीवार और पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ अमित रोहिदास पेरिस ओलंपिक के चुनी गई टीम की सबसे मजबूत कड़ियों में एक हैं। अमित रोहिदास को भारतीय हॉकी टीम के सर्वश्रेष्ठ फर्स्ट रशर्स में से एक माना जाता है। उन्होंने भारत के लिए 160 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैचों में हिस्सा लिया है। हॉकी टीम में अस्थायी खिलाड़ी से लेकर टीम का उप-कप्तान बनने तक अमित रोहिदास ने एक लंबा सफ़र तय किया है। उन्होंने हाल के वर्षों के अपने शानदार प्रदर्शनों की बदौलत बेहद शांत तरीक़े से अपनी रैंकिंग में भी काफ़ी सुधार किया है। साल 2013 में अमित रोहिदास भारत की सीनियर टीम में अपना पदार्पण किया था और बेहद कम समय में ही वे भारतीय डिफ़ेंस के रीढ़ की हड्डी बन गए।


अमित रोहिदास का जन्म 10 मई 1993 को ओडिशा के सुंदरगढ़ ज़िले के सौनामारा गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। हालांकि, सुंदरगढ़ ज़िले को भारत में हॉकी के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का गढ़ माना जाता है। दिलीप टर्की जैसे कई दिग्गजों ने इसी ज़िले में जन्म लिया और वे आज भारत की अहम सफलताओं में अपने योगदानों के लिए याद किए जाते हैं। लेकिन, अमित रोहिदास का परिवार इस खेल से ताल्लुख़ नहीं रखता था और हॉकी खेलने में दिलचस्पी दिखाने वाले वे अपने परिवार के पहले सदस्य हैं। हॉकी में अमित रोहिदास की दिलचस्पी उस वक़्त जगी जब उन्होंने दिलीप टर्की को सुंदरगढ़ में खेलते हुए देखा। 


साल 2004 में, रोहिदास को पनपोश स्पोर्ट्स हॉस्टल में प्रवेश मिला और 11 साल की उम्र में उन्होंने अपने हॉकी खेलने की प्रतिभा को निखारना शुरू किया। अमित रोहिदास ने अपने करियर की शुरुआत गोलकीपर के रूप में की थी। इसके बाद उन्होंने अपनी क़िस्मत एक पूर्णकालिक फ़ॉरवर्ड के रूप में आज़माई। लेकिन, अंततः अपने कोच बिजय लाकड़ा की सलाह पर उन्होंने डिफ़ेंडर बनने का फ़ैसला किया। रोहिदास का ये फ़ैसला उनके लिए रंग लाया। मैदान पर उनके निडर रवैये ने उन्हें ओडिशा की राज्य हॉकी टीम में नियमित स्टार्टर बना दिया। ओडिशा के लिए लगातार शानदार प्रदर्शन की बदौलत रोहिदास को साल 2009 में राष्ट्रीय स्तर पर पहली बड़ी सफलता मिली। 


उन्हें म्यांमार में आयोजित साल 2009 के जूनियर एशिया कप के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया, जहां रोहिदास को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट के ख़िताब से नवाज़ा गया। चार साल बाद, अमित रोहिदास को भारतीय अंडर -21 टीम का उप-कप्तान बनाया गया और मलेशिया में हुए सुल्तान अज़लान शाह कप के माध्यम से उन्होंने भारत के लिए सीनियर स्तर पर अपने करियर की शुरुआत की। अमित रोहिदास ने भारत की सीनियर टीम के लिए साल 2013 में डेब्यू किया और वे एशिया कप में रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे। घरेलू स्तर पर, अमित रोहिदास रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड (RSPB) के लिए खेले। उन्होंने आरएसपीबी के मुख्य कोच सुनील कुमार सिंह के साथ मिलकर अपनी प्रतिभा को और भी धारदार बनाया जिसका परिणाम उन्हें जल्द ही मिला। 


साल 2014 और 2017 के बीच टीम से बाहर रहने के बाद, अमित रोहिदास ने अगस्त 2017 में भारतीय टीम के यूरोप दौरे पर अपने प्रदर्शन से राष्ट्रीय चयनकर्ताओं को प्रभावित किया, जहां भारत ने नीदरलैंड को दो बार हराया। सितंबर में, रोहिदास को इंडिया ए टीम का उप-कप्तान बनाया गया, जो ऑस्ट्रेलियाई हॉकी लीग में चौथे स्थान पर रही। ढाका में आयोजित 2017 एशिया कप विजेता भारतीय टीम में भी रोहिदास शामिल थे। रोहिदास ने टोक्यो 2020 ओलंपिक के लिए भारत के क्वालीफ़ाइंग अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टोक्यो 2020 में भारत के ऐतिहासिक अभियान में कई शानदार खिलाड़ी थे, लेकिन अमित रोहिदास की पेनल्टी-कॉर्नर विशेषज्ञों को नाकाम करने की क्षमता ने उन्हें बाक़ी खिलाड़ियों से अलग किया और उन्होंने ख़ूब सुर्ख़ियां बटोरीं। 


अमित रोहिदास को टोक्यो 2020 ओलंपिक में उनके उत्कृष्ट प्रयासों के लिए साल 2021 में अर्जुन पुरस्कार से नवाज़ा गया। उन्हें एफआईएच हॉकी विश्व कप 2023 में भारतीय टीम के उप-कप्तान थे। उन्होंने स्पेन के खिलाफ शुरुआती मैच में प्रतियोगिता में भारत का पहला गोल किया और मेजबान टीम को 2-0 से जीत दर्ज करने में मदद की। भारतीय हॉकी टीम ग्रुप चरण में अजेय रही लेकिन इंग्लैंड की तुलना में कम गोल अंतर के कारण अंक तालिका में दूसरे स्थान पर रही। अमित रोहिदास ने एशियन गेम्स में भारत के लिए छह गोल किए, जिसमें रिपब्लिक ऑफ कोरिया के खिलाफ सेमीफाइनल में महत्वपूर्ण गोल भी शामिल था, जिससे भारत को 5-3 से जीत मिली।

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