भारत की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए छोटे उद्योगों को वित्तीय टॉनिक

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 14, 2020

नयी दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था को कोरोना वायरस की मार से उबारनेके लिये विशाल पैकज की प्रधानमंत्री की घाषणा पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को पहले चरण में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को मजबूती देने के लिये करीब छह लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की। वित्त मंत्री ने एमएसएमई की परिमें बदलाव,ढ़ांचा गत और आवास क्षेत्र की परियोजनाओं को पुरा करने लिए ठेकेदारों और डेवलपर को बिना हर्जाने के छह माह का अतिरिक्त समय देने, टीडीएस और टीसीएस कटौती की दर में चौथाई कमी करने, आयकर रिटर्न जमा करने का समय नवंबर तक बढ़ाने , ईपीएफओ अंशदान में सहूलियत की भी घोषणा की। इन उपायों से नकदी का प्रवाह बढ़ने और कारोबार में आसानी की उम्मीद है। पहले चरण का पैकेज मुख्यत: छोटी मझोली इकाइयों पर केंद्रित है। इसमें एमएसएमई क्षेत्र के लिए बिना गारंटी के तीन लाख करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराने और गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को और अधिक नकदी उपलब्ध कराने के उपाय जैसी कई घोषणायें शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा था कि अर्थव्यवस्था को उबारने के लिये 20 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज लाएगी।

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वित्त मंत्री सीतारमण ने इस घोषणा में उन्होंने औद्योगिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले कुटीर और लघु उद्योगों को ध्यान में रखते हुये कधई घोषणायें की। जहां 100 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले छोटे एवं मध्यम उद्योगों को कुल मिलाकर तीन लाख करोड़ रुपये तक का गारंटी मुक्त, सस्ती ब्याज दरों वाला सावधिक रिण उपलब्ध कराने की घोषणा की वहीं फंसे कर्ज और दबाव झेल रहे दो लाख के करीब एमएसएमई के लिये 20 हजार करोड़ रुपये के नये गौण कर्ज दिलाने का प्रावधान किया। वित्त मंत्री ने एमएसएमई को इक्विटी समर्थन उपलब्ध कराने के लिये 10,000 करोड़ रुपये का फंड्स आफ फंड्स बनाने की घोषणा की जो कि विभिन्न छोटे फंड को जरिये 50,000 करोड़ रुपेय तक की शेयरपूंजी डालने मेंसक्षम होगा। छोटे उद्योगों की हमेशा से शिकायत रही है कि उन्हें बैंकों से जरूरत के समय कर्ज नहीं मिलता है और बैंक बिना गारंटी के बैंक कर्ज नहीं देते हैं। सरकार ने इस पैकेज में तीन लाख करोड़ रुपये के कर्ज की व्यवसथा करते हुये उस अपने स्तर से शत प्रतिशत गारंटी देने का वादा किया है।करीब 45 लाख छोटे उद्योगों को इस सुविधा से फायदा होगा। देश के एमएसएमई क्षेत्र में करीब 11 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है और देश के कुल विनिर्माण क्षेत्र में इनका 45 प्रतिशत योगदान है।

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निर्यात में 40 प्रतिशत भागीदारी के साथ ही देश की सकल घरेलू उत्पाद में करीब 30 प्रतिशत इन्हीं छोटे उद्योगों का योगदान है। कोरोना वायरस के कारण लगाये गये लॉकडाउन से इन उद्योगों और इनमें काम करने वाले कर्मचारियों पर सबसे जयादा असर हुआ। उनके समक्ष रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया। यही वजह है कि केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने एमएसएमई उद्योग को तुरंत पैकेज दिये जाने की मांग उठाई। उन्होंने केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों और केन्द्र सरकार पर एमएसएमई उद्योग के बकाये का भुगतान भी जल्द करने को कहा। उनकी इस मांग को स्वीकार करते हुये इस पैकेज में सरकारी विभागों और केन्द्रीय उपक्रमों में एमएसएमई के बकाये भुगतान को 45 दिन के भीतर जारी करने की घोषणा की गई है। वित्त मंत्री के आज के पैकेज में वेतन को छोड़ अन्य सभी तरह के भुगतानों पर टीडीएस, टीसीएस की दर में 25 प्रतिशत की कटौती,कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के दायरे में आने वाले सभी प्रतिष्ठानों में भविष्य निधि के सांविधिक योगदान को वेतन के 12 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने, नकदी संकट से जूझ रही बिजली वितरण कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपये की मदद तथा निर्माण ठेके लेने वाली कंपनियों को सरकारी परियोजनाएं पूरी करने के लिये अतिरिक्त छह महीने का समय भी दिया गया है।

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प्रधानमंत्री द्वारा घोषित कुल 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में पूर्व में घोषित 1.70 लाख करोड़ रुपये का पैकेज तथा आरबीआई द्वारा घोषित उपाय भी शामिल हैं। इस बड़े पैकेज के जरिये सरकार का लक्ष्य दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को कोरोना संकट के प्रभाव से उबारते हुए पटरी पर लाना और आत्मनिर्भर बनाना है। छोटे उद्योगों को आगे बढ़ने का अवसर उपलब्ध कराने के वास्ते एमएसएमई की परिमें भी बदलाव किया गया है।वित्त मंत्री ने कहा कि अब तक ये उद्योग इस चिंता में रहते थे कि उनका कारोबार बढ़ा तो छोटे उद्योग के तौर पर उन्हें जो सुविधायें मिल रही हैं कहीं उनसे हाथ नहीं धोना पड़ जोये इसलिये इनकी परिको व्यापक बनाया गया है। नयी परिके तहत अब एक करोड़ रुपये तक के निवेश वाली इकाइयां सूक्ष्म इकाई, 10 करोड़ रुपये के निवेश वाली लघु तथा 20 करोड़ रुपये के निवेश वाले मझोले उद्यम की श्रेणी में आयेंगे। यह परिविनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों में काम करने वाली इकाईयों के लिये होगी। अब तक यह सीमा क्रमश: 25 लाख रुपये, 5 करोड़ रुपये और 10 करोड़ रुपये थी। इसके साथ ही एमएसएमई की परिमें सालाना कारोबार आधारित मानदंड भी जोड़ा गया है। इसके तहत 5 करोड़ रुपये तक के सालाना कारोबार वाली इकाइयां सूक्ष्म इकाइयां, 50 करोड़ रुपये के कारोबार वाली लघु तथा 100 करोड़ रुपये के कारोबार वाली मझोली इकाइयां कहलाएंगी।

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ठेकेदारों को राहत देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि रेलवे, सड़क परिवहन मंत्रालय और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग समेत सभी सरकारी एजेंसियां सभी ठेकेदारों को निर्माण और वस्तु एवं सेवा अनुबंधों को पूरा करने के लिये छह महीने की समयसीमा देंगी। बिजली क्षेत्र के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) और आरईसी वितरण कंपनियों को उनकी लेनदारी के एवज में 90,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध कराएंगी। यह नकदी डिजिटल भुगतान समेत अन्य सुधारों पर निर्भर करेगा। कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये सरकार ने 25 मार्च से 21 दिन के देशव्यापी बंद की घोषणा की थी। उससे आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह थम गयी। बाद में कुछ छूट के साथ बंद की अवधि 17 मई तक के लिये बढ़ायी गयी। एक अनुमान के अनुसार बंद के कारण देश में अप्रैल महीने में 12.2 करोड़ लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा। उपभोक्ता मांग लगभग समाप्त हो गयी। वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिये सभी आयकर रिटर्न भरने की समयसीमा 31 जुलाई 2020 और 31 अक्टूबर 2020 से बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दी गयी है। इसके अलावा नियोक्ता और कर्मचारी दोनों का कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) केदायरे में आने वाले भविष्य निधि में 12 प्रतिशत के सांविधिक योगदान को कम कर 10 प्रतिशत कर दिया गया। यह व्यवस्था तीन महीने के लिये है। सीतारमण ने कहा, ‘‘इससे 6.5 करोड़ प्रतिष्ठानों को लाभ होगा और नियोक्ता तथा कर्मचचारी दोनों को तीन महीने के लिये 6,750 करोड़ रुपये की नकदी मिलेगी। हालांकि उन्होंने कहा कि केंद्रीय लोक उपक्रम नियोक्ता योगदानके रूप में 12 प्रतिशत का योगदान करते रहेंगे।

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