By अजय कुमार | Sep 02, 2021
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे ही सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसी क्रम में एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी एक बार फिर उत्तर प्रदेश के दौरे पर आ रहे हैं। वे भी अपने तीन दिवसीय दौरे की शुरुआत अयोध्या दौरे से ही करेंगे।
वहीं सत्तारूढ़ भाजपा के साथ-साथ प्रमुख विपक्षी दलों ने अलग-अलग यात्राओं व सम्मेलनों के जरिए चुनावी बिगुल भी फूंक दिया है। अन्य दलों की तरह विधानसभा चुनावों से पहले ओवैसी उत्तर प्रदेश में सियासी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। इस बार असदुद्दीन ओवैसी यूपी के तीन दिवसीय दौरे पर रहेंगे, जिसमें वो तमाम कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। असदुद्दीन ओवैसी के इस दौरे की शुरुआत 7 सितंबर से होगी। 7 सितंबर को वह अयोध्या के रुदौली कस्बे में जाएंगे, जहां वंचित-शोषित सम्मेलन को संबोधित करेंगे। इसके बाद 8 सितंबर को ओवैसी सुल्तानपुर के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। अपने दौरे के आखिरी दन यानी 9 नवंबर को ओवैसी बाराबंकी जाएंगे।
दरअसल, उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में अब बहुत ज्यादा वक्त नहीं बचा है। ऐसे में ओवैसी उत्तर प्रदेश के सियासी समर में कोई भी मौका छोडऩा नहीं चाहते। असदुद्दीन ओवैसी उत्तर प्रदेश में संकल्प भागीदारी मोर्चा के तहत चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। उनके साथ ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा चुनाव लड़ रही है। हालांकि अब तक कई बिंदुओं पर दोनों ही पार्टी के बड़े नेताओं में कई विरोधाभास भी सामने आए हैं। कभी ओपी राजभर जाकर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से मुलाकात कर लेते हैं और यह बात कह देते हैं कि राजनीति में कुछ भी सम्भव है। इसके बाद ओवैसी की पार्टी को सफाई देनी पड़ती है। कभी ओवैसी की पार्टी की तरफ से इस बात का ऐलान कर दिया जाता है कि वह यूपी की 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। तो ऐसे में सुभासपा भी यह कहती है कि अभी सीटों पर कोई भी फाइनल मोहर नहीं लगी है। हालांकि ओवैसी और ओमप्रकाश राजभर इस बात को बार-बार कहते रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर किसी भी पार्टी के साथ वह जाने को तैयार हैं ।
बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव में इस बात का भी एहसास साफ हो जाएगा कि मुस्लिम छवि की एआईएमआईएम पार्टी को यूपी के मुसलमान कितना पसंद या नापसंद करते हैं। हाल के पश्चिम बंगाल के हुए विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी को कुछ ज्यादा हाथ नहीं लगा था। तो क्या ओवैसी उत्तर प्रदेश में अपनी जड़ें जमाने में कामयाब हो पाएंगे, क्योंकि इससे पहले ओवैसी बहराइच और पूर्वांचल के कई जिलों के दौरे पर रह चुके हैं।