उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, सज्जाद लोन, नाम कई अंजाम वही, लोकसभा चुनाव में गुपकार गैंग को लोगों ने नकारा

By अभिनय आकाश | Jun 04, 2024

जम्मू कश्मीर के इतिहास में एक बड़े चुनावी उलटफेरके तहत पूर्व विधायक शेख अब्दुल राशिद उर्फ इंजीनियर राशिद ने बारामूला लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से बहुत बड़ी बढ़त बना ली है। इसी तरह, पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती अनंतनाग-राजौरी संसदीय क्षेत्र में मतगणना में काफी पीछे हैं तथा नेशनल कांग्रेस के प्रत्याशी ने निर्णायक बढ़त बना ली है। अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज एक मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद राशिद ने इस केंद्रशासित प्रदेश में लोकसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वियों को धूल चटा दी है। उनके प्रतिद्वंद्वियों में पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सजाद गनी लोन शामिल भी हैं जो अब्दुल्ला के बाद तीसरे नंबर पर हैं। 

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पूर्व विधायक राशिद (52) को 2019 में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) कुपवाड़ा से गिरफ्तार किया गया और उन्हें यूएपीए के तहत आरोपित किया गया था। वह इस आतंकवाद विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार किये जाने वाले मुख्यधारा की राजनीति के पहले नेता हैं। वह पहली बार 2008 में लांगेट निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा के लिए चुने गये थे और 2014 में फिर निर्वाचित हुए थे। निर्वाचन आयोग के बारामूला लोकसभा सीट संबंधी आंकड़े के अनुसार अब केवल डेढ़ लाख मतों की गिनती बाकी रह गयी है। निर्दलीय प्रत्याशी राशिद 1.84 लाख से अधिक मतों के अंतर से अब्दुल्ला से बढ़त बना ली है। 

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पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती ने भी अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट पर अपनी हार मान ली। मुफ्ती ने एक बजकर 58 मिनट पर एक्स पर पोस्ट किया कि जनादेश का सम्मान करते हुए मैं पीडीपी कार्यकर्ताओं एवं नेताओं को इतनी विषम परिस्थितियों के बावजूद उनके कठिन परिश्रम एवं समर्थन को लेकर बधाई देती हूं। जिन लोगों ने मुझे वोट दिया, उन्हें मेरा हार्दिक आभार। जीतना एवं हारना खेल का हिस्सा है तथा हमें अपने मार्ग से नहीं डिगा पायेगा। बारामुला लोकसभा सीट पर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन तीसरे स्थान पर चल रहे हैं। वहीं अब्दुल्ला ने कहा कि मुझे विश्वास नहीं है कि उनकी जीत से जेल से उनकी जल्द रिहाई हो पायेगी और न ही उत्तरी कश्मीर के लोगों को प्रतिनिधित्व मिल पायेगा जिसका उन्हें अधिकार है लेकिन मतदाताओं ने अपनी आवाज बुलंद की है और लोकतंत्र में यही है जो मायने रखता है।


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