कोविड-19 की जाँच अब सस्ती और आसान

By इंडिया साइंस वायर | Aug 17, 2020

कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू होने के साथ ही इसका परीक्षण तेज करने को कोविड-19 महामारी से लड़ने का सबसे प्रमुख अस्त्र बताया जाता रहा है। लेकिन, इसमें लगने वाले समय के कारण परीक्षणों को तेज करना चुनौती रही है। इस चुनौती से निपटने के लिए हैदराबाद स्थित सीएसआईआर-कोशकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) ने ड्राई स्वैब आधारित नया आरटी-पीसीआर टेस्ट पेश किया है। यह टेस्ट आमतौर पर प्रचलित आरटी-पीसीआर टेस्ट से मिलता-जुलता है, जिसे जल्दी ही भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईसीएमआर) की मंजूरी मिल सकती है।

इसे भी पढ़ें: विज्ञान प्रतिभाओं की खोज के लिए अनूठी प्रतियोगिता

आमतौर पर प्रचलित टेस्टिंग पद्धति में स्वैब नमूनों की पैकिंग और फिर परीक्षण से पहले पैकिंग को खोलने में चार से पाँच घंटे लग जाते हैं। जबकि, ड्राई स्वैब आरटी-पीसीआर परीक्षण पद्धति में कोई लिक्विड उपयोग नहीं किया जाता और स्वैब नमूने एक प्रोटेक्टिव ट्यूब में एकत्रित करके लैब को परीक्षण के लिए भेज दिए जाते हैं।


इस नयी पद्धति में परीक्षण के दौरान राइबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) को पृथक करने की जरूरत नहीं होगी, जो स्वैब नमूनों से वायरस का पता लगाने से जुड़ी एक लंबी प्रक्रिया है। इसके तहत आरएनए पृथक्करण पद्धति की जगह ऊष्मीय निष्क्रियता (Heat Inaction) पद्धति का उपयोग किया जाता है। इस पद्धति में नमूनों को 98 डिग्री सेल्सियस ताप पर एक निश्चित अवधि के लिए गर्म किया जाता है और फिर आरटी-पीसीआर मशीन पर परीक्षण के लिए भेज दिया जाता है।

इसे भी पढ़ें: एनबीआरआई ने लॉन्च किया हर्बल सैनिटाइजर ‘जर्मिविड’

सीसीएमबी के निदेशक डॉ राकेश मिश्रा ने कहा है कि “इस संबंध में हमें आईसीएमआर से मंजूरी मिलने का इंतजार है। इसके बाद टेस्टिंग का पूरा परिदृश्य बदल सकता है। आमतौर पर प्रचलित आरटी-पीसीआर परीक्षण में लगने वाले समय के मुकाबले इस नये परीक्षण में सिर्फ आधा समय लगेगा।”


एक स्वाभाविक सवाल जो किसी के भी मन में उठ सकता है कि इस परीक्षण में भी अगर वही आरटी-पीसीआर मशीन उपयोग होगी और स्वैब नमूने भी उसी तरीके से एकत्रित किए जाएंगे, तो इस नये टेस्ट में अंतर क्या है? इस परवैज्ञानिकों का कहना है कि वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम (वीटीएम) ट्यूब में स्वैब नमूनों की पैकिंग करते समय इस टेस्ट में वीटीएम लिक्विड का उपयोग नहीं किया जाएगा।

इसे भी पढ़ें: कोविड-19 की रोकथाम, ग्रामीण आजीविका के लिए आईआईसीटी और सिप्ला की साझेदारी

सीसीएमबी के वैज्ञानिकों का कहना है कि आमतौर पर 12 घंटे में 100 नमूनों के परीक्षण के लिए 12 लोगों को काम करना पड़ता है। लेकिन, इस नई पद्धति से सिर्फ चार लोग महज चार घंटे में ही इतने नमूनों का परीक्षण कर सकते हैं।


इंडिया साइंस वायर

प्रमुख खबरें

PM Narendra Modi कुवैती नेतृत्व के साथ वार्ता की, कई क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा हुई

Shubhra Ranjan IAS Study पर CCPA ने लगाया 2 लाख का जुर्माना, भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने है आरोप

मुंबई कॉन्सर्ट में विक्की कौशल Karan Aujla की तारीफों के पुल बांध दिए, भावुक हुए औजला

गाजा में इजरायली हमलों में 20 लोगों की मौत