By रितिका कमठान | Dec 07, 2024
फ्रांस की राजधानी पेरिस सिर्फ ऐफिल टॉवर के लिए ही फेमस नहीं है। पेरिस स्थित नोट्रे डेम कैथेड्रल 850 वर्ष पुराना है। इसका इतिहास काफी समृद्ध है। अप्रैल 2019 में इस कैथेड्रल में आग लग गई थी। ये पूरा कैथेड्रल आग में समा गया था। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो ने जनता से उस समय वादा किया था कि कैथेड्रल का फिर से निर्माण करवाया जाएगा।
बता दें कि ये कैथेड्रल 13वीं सदी में अस्तित्व में आया था। नोट्रे डेम पेरिस काफी एतिहासिक जगह थी। फ्रांस आने वाले पर्यटक कैथेड्रल जरुर जाते है। वहीं इस कैथेड्रल की पहचान दो टॉवर है, जो ट्विन बेल कहा जाता है। इस कैथेड्रल में कई खासियत है जो पर्यटकों को वर्षों से आकर्षित करती रही है।
कैथेड्रल का आंतरिक भाग पूरी तरह लकड़ी से बना था। लकड़ी के काम के कारण यह किसी लाक्षागृह से कम नहीं था। कैथेड्रल में कई खुले स्थान थे, लेकिन फायर प्रोटेक्शन सिस्टम नहीं था। कैथेड्रल के पादरी पैट्रिक शावेत के अनुसार, कैथेड्रल का अंदरूनी भाग जंगल जैसा था, जिससे आग और भी अधिक विनाशकारी हो गई। कैथेड्रल की दो विशेषताएं इसे और भी ऐतिहासिक बनाती हैं। ये हैं गुलाब की खिड़कियाँ और रंगीन कांच की खिड़कियाँ। ये दोनों विशेषताएं 13वीं शताब्दी की हैं।
चर्च के अंदर थीं 76 पेंटिंग्स
इसके अलावा यहां विश्व प्रसिद्ध संगीत वाद्य यंत्र ग्रेट ऑर्गन भी था, जो मध्यकालीन युग का था। आग लगने की घटना में इस वाद्य यंत्र का कुछ हिस्सा बचा लिया गया। इस ऑर्गन का उपयोग सार्वजनिक सेवाओं के लिए किया जाता है। इसके अलावा, कैथेड्रल के अंदर कई मूर्तियाँ और पेंटिंग हैं जिनमें बाइबिल के दृश्य और कुछ पुजारियों के चित्र दर्शाए गए हैं। इस कैथेड्रल में ऐसी लगभग 76 पेंटिंग थीं और प्रत्येक पेंटिंग लगभग 76 मीटर लंबी थी।
ट्विन बेल टावर्स सुरक्षित
ट्विन बेल टॉवर्स 19वीं शताब्दी तक पेरिस में सबसे ऊंची संरचना मानी जाती थी। एफिल टॉवर बाद में पेरिस में सबसे ऊंचा स्थान बना। बता दें कि कैथेड्रल में दो टॉवर हैं जो नॉर्थ टॉवर और साउथ टॉवर जिन का निर्माण क्रमश: 1240 और 1250 में हुआ था। बता दें कि कैथेड्रल में मेन बेल जो साउथ टॉवर में है काफी ऐतिहासिक मानी जाती है। इस बेल को बजाकर ही कई मौकों पर खास मौकों की जानकारी दी जाती थी।