By अंकित सिंह | Jul 03, 2023
महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) उस समय संकट में पड़ गई जब पार्टी नेता अजित पवार ने शरद पवार से अलग होकर राज्य के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह घटनाक्रम राकांपा सुप्रीमो शरद पवार के लिए एक बड़ा झटका था। इसके बाद बिहार की राजनीति में भी हलचल तेज हो गई है। अटकलें लग रही हैं कि क्या जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में सब ठीक हैं? क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में लौटने फिर से बन सकती है?
पिछले तीन-चार दिनों की घटनाओं का विश्लेषण करें तो कई राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण घटनाएं घटी हैं, जो संकेत दे रही हैं कि बिहार में भी महाराष्ट्र जैसा राजनीतिक संकट हो सकता है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि नीतीश कुमार एक बार फिर एनडीए में वापसी कर सकते हैं। गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने पिछले साल अगस्त में बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ लिया था और महागठबंधन से हाथ मिला लिया था। नीतीश कुमार की अपनी पार्टी के विधायकों के साथ आमने-सामने की बैठक ने भी सबका ध्यान खींचा है और उनके अगले कदम पर सस्पेंस बरकरार रखा है। नीतीश कुमार ऐसा जल्दी करते नहीं हैं। दावा किया जा रहा है कि जदयू के सांसद और विधायक नीतीश के महागठबंधन में जाने से नाराज हैं। जब अमित शाह ने लखीसराय का दौरा किया, तो नीतीश कुमार ने शाह के दौरे से दो दिन पहले अपने सभी विधायकों के साथ एक-एक बैठक करना शुरू कर दिया।
अपने विधायकों के साथ इन व्यक्तिगत बैठकों से यह अटकलें लगने लगी हैं कि नीतीश कुमार को जाहिर तौर पर अपनी पार्टी के भीतर विभाजन का डर है। सूत्रों की मानें तो वह अपने विधायकों की भावनाओं को भांपने की कोशिश कर रहे हैं और उनसे एकजुट रहने का आग्रह कर रहे हैं। ऐसी भी अटकलें हैं कि नीतीश कुमार निकट भविष्य में अपने राजनीतिक दृष्टिकोण में बदलाव पर विचार कर रहे हैं, यही कारण है कि वह अपने विधायकों से एकजुट रहने का आग्रह कर रहे हैं।
भाजपा सांसद सुशील मोदी ने नीतीश कुमार पर तंज कसा है। सुशील मोदी ने कहा कि बिहार में भी बगावत की स्थिति बन रही है क्योंकि नीतीश कुमार ने पिछले 17 सालों में कभी भी विधायकों और सांसदों को मिलने का समय नहीं दिया। लोगों को साल भर इंतजार करना पड़ता था। अब वो प्रत्येक विधायक और सांसद को 30 मिनट दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब से नीतीश कुमार ने राहुल गांधी को अगली लड़ाई के लिए नेता स्वीकार कर लिया और तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी बना दिया तभी से जनता दल में विद्रोह की स्थिति है।