By अभिनय आकाश | Jan 02, 2025
लखनऊ की एक विशेष एनआईए अदालत ने 26 जनवरी, 2018 को उत्तर प्रदेश के कासगंज में तिरंगा यात्रा के दौरान सांप्रदायिक झड़प के दौरान मारे गए चंदन गुप्ता की हत्या के मामले में गुरुवार को 28 लोगों को दोषी ठहराया। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी की अध्यक्षता वाली अदालत ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास) और 147 (दंगा) सहित कई आरोपों में दोषी पाया। साथ ही राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम और सीएलए अधिनियम के प्रावधान। सजा शुक्रवार को सुनाई जानी है।
यह घटना गणतंत्र दिवस की "तिरंगा यात्रा" के दौरान हुई, जिसमें भारतीय और भगवा झंडों से सजी 100 मोटरसाइकिलें शामिल थीं। जुलूस का नेतृत्व विहिप, एबीवीपी और हिंदू युवा वाहिनी के सदस्यों ने किया। रैली प्रशासनिक प्रतिबंधों को धता बताते हुए बड़े पैमाने पर मुस्लिम बड्डूनगर क्षेत्र में प्रवेश कर गई, जिसके कारण झड़पें और पथराव हुआ। घटना के वक्त चंदन की उम्र 20 साल थी। वह बी.कॉम अंतिम वर्ष का छात्र था और अपने परिवार का सबसे छोटा सदस्य था। घटना के बाद कासगंज में अशांति फैल गई और कई वाहनों और दुकानों को आग लगा दी गई। अधिकारियों को शहर में कर्फ्यू लगाना पड़ा, जो कई दिनों तक चला।
जुलाई 2018 में कासगंज पुलिस ने एक आरोप पत्र दायर किया, जिसमें धारा 124A (देशद्रोह) को शामिल किया गया। इसके चलते मामला एनआईए कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया। मूल रूप से, 30 व्यक्तियों को आरोपी के रूप में नामित किया गया था, लेकिन आरोप तय करने के चरण के दौरान, असीम कुरेशी और नसीरुद्दीन को बरी कर दिया गया।