By अभिनय आकाश | Aug 07, 2023
साल 2021 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भारत विरोधी प्रोपेगेंडा फैलाने वाली न्यूज पोर्टल न्यूज क्लिक के खिलाफ शंकजा कसा था। पोर्टल पर विदेशों में भारत के खिलाफ रचे जा रहे साजिशकर्ताओं के हाथों की कठपुतली बनने का आरोप भी लगा था। अब अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक विस्तृत लेख प्रकाशित किया जिसमें एक अमेरिकी व्यवसायी के चीनी सरकार के साथ संबंधों और न्यूज़क्लिक नामक एक भारतीय वामपंथी प्रचार आउटलेट को उसके वित्तीय समर्थन का खुलासा किया गया। मेरिका स्थित अखबार के अनुसार, नेविल रॉय सिंघम नाम का एक करोड़पति चीनी प्रोपगेंडा को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर (भारत सहित) में कई समाचार प्रकाशनों को वित्त पोषित कर रहा है। इस रिपोर्ट में सबसे गौर करने वाली बात ये है कि सिंघम चीनी सरकारी मीडिया मशीन के साथ मिलकर काम करते हैं और दुनिया भर में इसके प्रचार को वित्तपोषित कर रहे हैं।
क्या है पूरा मामला
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के साथ मजबूत संबंध रखने वाले नेविल रॉय सिंघम चीनी प्रोपगेंडा वॉरफेयर के प्रमुख खिलाड़ी हैं। द न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शी जिनपिंग के शासन के तहत, चीन ने राज्य मीडिया संचालन का विस्तार किया है, विदेशी आउटलेट्स के साथ मिलकर काम किया है और विदेशी प्रभावशाली लोगों को तैयार किया है। अपनी जांच के दौरान, अमेरिकी अखबार ने पाया कि नेविल रॉय सिंघम ने न्यूज़क्लिक नामक भारत स्थित वामपंथी प्रचार आउटलेट को वित्त पोषित किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि न्यूजक्लिक के खिलाफ ईडी को कार्रवाई के दौरान 38 करोड़ रुपए मिलने की बात कही है। इसमें कहा गया है कि समाचार आउटलेट ने अतीत में सीसीपी की बातों को दोहराया था।
इतना ही नहीं, न्यूयॉर्क टाइम्स ने ईडी का हवाला देते हुए कहा कि धनराशि भीमा कोरेगांव का आरोपी शहरी नक्सली यूएपीए आरोपी गौतम नवलखा और एक सीपीएम पदाधिकारी को भी भेजी गई है। "ए ग्लोबल वेब ऑफ चाउनीज प्रोपगेंडा लीड्स टू यूएस टेक मुगल" शीर्षक से अपनी रिपोर्ट में न्यूयॉर्क टाइम्स शिकागो से शंघाई तक फैले एक वित्तीय नेटवर्क की गहराई से पड़ताल की है। जो दुनिया भर में चीनी प्रोपोगेंडा को प्रसारित करने के लिए अमेरिकी संसाधनों का उपयोग करता है। इस नेटवर्क के पीछे का व्यक्ति नेविल रॉय सिंघम है, जिसने इस चीनी स्लीपर सेल को संभाला है। थॉटवर्क्स में अपने समय के दौरान चुपचाप वामपंथी कारणों को वित्त पोषित करने का खुलासा हुआ था। थॉटवर्क्स को 785 मिलियन डॉलर में बेचने के बाद, उनकी सक्रियता और तेज़ होती दिख रही थी।