By नीरज कुमार दुबे | Feb 29, 2024
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि पाकिस्तान में चल रही राजनीतिक उठापटक को आप कैसे देखते हैं? हमने यह भी जानना चाहा कि क्या पाकिस्तान को एक स्थायी सरकार मिल पायेगी? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि जिस तरह पाकिस्तान नेशनल असेंबली के सत्र की हंगामेदार शुरुआत हुई है वह दिखा रहा है कि पाकिस्तान में आने वाले दिन राजनीतिक लिहाज से कठिन रहने वाले हैं। उन्होंने कहा कि छह दलों के बीच सत्ता के लिए तो समझौता हो गया है लेकिन देश को विकट हालात से निकालने के लिए कोई रूपरेखा नहीं बनाई गयी है। उन्होंने कहा कि जिस तरह पीपीपी ने चाल चलते हुए सरकार को बाहर से समर्थन देने की बात कही है और राष्ट्रपति पद मांग लिया है उससे आने वाले दिनों में पाकिस्तान की राजनीति नई करवट ले सकती है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी द्वारा नेशनल असेंबली का सत्र बुलाए जाने के बाद देश के नवनिर्वाचित सांसदों ने शपथ ली। उन्होंने कहा कि खास बात यह रही कि पाकिस्तान के तीन बार के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भी नेशनल असेंबली के एक साधारण सदस्य के रूप में शपथ ली। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी द्वारा समर्थित उम्मीदवारों को आरक्षित सीट आवंटित करने के मुद्दे पर कार्यवाहक सरकार के साथ मतभेद के कारण अल्वी के शुरुआती इंकार के बाद नयी संसद का पहला सत्र आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) समर्थित सांसदों द्वारा आठ फरवरी के आम चुनाव में कथित धांधली के खिलाफ नारे लगाए जाने के बीच अध्यक्ष ने नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव शनिवार को होने की उम्मीद है और पीएमएल-एन तथा पीपीपी के बीच चुनाव बाद समझौते के तहत पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को सदन का नया नेता चुना जाना तय है। उन्होंने कहा कि चुनाव में पीटीआई पार्टी द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने नेशनल असेंबली की सर्वाधिक 93 सीट जीती हैं। पीएमएल-एन ने 75 और पीपीपी को 54 सीट पर जीत मिली थी। मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) के खाते में 17 सीट आई थीं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि देश के शक्तिशाली "सैन्यतंत्र" सेना के आलाकमान और खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस के समर्थन से बनाई जा रही गठबंधन सरकार को चूंकि जनता का समर्थन हासिल नहीं है इसलिए इसके ज्यादा समय तक चलने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि शहबाज शरीफ अपने पिछले कार्यकाल में भी कोई छाप नहीं छोड़ पाये उल्टा उनके कार्यकाल में पाकिस्तान में आतंकवाद और महंगाई बढ़ी तथा विदेशों से कर्ज लेने में मुश्किल पेश आई। उन्होंने कहा कि नयी सरकार का पहला लक्ष्य आईएमएफ से कर्ज लेना होगा लेकिन यह आसान नहीं होगा क्योंकि इमरान खान ने आईएमएफ को पत्र लिखकर कहा है कि नया कर्ज देने से पहले पुराने कर्ज के खर्च का ऑडिट कराया जाये। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी युवा जिस तरह इमरान खान के समर्थन में उतर रहे हैं उससे यही लग रहा है कि नई सरकार कुछ दिनों की मेहमान ही रहेगी। उन्होंने कहा कि बहरहाल एक बात साफ है कि पाकिस्तान की 16वीं नेशनल असेंबली का पहला सत्र जिस तरह हंगामे के साथ शुरू हुआ उससे वहां जल्द ही बड़ा राजनीतिक तूफान आने का संकेत भी मिला है।