By अभिनय आकाश | Nov 24, 2022
स्वदेशी रूप से विकसित हथियार प्रणालियों को शामिल करने के लिए भारतीय वायु सेना ने रुद्रम अगली पीढ़ी की विकिरण-विरोधी मिसाइलों (एनजीएआरएम) को प्राप्त करने के लिए सरकार को 1,400 करोड़ रुपये से अधिक का प्रस्ताव दिया है, ताकि दुश्मन के राडार स्थानों को खोजा जा सके और नष्ट किया जा सके। रक्षा अधिकारियों ने एएनआई को बताया कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा विकसित उन्नत मिसाइलों के अधिग्रहण का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय के पास है और जल्द ही एक उच्च स्तरीय बैठक इस पर विचार करेगी।"
उन्होंने कहा कि अगली पीढ़ी की विकिरण रोधी मिसाइलों का भारतीय वायु सेना द्वारा अपने सुखोई -30 लड़ाकू विमान बेड़े से पहले ही परीक्षण किया जा चुका है और संघर्ष के दौरान दुश्मन के रडार स्थानों को नष्ट कर सकती है। अधिकारियों ने कहा कि रडार सिस्टम के नष्ट होने से भारतीय वायु सेना को बिना पता लगाए लक्ष्यों को भेदने में मदद मिल सकती है। एनजीएआरएम को सुखोई-30 और मिराज-2000 जैसे IAF लड़ाकू विमानों से दागा जा सकता है। यह सटीक है और रडार सिस्टम को ट्रैक करने की क्षमता के साथ विकसित किया गया है, भले ही यह काम न कर रहा हो।
एनजीएआरएम भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित विकिरण रोधी मिसाइल है जिसकी गति दो मैक या ध्वनि की गति से दोगुनी है। हवा से सतह पर मार करने वाली एंटी-रेडिएशन मिसाइल एक निष्क्रिय होमिंग हेड से लैस है जो एक विस्तृत श्रृंखला की आवृत्तियों के विकिरण के स्रोतों को ट्रैक करता है। यह न केवल लॉन्च से पहले बल्कि लॉन्च होने के बाद भी लक्ष्य में लॉक हो सकता है।