By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 27, 2021
चंडीगढ़। कश्मीर पर अपनी विवादित टिप्पणियों को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे मलविंदर सिंह माली ने शुक्रवार को पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकार का पद छोड़ दिया। हालांकि, माली ने इसे ‘इस्तीफा’ नहीं कहा। माली ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा, ‘‘मैं विनम्रतापूर्वक कहता हूं कि मैं नवजोत सिंह सिद्धू को सुझाव देने के लिए दी गई अपनी सहमति वापस लेता हूं।’’ माली ने एक अन्य फेसबुक पोस्ट में दावा किया कि उनके इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि उन्होंने कभी इस पद को स्वीकार नहीं किया था।
उन्होंने पंजाबी में किये गए एक पोस्ट में कहा, ‘‘न तो कोई पद स्वीकार किया था और न ही किसी पद से इस्तीफा दिया है।’’ पंजाब में सत्ता संघर्ष के बीच मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने रविवार को सिद्धू से कहा था कि वह अपने सलाहकारों को काबू में रखें। सिंह ने यह बात सिद्धू के दो सलाहकारों द्वारा कश्मीर और पाकिस्तान जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बेतुकी टिप्पणी किये जाने के बाद कही थी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत ने भी कहा था कि दोनों सलाहकारों को हटाए जाने की जरूरत है। सिद्धू ने 11 अगस्त को पूर्व सरकारी शिक्षक एवं राजनीतिक विश्लेषक माली और बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज के पूर्व रजिस्ट्रार प्यारे लाल गर्ग को अपना सलाहकार नियुक्त किया था।
माली ने अपने पोस्ट में कहा, ‘‘पंजाब विरोधी और सिख विरोधी ताकतें, जो शांतिपूर्ण और लंबे समय से चले आ रहे किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि में उभरे पंजाब मॉडल और पारदर्शिता एवं जवाबदेही की राजनीति को बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं,उनकी उस वार्ता प्रक्रिया को पटरी से उतारने की नापाक मंशा है, जिसने आकार लेना शुरू किया है... हाथ बांधकर (ऐसी ताकतों के खिलाफ) लड़ना मेरे लिए अस्वीकार्य है और इसे खारिज करते हुए मैं विनम्रतापूर्वक निवेदन करता हूं कि मैं नवजोत सिंह सिद्धू को सुझाव देने के लिए अपनी सहमति वापस लेता हूं।’’ उन्होंने कहा कि वह लंबे समय से दलितों, मानवाधिकारों, धार्मिक अल्पसंख्यकों, संघवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए पंजाब के पक्ष में संघर्ष का हिस्सा रहे हैं और वह उनके लिए लड़ना जारी रखेंगे।
माली ने कहा कि कुछ राजनीतिक नेताओं द्वारा उनके विचारों के खिलाफ शुरू किए गए कथित घृणास्पद दुष्प्रचार की पृष्ठभूमि में, अगर उन्हें कोई शारीरिक नुकसान होता है तो इसके लिए ये लोग जिम्मेदार होंगे। माली ने हाल ही में एक सोशल मीडिया पोस्ट में संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के मुद्दे पर बात की थी, जिसके तहत तत्कालीन राज्य जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्राप्त था। उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि यदि कश्मीर भारत का हिस्सा था तो अनुच्छेद 370 और 35ए की क्या जरूरत थी। उन्होंने यह भी कहा था, ‘‘कश्मीर कश्मीरी लोगों का देश है।’’ सिद्धू के एक अन्य सलाहकार गर्ग ने मुख्यमंत्री द्वारा पाकिस्तान की आलोचना किये जाने पर कथित तौर पर सवाल उठाया था। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ‘ ऐसी आपत्तिजनक और बेतुकी टिप्पणियों को लेकर आगाह किया था जो राज्य और देश की शांति व स्थिरता के लिए संभावित रूप से खतरनाक हैं।