By अनन्या मिश्रा | Jun 27, 2024
संगीत की दुनिया के बेताज बादशाह रहे आरडी बर्मन का आज ही के दिन यानी की 27 जून को जन्म हुआ था। वह संगीत की दुनिया का एक ऐसा नाम हैं, जिनके गाने आज भी लोग गुनगुनाना पसंद करते हैं। आर डी बर्मन उर्फ राहुल देव बर्मन को उनके करीबी और चाहने वाले लोग पंचम दा के नाम से भी जानते हैं। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में आर डी बर्मन के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर आरडी बर्मन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
पश्चिम बंगाल के कोलकाता 27 जून 1939 को आर डी बर्मन का जन्म हुआ था। बता दें कि ब्रिटिश शासित कोलकाता में जन्में बर्मन त्रिपुरा के राजसी खानदान से ताल्लुक रखते थे। वहीं इनके पिता सचिन देव बर्मन भी बॉलीवुड के महान संगीतकारों में से एक थे और उनकी मां मीरा भी फिल्मों में गाना गाया करते थे। वहीं आर डी बर्मन ने भी अपने पिता की तरह नाम कमाया था। उनको बचपन से ही संगीत का काफी शौक था।
खून में बसता था संगीत
आरडी बर्मन ने कई दशकों तक फिल्मी संगीत की दुनिया में राज किया। उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों के लिए संगीत की रचना की थी। अगर कहा जाए कि आर डी बर्मन के खून में संगीत बसता था, तो यह गलत नहीं होगा। बता दें कि आर डी बर्मन के दादा नाबद्विपचंद्र बर्मन त्रिपुरा के राजकुमार थे और उनकी दादी निर्मला देवी मणिपुर की राजकुमारी थीं।
ऐसे बनें पंचम दा
आर डी बर्मन का पंचम दा नाम पड़ने के पीछे एक दिलचस्प किस्सा है। दरअसल, उनको यह उपनाम आर डी बर्मन की नानी ने दिया था। बताया जाता है कि जब आर डी बर्मन बचपन में रोते थे, तो उनका रोना शास्त्रीय संगीत के पांचवें सरगम 'प' की तरह लगता था। जिसके कारण उनकी नानी ने इन्हें पंचम दा नाम दिया। वहीं आर डी बर्मन का एक निकनेम 'तबलू' भी हुआ करता था।
राजेश खन्ना के साथ हिट थी जोड़ी
सिंगर ने सबसे ज्यादा संगीत राजेश खन्ना की फिल्मों के लिए बनाए, जिसे आवाज किशोर कुमार दिया करते थे। पंचम दा, राजेश खन्ना और किशोर कुमार की तकड़ी ने बॉलीवुड को कई बेहतरीन गानों से नवाजा। आरडी बर्मन ने 'कुछ तो लोग कहेंगे' और 'यह शाम मस्तानी' जैसे सदाबहार गानों की धुन ही बनाई। वहीं इन गानों को किशोर कुमार ने अपनी आवाज से सजाया और राजेश खन्ना ने इन पर अदाकारी की। उस जमाने के बॉलीवुड को पंचम दा ने अपनी संगीत से स्वर्णिम युग बना दिया था।
आर डी बर्मन का संगीत में ज्ञान और टैलेंट सिर्फ कलम तक ही सीमित नहीं था। बताया जाता है कि वह कप-प्लेट और कंगी आदि से भी संगीत की धुन बना लिया करते थे। जहां 60-70 के दशक में पंचम दा अपने करियर की पीक पर थे, तो वहीं साल 1985 के बाद संगीत के करियर में ढलान आना शुरू हो गई थी।
मौत
1988 में आर डी बर्मन को हार्ट अटैक हुआ। जिसके बाद वह इलाज के लिए लंदन चले गए। लंदन में इलाज के दौरान पंचम दा ने कई धुने बनाईं। आखिरी बार उन्होंने 'ए लव स्टोरी' में संगीत कंपोज किया था। इस फिल्म के गाने सुपरहिट साबित हुए। वहीं 04 जनवरी 1994 में दिल की बीमारी के चलते आरडी बर्मन ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।