By अंकित सिंह | Aug 14, 2021
मुकुल रॉय भले ही भाजपा से तृणमूल कांग्रेस में चले गए हो लेकिन अब भी उनके जुबान पर भाजपा का नाम आ ही जाता है। कभी जुबान फिसल जाती है तो कभी खुद को संभालने लगते हैं। इसी कड़ी में जब मुकुल राय लोगों के बीच जाते हैं तो कभी खुद को भाजपा का बता देते हैं तो कभी तृणमूल कांग्रेस का। ऐसे में उन्हें लेकर आम लोगों में एक भ्रम की स्थिति है। लेकिन विश्लेषक इसे मुकुल रॉय की रणनीति का हिस्सा मानते हैं। यह बता रहे हैं कि फिलहाल वह विधायक के तौर पर भाजपा के हैं। बंगाल विधानसभा के लोक लेखा समिति के अध्यक्ष के रूप में उन्हें भाजपा द्वारा ही नामित किया गया है।
हाल में ही त्रिपुरा में तृणमूल प्रतिनिधियों पर हमले को लेकर मुकुल रॉय ने भाजपा पर निशाना साधा था और उम्मीद जताई थी कि अगले चुनाव में वहां टीएमसी अच्छा प्रदर्शन करेगी। विधानसभा उपचुनाव को लेकर मुकुल रॉय यह कह रहे हैं कि अगर वह भाजपा से खड़े होते हैं तो जीत जाएंगे। लेकिन अगर तृणमूल से खड़े होंगे तो लोग तय करेंगे कि वे जीतेंगे या नहीं जीतेंगे। दूसरे शब्दों में कहें तो मुकुल रॉय खुद को अब भी भाजपा का बताने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। लेकिन जब बात त्रिपुरा की हो रही है तो वह खुद को तृणमूल का नेता बता रहे हैं।
आपको बता दें कि मुकुल रॉय कृष्णा नगर उत्तर सीट से भाजपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीतकर विधायक बने थे। हाल में ही उपचुनाव को लेकर पूछे गए प्रश्न में मुकुल रॉय ने यह तक कह दिया था कि उपचुनाव में यहां भाजपा जीतेगी। हालांकि खुद को संभालते हुए उन्होंने बाद में कहा कि यहां टीएमसी जीतेगी। मुकुल रॉय ने 11 जून को भाजपा छोड़ दी थी और तृणमूल में लौट गए थे। दल बदल कानून के तहत मुकुल रॉय को भाजपा ने विधायक पद से बर्खास्त करने की मांग की है। फिलहाल मुकुल लोक लेखा समिति के अध्यक्ष बने हुए हैं। भाजपा ने उन्हें इस पद से हटाने की मांग की है।