By अनन्या मिश्रा | Feb 05, 2024
आज ही के दिन यानी की 5 फरवरी को भारत के स्वतंत्रता सेनानी और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू का निधन हो गया था। बता दें कि मोतीलाल नेहरू स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही अमीर और फेमस वकील भी थे। मोतीलाल नेहरु का राजनैतिक प्रभाव पहले से था, लेकिन महात्मा गांधी के संपर्क में आने के बाद उन्होंने ठाठ-बाठ वाली जिंदगी का त्याग कर दिया था। मोतीलाल नेहरू का बचपन काफी संघर्ष भरा था। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर मोतीलाल नेहरू के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
आर्थिक तंगी में बीता बचपन
बता दें कि साल 1857 के भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समय मोतीलाल नेहरू के पिता गंगाधर को दिल्ली छोड़ना पड़ा था। उस दौरान गंगाधर दिल्ली में कोतवाल थे। लेकिन बगावत के दौरान उनके घर में लूटपाट कर आग के हवाले कर दिया गया था। जिसके बाद उनके पिता अपने परिवार के साथ आगरा आ गए। वहीं 6 मई 1861 को आगरा में मोतीलाल नेहरू का जन्म हुआ था। वहीं जन्म के तीन महीने पहले उनके पिता गंगाधर नेहरू का निधन हो गया था।
पिता के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी मोतीलाल नेहरू की माता इंद्राणी और बड़े भाई नंदलाल नेहरू के कंधों पर आ गया था। इस मुश्किल समय में उनके मामा ने परिवार की मदद की थी। राजस्थान के खेतड़ी में जल्द ही नंदलाल को क्लर्क की नौकरी मिल गई। इस दौरान मोतीलाल नेहरु का बचपन भी बड़े भाई की देखरेख में खेतड़ी में बीता। वहीं नंदलाल को खेतड़ी के राजा फतेह सिंह का सहयोग मिला। जिसका फायदा यह हुआ कि नंदलाल जल्द ही दीवान हो गए। लेकिन राजा फतेह सिंह की मौत के बाद नंदलाल को खेतड़ी छोड़कर फिर परिवार सहित आगरा आना पड़ा।
शिक्षा
बता दें कि नंदलाल को खेतड़ी में कानून की जानकारी आगरा में काम आई और उन्होंने ब्रिटिश कोलोनियल कोर्ट में अंग्रेजी कानून की प्रैक्टिस शुरू कर दी। वहीं बड़े भाई नंदलाल ने मोतीलाल नेहरू की सारी शिक्षा का खर्च उठाया और उनको पढ़ाई के लिए कैम्ब्रिज यूनिवसिटी भेजा। जहां पर मोतीलाल नेहरू ने कानून की डिग्री प्राप्त की। आपको बता दें कि मोतीलाल नेहरू पाश्चात्य शिक्षा पाने वाले पहले भारतीयों में से एक थे।
परिवार की जिम्मेदारी
वहीं साल 1883 में मोतीलाल नेहरू परीक्षा पास कर कानपुर में कानून की प्रैक्टिस करने लगे। बाद में वह इलाहाबाद हाइकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे। वहीं बड़े भाई नंदलाल की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी मोतीलाल नेहरू पर आ गई। लेकिन अब उनके संघर्ष के दिन खत्म हो चुके थे। मोतीलाल नेहरू ने दीवानी मुकदमों में खूब नाम कमाया। बता दें कि मोतीलाल नेहरू के क्लाइंट्स रईस परिवार से हुआ करते थे। जिससे उनकी भी मोटी कमाई होती थी।
समय के साथ ही मोतीलाल नेहरू देश के सबसे फेमस और धनी वकीलों में गिने जाने लगे। वहीं साल 1990 में उन्होंने इलाहबाद में आनंद भवन नामक एक आलीशान बंगला खरीदा था। इसके बाद साल 1909 में मोतीलाल नेहरू ने ब्रिटेन के प्रिवी काउंसिल में वकालत करने की योग्यता प्राप्त कर ली थी। बार-बार यूरोप जाने के कारण भी उन्होंने ढेर सारी सुर्खियां बटोरी थी।
राजनीति में प्रवेश
इसके बाद मोतीलाल नेहरू ने राजनीति में भी प्रवेश किया। लेकिन गांधीजी से मुलाकात के बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई थी। वह महात्मा गांधी से इतना ज्यादा प्रभावित हुए कि शानोशौकत की जिंदगी का त्याग कर देश की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए। आपको बता दें कि गांधीजी के करीबी रहे मोतीलाल नेहरू को उनकी नेहरु रिपोर्ट के कारण भी जाना जाता है। इस रिपोर्ट का प्रारूप कांग्रेस की अध्यक्षता में तैयार किया गया था।
मौत
बता दें कि वह दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। साथ ही उन्होंने कुछ महीनों के लिए जेल यात्रा भी की थी। हांलाकि खराब स्वास्थ्य के कारण उनको जेल से रिहा कर दिया गया था। वहीं 6 फरवरी 1931 को पंडित मोतीलाल नेहरू का निधन हो गया।