लेह। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की एकमात्र लोकसभा सीट के लिए सोमवार को अपराह्न एक बजे तक 52 प्रतिशत से अधिक मतदान दर्ज किया गया। निर्वाचन अधिकारियों ने यह जानकारी दी। लद्दाख लोकसभा सीट के लिए तीन उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। अधिकारियों ने बताया कि लेह और करगिल के दो जिलों में फैले निर्वाचन क्षेत्र में मतदान शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है। मतदान सुबह 7 बजे शुरू हुआ। अधिकारियों ने बताया कि मतदान के पहले छह घंटे में निर्वाचन क्षेत्र में 52.02 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग कर लिया था।
उन्होंने बताया कि करगिल जिले में 57.69 प्रतिशत और लेह में 45.90 प्रतिशत मतदान हुआ है। क्षेत्रफल के हिसाब से देश के सबसे बड़े निर्वाचन क्षेत्र लद्दाख में 2019 के आम चुनाव में 71.05 प्रतिशत मतदान हुआ था। वर्ष 2019 में जम्मू कश्मीर से अलग होने और केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिए जाने के बाद इस क्षेत्र में यह पहला बड़ा चुनावी मुकाबला है। इस सीट पर तीन उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। भाजपा ने लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (लेह) के मुख्य कार्यकारी काउंसिलर-सह-अध्यक्ष ताशी ग्यालसन को मैदान में उतारा है जबकिकांग्रेस ने त्सेरिंग नामग्याल को उम्मीदवार बनाया है।
वहीं करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस(केडीए) ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के करगिल जिला अध्यक्ष हाजी हनीफा जान को मैदान में उतारा है जो कांग्रेस की तरह, ‘इंडिया’ गठबंधन का एक घटक है। कांग्रेस ने सबसे अधिक छह बार यह सीट जीती है और नेकां के साथ एक समझौते के अनुसार, एलएएचडीसी में विपक्ष के नेता त्सेरिंग नामग्याल को मैदान में उतारा है, क्योंकि वे ‘इंडिया’ गठबंधन और लेह शीर्ष निकाय के सदस्य थे। यह एलएबी और केडीए ही थे जो पिछले चार वर्षों से राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची सहित लद्दाखी लोगों की विभिन्न मांगों के समर्थन में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे।
हालांकि भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र द्वारा मांगों से सहमत नहीं होने के बाद मार्च में इसमें रुकावट आ गई। अब केडीए द्वारा जान को मैदान में उतारने से, इस सीट पर कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा के लिए चुनौतियाँ बढ़ गई हैं। इस सीट पर 1.84 लाख से अधिक मतदाता हैं - मुस्लिम बहुल करगिल जिले में (95,926) और लेह जिले में 88,877।