'गठबंधन नहीं चला पाएंगे मोदी', जयराम रमेश का तंज, लोकतंत्र में नहीं, डेमो-कुर्सी में विश्वास करती हैं भाजपा

By अंकित सिंह | Jun 07, 2024

भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के नवनिर्वाचित सांसदों ने शुक्रवार को संसद के सेंट्रल हॉल में एक हाई-प्रोफाइल बैठक के दौरान सर्वसम्मति से नरेंद्र मोदी को अपने संसदीय दल का नेता बनाने का प्रस्ताव पारित किया और प्रधानमंत्री के रूप में उनका समर्थन भी किया। हालांकि, इसको लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसपर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि 2024 के चुनाव नरेंद्र मोदी के लिए 'प्रचंड हार' थी। वे एक तिहाई पीएम हैं-नरेंद्र-नायडू-नीतीश। वे गठबंधन नहीं चला पाएंगे। वे (भाजपा) लोकतंत्र में नहीं 'डेमो-कुर्सी' में विश्वास करती हैं।

 

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भारत का संविधान दिखाते हुए रमेश ने कहा कि आज इसकी जीत हुई है। हम सत्ता या कौन बनेगा प्रधान मंत्री के लिए नहीं, बल्कि संविधान को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा कि भाजपा की संसदीय कमेटी की बैठक नहीं हुई पर NDA ने एक -तिहाई प्रधान मंत्री पहले ही नियुक्त कर दिया। यह इसलिए किया गया क्योंकि नरेंद्र मोदी को विश्वास नहीं था कि भाजपा के चुने हुए सांसद उनको अपना नेता चुनेंगे या नहीं। ख़ुद बहुत कम वोटों से जीते सांसद नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत अनिश्चितता और बौखलाहट का यह सीधा प्रमाण है। उन्होंने भाजपा के सांसदों की 'बाईपास सर्जरी' कर दी है।



कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा ने कहा कि इस बार अकेले बीजेपी को बहुमत नहीं मिला है। देश ने बीजेपी की विचारधारा को खारिज कर दिया है। INDIA ब्लॉक की बैठक आयोजित की गई है। हमारे शीर्ष नेता सही समय पर निर्णय लेंगे। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने ईवीएम के बहाने विपक्ष पर जमकर तंज कसा। मोदी ने कहा कि 4 जून को जब नतीजे आ रहे थे तो मैं काम में व्यस्त था। बाद में फोन आने लगे। मैंने किसी से पूछा, आंकड़े तो ठीक हैं, बताओ ईवीएम जिंदा है कि मर गया। 

 

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मोदी ने कहा कि विपक्ष के लोगों ने यह सुनिश्चित करने का निर्णय लिया था कि लोग भारत के लोकतंत्र और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास करना बंद कर दें। उन्होंने लगातार ईवीएम का दुरुपयोग किया। मुझे लगा था कि वे ईवीएम की शवयात्रा निकालेंगे। लेकिन 4 जून की शाम तक उनको ताले लग गए। ईवीएम ने उनको चुप करा दिया। यह भारत के लोकतंत्र की ताकत है, इसकी निष्पक्षता है। मुझे उम्मीद है कि मुझे 5 साल तक ईवीएम के बारे में सुनने को नहीं मिलेगा। लेकिन जब हम 2029 में जाएंगे, तो शायद वे फिर से ईवीएम का राग अलापेंगे। देश उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।

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