By अनुराग गुप्ता | May 26, 2020
लोकसभा चुनाव 2019 में 300 प्लस सीटें जीतने वाली भाजपा ने अपने एलायंस पार्टनर्स के साथ एनडीए 2.0 की सरकार 30 मई को गठित की जिसका एक पूरा होने जा रहा है। इसी बीच ऐसे कौन से चेहरे थे जिनको एनडीए 2.0 में तरजीह दी और वो कौन से चेहरे थे जो एनडीए 1.0 के समय सरकार में थे मगर कारणवश उन्हें एनडीए 2.0 में शामिल नहीं किया।
नए और महत्वपूर्ण चेहरे
मोदी कैबिनेट 2.0 में शामिल होने वाले चेहरे में सबसे पॉवरफुल चेहरा अमित शाह का रहा। जिन्हें गृह मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया। इससे पहले शाह के पास केंद्र सरकार में किसी भी मंत्रालय का अनुभव नहीं था। ऐसे में उन्हें गृह मंत्रालय के साथ-साथ भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष का जिम्मा भी संभालना पड़ा। हालांकि अब जेपी नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
स्वास्थ्य कारणों से कैबिनेट का हिस्सा बनने से सुषमा स्वराज (बाद में सुषमा स्वराज का निधन भी हो गया था) ने इंकार कर दिया था। जिसके बाद पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर को उनकी जगह कैबिनेट में शामिल किया गया और उन्हें विदेश मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया। एस जयशंकर उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोवाल के साथ मिलकर चीन के साथ डोकलाम मुद्दे का हल निकाला था। इतना ही नहीं वे भारत में अमेरिका के राजदूत भी रह चुके हैं।
मोदी सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्रालय का जिम्मा उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व हरिद्वार लोकसभा के सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को सौंपा गया था। इनके अलावा अर्जुन मुंडा (अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्रालय), प्रहलाद जोशी (संसदीय कार्य, कोयला, खनन मंत्रालय), अरविंद सावंत (भारी उद्योग मंत्रालय *बाद में इस्तीफा दे दिया), गजेंद्र सिंह शेखावत (जल शक्ति मंत्रालय), प्रहलाद सिंह पटेल (संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार), जी किशन रेड्डी (गृह राज्यमंत्री), नित्यानंद (गृह राज्यमंत्री), वी मुरलीधरन (विदेश राज्यमंत्री), अनुराग ठाकुर (वित्त राज्य मंत्री), मनसुख लाल मंडाविया (शिपिंग और रसायन व उर्वरक राज्य मंत्री) रावसाहेब दानवे (उपभोक्ता राज्यमंत्री), रतन लाल कटारिया (जल शक्ति/सामाजिक न्याय अधिकारिता राज्यमंत्री), राय संजय धोत्रे (एचआरडी राज्यमंत्री तथा सूचना तकनीकी राज्यमंत्री), रेणुका सिंह सरुता (अनुसूचित जनजाति कल्याण राज्य मंत्री), सोम प्रकाश (वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री), रामेश्वर तेली (खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री), प्रताप सारंगी (सूक्ष्म एवं लघु उद्योग राज्य मंत्री), कैलाश चौधरी (कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री), देबोश्री चौधरी (महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री) इन लोगों को शामिल किया गया था। बता दें कि NDA 2.0 की सरकार में 19 नए चेहरे शामिल किए गए हैं। इनमें से मोदी कैबिनेट में 5 नए मंत्रियों का जगह मिली है।
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पुराने चेहरे जो नहीं है NDA 2.0 में शामिल
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए कैबिनेट का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद अगस्त महीने में श्वास संबंधी समस्या के चलते अरुण जेटली को एम्स में भर्ती कराया गया था। जहां पर पूर्व वित्त मंत्री ने 24 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 7 मिनट पर अंतिम सांस ली थी।
स्वर्गीय अरुण जेटली के अलावा पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने लोकसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था और उनका भी अकस्मात निधन हो गया। इनके अलावा जिन पुराने चेहरों को मोदी 2.0 की सरकार में जगह नहीं मिली उनमें उमा भारती, सुरेश प्रभु, मेनका गांधी, शिवप्रताप शुक्ला, जुआल ओरम, राज्यवर्धन सिंह राठौर, अनुप्रिया पटेल, जेपी नड्डा, केजे अल्फोंसे, एसएस अहलूवालिया, राधामोहन सिंह, चौधरी बीरेन्द्र सिंह, विजय संपला, अनंत गीते, सुभाष भामरे, जयंत सिन्हा, डॉ. महेश शर्मा आदि के नाम प्रमुख हैं।
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सबसे अहम मंत्रालयों में से एक रक्षा मंत्रालय संभाल रहे मनोहर पर्रिकर ने केंद्र की राजनीति छोड़कर अपने प्रदेश गोवा लौट गए थे। जहां पर उनके नेतृत्व में एक बार फिर से भाजपा की सरकार बनी थी। उस वक्त पर्रिकर अग्नाशय के कैंसर से पीड़ित थे। अमेरिका से इलाज कराकर लौटने के बाद पर्रिकर का इलाज नई दिल्ली स्थित एम्स और मुंबई के एक निजी अस्पताल में चल रहा था और एक रोज 63 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। भाजपा ने साल 2019 में अपने कई कद्दावर और प्रिय नेताओं को खो दिया।
इनके अलावा मोदी कार्यकाल एक में बेंगलुरु साउथ सीट से सांसद रहे अनंत कुमार का भी इंतकाल हो गया। वह कैंसर से पीड़ित बताए जा रहे थे। एनडीए 1.0 की सरकार में वह संसदीय कार्यमंत्री थे।
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क्या है चुनावों का हाल
कई सारे बड़े बदलावों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए 2.0 की सरकार ने अपना एक साल पूरा कर लिया है। हालांकि, आगे उनको कई सारी चुनौतियों से पार पाकर पाना भी है। आने वाले समय में बिहार और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। लेकिन अभी तक चुनावों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। कि चुनाव तय समय पर होंगे भी या नहीं। क्योंकि पूरा विश्व अभी कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा है।
लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के अनुभवों के आधार पर चुनाव की बात की जाए तो भाजपा को टक्कर देने वाली अभी कोई पार्टी नजर नहीं आ रही है लेकिन विधानसभा चुनावों में समीकरण बदल जाते हैं। उम्मीद से भी ज्यादा अच्छा प्रदर्शन करने वाली भाजपा पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस की सरकार को टक्कर दे सकती हैं।
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जबकि बिहार में नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ मिलकर भाजपा चुनाव लड़ती है और मौजूदा हालातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि अभी कोई भी पार्टी प्रचार नहीं कर पा रही है। साथ ही साथ इस मुश्किल हालात में लालू प्रसाद यादव की विरासत संभाल रहे तेजस्वी यादव भी प्रदेश से गायब हैं। जबकि उनके बड़े भाई तेज प्रताप सोशल मीडिया में एक्टिव नजर आ रहे हैं। इसलिए चुनावों के बार में सितंबर से पहले राय बनाना फिलहाल ठीक नहीं होगा क्योंकि साल के अंत में बिहार में चुनाव और अगले साल बंगाल में चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में सत्ताधारी पार्टियां चुनावों के बारे में कम और कोरोना महामारी से निपटने पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं।
- अनुराग गुप्ता