By अनुराग गुप्ता | Apr 21, 2020
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि वर्क फ्रॉम होम को लेकर सरकार एक मानक बनाकर गाइडलाइन्स भी जारी कर सकती हैं। हालांकि इसकी कोई औपचारिक पुष्टि नहीं हुई है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लॉकडाउन के बाद भी वर्क फ्रॉम होम जैसी सुविधाओं को सरकार जारी रख सकती है। फिलहाल इस पर केंद्र सरकार विचार कर रही है।
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श्रमजीवी कानून में नहीं है कोई दिशा-निर्देश
सरकार कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए कानून बनाती है लेकिन वर्क फ्रॉम होम को लेकर अभी तक कोई भी दिशा-निर्देश नहीं जारी किए गए हैं और न ही विगत वर्षों में रहे हैं। हालांकि हम यह भी कह सकते हैं कि कोरोना से उपजे संकट के पहले वर्क फ्रॉम होम की शायद आवश्यकता ही नहीं पड़ी थी। इसलिए मौजूदा श्रम कानून में इसके लिए कोई प्रवाधान नहीं हैं।
दुनिया में हो सकते हैं बहुत सारे बदलाव
कोरोना वायरस से उपजे संकट का सामना लगभग विश्व का हर देश कर रहा है। इतना ही नहीं इस संकट से निकलते-निकलते दुनिया में कई सारे बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं। कोरोना महामारी से पहले कोई यह सोच भी नहीं सकता था कि घरों से पूरी तरह से काम किया जा सकता है लेकिन विपत्ति की इस घड़ी में यह मुमकिन हो पाया है। हालांकि मार्केट में बहुत सारी ऐसी कम्पनियां हैं जो अपने कर्मचारियों को घरों से काम करने की सुविधा पहले भी देती आई हैं।
एक हिन्दी अखबार में छपी खबर के मुताबिक एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि अगर घर से काम करने की शैली व्यापक होती है तो इसके लिए अलग से गाइडलाइन्स बनाने की आवश्यकता हो सकती है। मौजूदा कानून में इसके लिए कोई भी दिशा-निर्देश मौजूद नहीं हैं।
प्रधानमंत्री ने की थी वर्क फ्रॉम होम की अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा करते हुए अपील की थी कि जो भी कम्पनियां अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम दे सकती हैं वो जरूर दें।
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प्रधानमंत्री ने दिए पांच मंत्र
Life in the era of COVID-19 शीर्षक पोस्ट के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए बिजनेस, वर्क कल्चर की बात कही। उन्होंने भारत को युवाओं का देश बताते हुए कहा कि हमारा देश नए वर्क कल्चर की शुरुआत की अगुवाई कर सकता है। प्रधानमंत्री ने इसके लिए अंग्रेजी के स्वर अक्षर यानि कि A,E,I,O,U को परिभाषित किया। इसमें उन्होंने अनुकूलन क्षमता (Adaptability), दक्षता (Efficiency), समावेशिता (Inclusivity), अवसर (Opportunity) और सार्वभौमिकता (Universalism) की बात कही है।