By अनुराग गुप्ता | Apr 22, 2020
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लॉकडाउन के बाद सरकार संसद का स्पेशल सत्र बुलाने के बारे में विचार कर रही है। जहां पर कोरोना के हालातों से निपटने के लिए चर्चा हो सकती है और स्पेशल बजट भी पेश किया जा सकता है। क्योंकि कोरोना की वजह से तमाम सेक्टर सुस्त हो गए हैं और वह सरकार से राहत पैकेज की उम्मीद लगाए हुए हैं।
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लंबी लड़ाई के लिए PM ने मांगा था सहयोग
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ शब्दों में अपने मंत्रियों के साथ हुई बैठक में कहा था कि अभी हमें बहुत लम्बी लड़ाई लड़नी है और इसके लिए आप सबको मिलकर लड़ना पड़ेगा।
इस बैठक के बाद से ही सरकार अलग-अलग स्तरों पर विचार कर रही है कि कैसे इस संकट की घड़ी से देश को निकालकर उसकी पुरानी रफ्तार में लाया जा सकें। मिली जानकारी के मुताबिक इस संकट पर विचार करने के लिए संसद का सत्र भी बुलाया जा सकता है।
संसद का सत्र बुलाए जाने से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई जाएगी। जहां पर तमाम पार्टियों के लोगों से साथ आने का अनुरोध किया जाएगा।
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मानसून सत्र के पहले बुलाया जा सकता है स्पेशल सत्र
संसद का स्पेशल सत्र बुलाने जाने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि मानसून सत्र अपने तय समय पर जुलाई के बीचो-बीच शुरू होगा। लेकिन इसमें काफी समय है। ऐसे में अगर कोरोना संक्रमण के प्रभाव में कमी आई तो आर्थिक मोर्चे पर बड़ी पहल करने की जरूरत होगी। जिसको ध्यान में रखते हुए संसद का स्पेशल सत्र बुलाया जा सकता है।
हिन्दी अखबार में छपी खबर के मुताबिक स्पेशल सत्र के साथ-साथ स्पेशल बजट पर इसलिए भी चर्चा हो रही है क्योंकि कोरोना संक्रमण की स्थिति सुधरने के बाद सरकार जो राहत पैकेज पेश करेगी वह असाधारण से भी बड़ा हो सकता है। इतना ही नहीं सरकार हर एक सेक्टर को राहत देने के बारे में विचार कर रही है। जिसको लेकर अभी रणनीति तैयार की जा रही है।
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राज्य सरकारों ने की फौरी राहत की मांग
कोरोना के बढ़ते प्रभावों के बीच राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार से राहत पैकेज की मांग की है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह द्वारा पत्र लिखे जाने के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने भी मदद की मांग की। जबकि असम सरकार ने तो सीधे तौर कहा कि यदि बाहर से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिली तो राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को मई माह का वेतन नहीं दे पाएगी।
पंजाब सरकार ने तो केंद्र सरकार से शराब की दुकानें खोलने की इजाजत मांगी जबकि छत्तीसगढ़ सरकार मिठाई की दुकानें खोलने की मांग कर रहे हैं। क्योंकि लॉकडाउन के चलते कारोबार ठप है और इसका सीधा असर राज्य सरकारों के रेवेन्यू पर पड़ रहा है।