By प्रिया मिश्रा | Feb 18, 2022
देवभूमि कहा जाने वाला उत्तराखंड राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता, खूबसूरत नज़ारों व इतिहास को लेकर दुनियाभर में मशहूर है। उत्तराखंड में कई प्राचीन पहाड़, गंगा-यमुना सहित कई खूबसूरत जगहें हैं। माना जाता है कि इन चोटियों पर देवी-देवताओं के कई रहस्य और कहानियां छिपी हुई हैं। ऐसी ही एक रहस्यमई चोटी उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित बंदरपूंछ ग्लेशियर में भी है। आइए जानते हैं इसके बारे में-
रामायण काल है संबंध
बंदरपूंछ का शाब्दिक अर्थ है - "बंदर की पूंछ"। यह एक ग्लेशियर है जो उत्तराखंड के पश्चिमी गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है। यह ग्लेशियर समुद्र तल से लगभग 6316 मीटर ऊपर स्थित है। इसका ग्लेशियर का संबंध रामायण काल से माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब लंकापति रावण ने भगवान हनुमान की पूंछ पर आग लगाई थी तो उन्होंने पूरी लंका में आग लगा दी थी। इसके बाद हनुमान जी ने इस चोटी पर ही अपनी पूंछ की आग बुझाई थी। इसी कारण इसका नाम बंदरपूंछ रखा गया। यही नहीं, यमुना नदी का उद्गम स्थम यमुनोत्री हिमनद भी बंदरपूंछ चोटी का हिस्सा माना जाता है।
बंदर पूंछ में तीन चोटियां हैं - बंदरपूछ 1, बंदरपूंछ 2 और काली चोटी भी स्थित है। यमुना नदी का उद्गम बंदरपुंछ सर्किल ग्लेशियर के पश्चिमी छोर पर है। बंदरपूंछ ग्लेशियर गंगोत्री हिमालय की रेंज में पड़ने वाला है। इस ग्लेशियर पर सबसे पहली चढ़ाई मेजन जनरल हैरोल्ड विलयम्स ने साल 1950 में की थी। इस टीम में महान पर्वतारोही तेनजिंग नोर्गे, सार्जेंट रॉय ग्रीनवुड, शेरपा किन चोक शेरिंग शामिल थे।
बंदरपूंछ ग्लेशियर जाने का सही समय
बंदरपूंछ ग्लेशियर जाने के लिए सबसे अच्छा समय मार्च से लेकर अक्तूबर का महीना माना गया है। वहीं, अगर आप यहां पर ट्रैकिंग का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो मई और जून का महीना बेस्ट रहेगा।
उठा सकते हैं ट्रैकिंग का लुत्फ
सैलानी यहां पर ट्रैकिंग का लुत्फ भी उठाते हैं। इस दौरान आप ट्रैकिंग के रास्ते पर बसंत ऋतु के कई फूल देख सकते हैं। इसके अलावा आपको कई जानवरों की दुर्लभ प्रजातियां भी देखने को मिल सकती है। बता दें कि बंदरपूंछ ग्लेशियर जाने के लिए आपको देहरादून जाना पड़ेगा। वहां से आप उत्तरकाशी के लिए गाड़ी लेकर ग्लेशियर पहुँच सकते हैं।
- प्रिया मिश्रा