Lockdown के 46वें दिन बड़ी उपलब्धि, अब प्रतिदिन 95,000 की कोरोना जाँच हो रही है

By नीरज कुमार दुबे | May 09, 2020

देश में कोरोना वायरस के कारण मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर शनिवार को 1,981 हो गई और संक्रमितों की संख्या 59,662 पर पहुंच गई। पिछले 24 घंटों में इस वायरस के कारण 95 लोगों की मौत हुई है और 3,320 नए मामले सामने आए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में 39,834 लोगों का उपचार चल रहा है जबकि 17,846 लोग स्वस्थ्य हो गए हैं और एक मरीज विदेश चला गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘अभी तक करीब 29.91 प्रतिशत मरीज स्वस्थ हुए हैं।’’ संक्रमितों की कुल संख्या में 111 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। शुक्रवार सुबह से लेकर अब तक कुल 95 लोगों की मौत हुई है। इनमें से 37 की महाराष्ट्र, 24 की गुजरात, नौ की पश्चिम बंगाल, सात की मध्य प्रदेश, चार-चार लोगों की राजस्थान और उत्तर प्रदेश, तीन-तीन लोगों की आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु, दो लोगों की दिल्ली तथा एक-एक व्यक्ति की मौत पंजाब और हरियाणा में हुई। झारखंड में कोरोना वायरस से तीन लोगों ने जान गंवाई। ओडिशा और हिमाचल प्रदेश में दो-दो लोगों ने इस संक्रामक रोग से दम तोड़ा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार मेघालय, चंडीगढ़, असम और उत्तराखंड में एक-एक शख्स की मौत हुई। मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, 70 प्रतिशत लोगों की मौत कोरोना वायरस के साथ अन्य बीमारियों के कारण हुई। स्वास्थ्य मंत्रालय के सुबह जारी किए आंकड़ों के अनुसार देश में संक्रमितों के सबसे अधिक 19,063 मामले महाराष्ट्र में सामने आए। इसके बाद गुजरात में 7,402, दिल्ली में 6,318, तमिलनाडु में 6,009, राजस्थान में 3,579, मध्य प्रदेश में 3,341 और उत्तर प्रदेश में 3,214 लोग संक्रमित पाए गए। आंध्र प्रदेश में कोविड-19 के मामले बढ़कर 1,887 और पंजाब में 1,731 हो गए। पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस के 1,678, तेलंगाना में 1,133, जम्मू कश्मीर में 823, कर्नाटक में 753, हरियाणा में 647 और बिहार में 571 मामले सामने आए। केरल में अभी तक कोरोना वायरस के 503 मामले सामने आए हैं जबकि ओडिशा में 271 मामले सामने आए। चंडीगढ़ में इस जानलेवा संक्रामक रोग से 150 लोग और झारखंड में 132 लोग संक्रमित पाए गए। त्रिपुरा में 118 मामले सामने आए जबकि उत्तराखंड में 63, चंडीगढ़ और असम में 59-59, हिमाचल प्रदेश में 50 और लद्दाख में 42 मामले सामने आए। अंडमान और निकोबार द्वीप में कोविड-19 के 33 मामले सामने आए। मेघालय में 12, पुडुचेरी में नौ और गोवा में 19 लोग संक्रमित पाए गए। मणिपुर में दो मामले सामने आए। मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और दादर एवं नागर हवेली में एक-एक मामला सामने आया।


कोविड-19 की जांच बढ़कर प्रतिदिन 95,000 हुई


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शनिवार को कहा कि कोविड-19 की जांच बढ़कर प्रतिदिन लगभग 95,000 हो गई है, जबकि 332 सरकारी और 121 निजी प्रयोगशालाओं में अब तक कुल 15 लाख 25 हजार 631 जांच हुई है। स्वास्थ्य मंत्री ने पूर्वोत्तर के राज्यों में कोविड-19 स्थिति और इसके प्रसार को रोकने के लिये उठाये गये कदमों की समीक्षा की। उन्होंने चबाने वाले तंबाकू का उपयोग रोकने और सार्वजनिक स्थानों पर थूकने को निषिद्ध करने के लिये ठोस कदम उठाये जाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे संक्रमण के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी। अरूणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम के प्रतिनिधियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक में हर्षवर्धन ने कोविड-19 से निपटने में सभी राज्यों के समर्पण की सराहना की। बयान में हर्षवर्धन के हवाले से कहा गया है, ‘‘यह एक बड़ी राहत है और यह देखना बहुत सुखद है कि पूर्वोत्तर के ज्यादातर राज्यों में ‘ग्रीन जोन’ हैं। आज की तारीख में सिर्फ असम और त्रिपुरा में ही कोविड-19 के मामले रह गये हैं। अन्य सभी राज्य ग्रीन जोन में हैं। आइए हम ध्यान केंद्रित करें और ‘ऑरेंज जोन’ को ग्रीन जोन में तब्दील करने के लिये साथ मिल कर काम करें।’’ उन्होंने कुछ राज्यों में चबाने वाले तंबाकू का काफी मात्रा में उपभोग होने और सार्वजनिक स्थानों पर थूके जाने की समस्या के प्रति भी आगाह किया। हर्षवर्धन ने चबाने वाले तंबाकू के उपयोग को प्रतिबंधित करने वाले राज्यों की कोशिशों की सराहना करते हुए कहा, ‘‘इस दिशा में कठोर कदम उठाये जाने की जरूरत है।’’ स्वास्थ्य मंत्री ने कोविड-19 की जांच के बारे में कहा, ‘‘देश में जांच बढ़ गई है और 332 सरकारी एवं 121 निजी प्रयोगशालाओं की बदौलत यह प्रतिदिन 95,000 हो गई है। अभी तक कोविड-19 की 15 लाख 25 हजार 631 जांच हुई है।’’ शनिवार सुबह आठ बजे तक त्रिपुरा में 118, असम में 59, मेघालय में 12, मणिपुर में दो जबकि मिजोरम और अरूणाचल प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के एक-एक मामले सामने आये हैं। मेघालय और असम में अभी तक एक-एक मरीज की मौत हुई है। बयान में कहा गया है कि जिन राज्यों की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं हैं, उन्हें सीमावर्ती इलाकों में प्रवेश स्थानों पर सभी लोगों की निगरानी के लिये उपयुक्त कदम उठाने की जरूरत है।

 

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कोविड-19 के केवल गंभीर मरीजों की ही जांच होगी


केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 मामलों के लिए अस्पताल से छुट्टी दिये जाने की नीति में बदलाव किया है। अब कोरोना वायरस संक्रमण के केवल गंभीर मरीजों की ही अस्पताल से छुट्टी दिये जाने से पहले जांच की जायेगी। नये बदलावों के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमित रोगियों में गंभीर बीमारी विकसित होती है या रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती है तो ऐसे मरीजों को अस्पताल द्वारा छुट्टी देने से पहले आरटी-पीसीआर जांच करानी होगी। कोविड-19 के हल्के और बहुत हल्के मामलों में लक्षणों के समाप्त होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दिये जाने से पहले जांच कराये जाने की जरूरत नहीं होगी। अब तक के नियमों के अनुसार, किसी मरीज को तब छुट्टी दी जाती थी जब 14 दिन पर उसकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आती थी और इसके बाद फिर 24 घंटे के अंतराल में रिपोर्ट निगेटिव आती थी। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में कोविड-19 से मृतकों की संख्या 1,981 हो गई है और शनिवार को इसके मामलों की संख्या 59,662 पहुंच गई है। पिछले 24 घंटे में 95 और लोगों की मौत हुई और इस वायरस के 3,320 नये मामले सामने आये है। संशोधित नीति में कहा गया है कि यदि मरीज का बुखार तीन दिन में ठीक हो जाता है और अगले चार दिन मरीज (ऑक्सीजन की मदद के बिना) ‘सैचुरेशन’ 95 प्रतिशत से अधिक बनाये रखता है तो इस तरह के मरीज को 10 दिन में अस्पताल से छुट्टी दी जा सकती है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘अस्पताल से छुट्टी से पहले जांच की आवश्यकता नहीं होगी।’’ छुट्टी दिये जाने के समय मरीज को दिशा-निर्देशों के अनुसार सात दिन घर में पृथक रहने को कहा जायेगा। कोविड-19 के हल्के लक्षणों वाले मरीजों को कोविड देखभाल केन्द्र में भर्ती किया जायेगा जहां उनके तापमान की नियमित जांच की जायेगी। संशोधित नीति में कहा गया है, ‘‘लक्षण शुरू होने के 10 दिन बाद और तीन दिन तक बुखार नहीं होने के बाद रोगी को छुट्टी दी जा सकती है। छुट्टी दिये जाने से पहले मरीज को जांच की जरूरत नहीं होगी।’’ केन्द्र से छुट्टी दिये जाने के बाद यदि मरीज में फिर से बुखार, खांसी या सांस लेने में दिक्कत संबंधी लक्षण सामने सामने आते है तो वे कोविड देखभाल केन्द्र या राज्य हेल्पलाइन या 1075 पर संपर्क कर सकते हैं।


दिल्ली सरकार के दावे पर जद (यू) का तंज


बिहार में सत्तारूढ़ जद (यू) ने शनिवार को आम आदमी पार्टी पर निशाना साधा और कहा कि उसने दिल्ली से प्रवासी कामगारों को बिहार भेजने पर आने वाला खर्च वहन करने का दावा किया है। लेकिन आप ‘‘आधा-सच" ही बोल रही है क्योंकि अरविंद केजरीवाल सरकार ने भुगतान की गयी राशि की प्रतिपूर्ति की मांग की है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली पार्टी जद (यू) ने आप पर “लोकप्रियता हासिल करने के लिए सस्ती राजनीति” करने का आरोप लगाया। पार्टी ने इस मुद्दे पर विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव पर भी हमला बोला जिन्होंने इस मुद्दे पर राज्य सरकार पर निशाना साधा था। आप ने शुक्रवार को दावा किया था कि बिहार सरकार द्वारा ध्यान नहीं देने के बाद केजरीवाल सरकार ने प्रवासी मजदूरों की यात्रा पर आने वाला खर्च वहन किया। दिल्ली के मंत्री गोपाल राय ने शुक्रवार को ट्वीट किया था, ‘‘1,200 प्रवासी मजदूरों को लेकर एक ट्रेन आज मुजफ्फरपुर, बिहार के लिए रवाना हुई। अरविंद केजरीवाल सरकार उनकी यात्रा पर आने वाला खर्च वहन करेगी।” जद (यू) के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने आप पर तीखा पलटवार करते हुए शनिवार को कहा, “सबसे पहले, उन्होंने (दिल्ली सरकार) ने किराए का भुगतान किया और बाद में उसके मंत्री गोपाल राय ने इसे ट्विटर पर पोस्ट किया।’’ उन्होंने कहा, "इसके बाद दिल्ली सरकार ने बिहार सरकार को एक पत्र भेजा, जिसमें कहा गया है कि वह किराए पर आए खर्च की प्रतिपूर्ति करे ... गोपाल राय ने अपने पोस्ट के माध्यम से लोगों को आधा सच ही बताया।" प्रसाद ने कहा, "इस तरह का हथकंडा सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए होता है।" उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने स्पष्ट किया है कि पृथक-वास केंद्र पर 21 दिन पूरा करने के बाद लोगों को पूरे खर्च की प्रतिपूर्ति की जाएगी और 500 रुपये की अतिरिक्त सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को 1,000 रुपये की न्यूनतम सहायता दी जाएगी। जद (यू) प्रवक्ता ने तेजस्वी यादव के हालिया बयानों को लेकर उन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ''पहले, आपने (यादव) ने 50 बसें देने की बात की (कोटा में फंसे छात्रों को बिहार लाने के लिए), फिर 200 ट्रेनों के लिए किराया देने की बात की... आपके वादों की सूची लंबी होती जा रही है। सबसे पहले, आपको संकट की इस घड़ी में लोगों के सामने आना चाहिए।" राज्य में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।


अभी तक चली हैं 302 ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनें


भारतीय रेल ने एक मई से अभी तक कुल 302 ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनें चलायीं हैं जिनके माध्यम से कोविड-19 लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे कामगारों में से तीन लाख से ज्यादा को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया है। रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि भारतीय रेल ने शनिवार को 47 ट्रेनें चलाने की योजना बनायी थी, जिनमें से 34 रवाना हो चुकी हैं। प्रत्येक ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेन में 24 डिब्बे हैं और उनमें 72 सीटें हैं, लेकिन सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए प्रत्येक डिब्बे में सिर्फ 54 लोगों को बैठने की अनुमति दी जा रही है। इन ट्रेनों में मिडिल बर्थ (शयनयान की बीच वाली सीट) किसी को नहीं दी जा रही है। रेलवे ने अभी तक इन ट्रेनों के संचालन पर आए खर्च के बारे में कुछ नहीं कहा है, लेकिन अधिकारियों ने संकेत दिया कि रेलवे प्रत्येक ट्रेन पर करीब 80 लाख रुपये खर्च कर रही है। सरकार ने इस संबंध मे पहले कहा था कि इन ट्रेनों के संचालन में आने वाले खर्च का वहन केन्द्र और राज्य सरकारें 85:15 के अनुपात में करेंगी। ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनों का संचालन शुरु होने के बाद सबसे ज्यादा ट्रेनें गुजरात से रवाना हुई हैं, वहीं केरल दूसरे स्थान पर है। इन ट्रेनों में से सबसे ज्यादा का गंतव्य बिहार और उत्तर प्रदेश रहा है।

 

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10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच


केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने शनिवार को कहा कि कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच शिक्षकों द्वारा अपने घरों पर की जाएगी। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को उत्तर पुस्तिकाएं सौंपने के लिए 3,000 स्कूलों को परीक्षा केंद्र के रूप में चिन्हित किया गया है। उन्होंने कहा कि कक्षा 10 और 12 की हो चुकी परीक्षाओं की 1.5 करोड़ उत्तर पुस्तिकाएं शिक्षकों को दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि 3,000 स्कूलों से ये उत्तर पुस्तिकां शिक्षकों के बीच वितरित की जाएंगी और कल से उत्तर पुस्तिकाओं की जांच शुरू हो जाएगी। यह प्रक्रिया 50 दिनों में पूरी हो जाएगी। कोरोना वायरस पर काबू के लिए देश भर में लागू लॉकडाउन के कारण उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में देर हुई है। बोर्ड की लंबित परीक्षाएं एक से 15 जुलाई के बीच होंगी।


चलेंगी विशेष ट्रेन


पश्चिम बंगाल सरकार लॉकडाउन के कारण तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और पंजाब में फंसे 30 हजार से अधिक लोगों को राज्य वापस लाने के लिए विशेष ट्रेनों की व्यवस्था कर रही है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि फंसे हुए लोग ज्यादातर प्रवासी श्रमिक, मरीज और उनके परिजन, छात्र, तीर्थयात्री और पश्चिम बंगाल के पर्यटक हैं। अधिकारी ने कहा, "इस संबंध में अन्य राज्य सरकारों के अधिकारियों के साथ बातचीत चल रही है। सारे निर्णय लिए जा चुके हैं। हमारे नोडल अधिकारी मामले पर लगातार संज्ञान ले रहे हैं।" उन्होंने कहा कि चार राज्यों में कुल 31,224 लोग फंसे हुए हैं, जिनमें से आधे से अधिक (17,000) तेलंगाना में हैं। अधिकारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल के लगभग 7,500 लोगों को लेकर आने वाली तीन ट्रेन शनिवार को कर्नाटक के बेंगलुरु से रवाना होकर रविवार और सोमवार को बांकुरा, पुरुलिया और न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन पहुंचेंगी। उन्होंने कहा कि लगभग 2,418 लोग दो ट्रेनों में सोमवार को तमिलनाडु के वेल्लोर से रवाना होकर मंगलवार को खड़गपुर और हावड़ा रेलवे स्टेशनों पर पहुंचेंगे। अधिकारी ने कहा कि पंजाब में फंसे लोगों को वापस लाने के लिए दो ट्रेनों की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना में फंसे 17 हजार लोगों को राज्य लाने के लिए अगले सप्ताह ट्रेन चलाए जाने की उम्मीद है। पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के असहयोग के दावे का खंडन करते हुए शनिवार को कहा कि राज्य के बाहर फंसे लगभग 6,000 लोगों को वापस लाया जा चुका है और अन्य राज्यों में लॉकडाउन के कारण फंसे लोगों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित कर दी गई है। शाह ने कहा था कि पश्चिम बंगाल सरकार प्रवासियों के वाहनों को राज्य में पहुंचने नहीं दे रही है जिससे फंसे हुए मजदूरों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पश्चिम बंगाल के गृह सचिव अलपन बंदोपाध्याय ने कहा कि बंगाल में फंसे प्रवासी मजदूरों और राज्य के बाहर फंसे लोगों को घर पहुंचाने के लिए राज्य सरकार पूरी कोशिश कर रही है।


तमिलनाडु में लॉकडाउन में और ढील


तमिलनाडु सरकार ने गैर-निषिद्ध क्षेत्रों में लॉकडाउन में और ढील देते हुए शनिवार को निजी कंपनियों को 33 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ काम करने की अनुमति दे दी। साथ ही सरकार ने 11 मई से चाय की दुकानें खोलने की भी अनुमति दी है, हालांकि दुकानों में बैठकर चाय पीने पर रोक रहेगी। सरकार ने सोमवार से पूरे तमिलनाडु में किराना और सब्जी की दुकानों को खुली रखने का समय शाम 5 बजे से बढ़ाकर 7 बजे तक कर दिया है। यह दुकानें सुबह 6 बजे से खोली जा सकती हैं। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि चेन्नई में आसपास की दुकानें और एकल दुकान सुबह साढ़े 10 बजे से शाम 6 बजे तक खोली जा सकती हैं। अब तक इन्हें शाम पांच बजे तक ही खोलने की अनुमति थी। राज्य के अन्य भागों में इस प्रकार की दुकानों को खोलने का समय सुबह 10 बजे और बंद करने का वक्त शाम 7 बजे है। इसके अलावा भी कई और तरह की छूट दी गई हैं।


केरल में दो नए मामले सामने आए


केरल में शनिवार को दो लोग कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हैं। दोनों दुबई और अबूधाबी से लौटे हैं, जिन्हें केन्द्र सरकार विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के मिशन के तहत सात मई को स्वदेश लाई है। इनका कोच्चि और कोझिकोड़ में इलाज चल रहा है। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि दो लोगों के संक्रमित पाए जाने के बाद संक्रमितों की संख्या 505 हो गई है। फिलहाल 17 लोगों का इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा कि इडुक्की के निवासी एक रोगी को ठीक होने के बाद आज छुट्टी दे दी गई। मुख्यमंत्री ने कहा, 'राज्य में 23,930 लोगों को निगरानी में रखा गया है, इनमें से 334 लोग विभिन्न अस्पातलों के पृथक वार्ड में भर्ती हैं।' विजयन ने कहा कि केरल में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए 505 में से 485 लोग ठीक हो गए हैं। राज्य में तीन रोगियों की मौत हुई है।

 

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मजदूरों के शव उनके गांव पहुंचे


लॉकडाउन के चलते ट्रेन या कोई और साधन नहीं मिलने के कारण उन्होंने महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश में अपने घर आने के लिए पैदल यात्रा शुरू की थी, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था वे अपने घर तो पहुंचे लेकिन जिंदा नहीं बल्कि विशेष रेलगाड़ी में एक शव के रूप में। एक पुलिस अधिकारी ने शनिवार को बताया कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में रेल हादसे में मारे गये मध्यप्रदेश के 16 प्रवासी श्रमिकों के शव दो डिब्बों में पहले एक विशेष रेलगाड़ी में जबलपुर तक लाये गए फिर आगे शहडोल और उमरिया लाए गये। उन्होंने बताया कि पांच शवों को लेकर एक बोगी दोपहर करीब तीन बजे उमरिया पहुंची। उमरिया के जिलाधिकारी ने शवों को एम्बुलेंस में उनके गांव भेजने की व्यवस्था की। उमरिया जिले के पांच मृतक युवक मामन और चिल्हारी गांव के रहने वाले हैं जबकि दूसरी बोगी 11 शवों को लेकर लगभग चार बजे शहडोल पहुंची। स्थानीय सांसद हिमाद्री सिंह और वरिष्ठ अधिकारी रेलवे स्टेशन पर मौजूद थे। शहडोल जिले के 11 मृतक शाहरगढ़ और अंतोली गांव के रहने वाले थे। शहडोल और उमरिया दोनों जिलों के कुछ अधिकारी एम्बुलेंस में शवों के साथ संबंधित गांवों तक गये और परिजन को सांत्वना दी। मृतकों के पैतृक गांवों में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में रेल की पटरियों पर सो रहे 16 प्रवासी मजदूरों की शुक्रवार सुबह एक मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई थी। 20 मजदूरों के इस समूह में केवल चार ही जीवित बचे क्योंकि ये पटरियों से दूर सो रहे थे। भुसावल की ओर पैदल जा रहे ये मजदूर मध्य प्रदेश लौट रहे थे। पुलिस से बचने के लिये वे रेल की पटरियों के किनारे चल रहे थे और थकान के कारण पटरियों पर ही सो गए थे। ये सभी महाराष्ट्र के जालना की एक इस्पात कारखाने में काम करते थे और कोविड-19 लॉकडाउन के कारण बेरोजगार होने के बाद मध्यप्रदेश में अपने घरों को लौट रहे थे।


9.13 करोड़ किसानों को सरकार ने दिये 18,253 करोड़ रुपये


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि देश भर में लागू लॉकडाउन के दौरान पीएम-किसान योजना के तहत 9.13 करोड़ किसानों को 18,253 करोड़ रुपये दिये गये हैं। सीतारमण ने ट्विटर पर इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘‘मार्च 2020 के बाद से लॉकडाउन के दौरान देश भर के 9.13 करोड़ किसानों को पीएम-किसान योजना के तहत 18,253 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। लगभग तीन करोड़ किसानों ने कुल 4,22,113 करोड़ रुपये के कृषि ऋण की किस्तें चुकाने से तीन महीने की राहत का लाभ उठाया है।’’ पीएम-किसान (प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि) योजना के तहत प्रत्येक किसान को तीन किस्तों में एक साल में 6,000 रुपये सीधे बैंक खाते में मिलते हैं। पीएम-किसान योजना की पहली किस्त का किया गया भुगतान कोरोना वायरस महामारी के असर से गरीब लोगों को बचाने के लिये 26 मार्च को घोषित 1.70 लाख करोड़ रुपये के प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (पीएमजीकेपी) का हिस्सा है। पहली किस्त का भुगतान शीघ्र कर दिया गया है। कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च से देश भर में लॉकडाउन लागू करने की घोषणा की थी। पहले यह 14 अप्रैल को समाप्त हो रहा था, लेकिन तब से इसे दो बार बढ़ाया जा चुका है। सीतारमण ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘सरकारी बैंकों ने आपातकालीन ऋण सुविधा तथा कार्यशल पूंजी की विस्तार की योजना के पात्र 95 प्रतिशत से अधिक कर्जदारों से 20 मार्च से 6 मई के बीच संपर्क किया। इसके तहत स्वीकृत राशि दो दिन पहले के आंकड़े से दो गुने से भी अधिक होकर 54,544 करोड़ रुपये तक पहुंच गयी। मामलों की संख्या तीन गुना से अधिक हो गयी।’’ केंद्र सरकार ने बुनियादी संरचना की परियोजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार को बढ़ावा देने के प्रयास में राज्यों को ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि के तहत सहायता प्रदान की है। वित्त मंत्री ने इस बारे में ट्वीट किया, "बुनियादी संरचना की परियोजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार को बढ़ावा देने के लिये मार्च 2020 के दौरान ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि के तहत राज्यों को 4224 करोड़ रुपये का समर्थन प्रदान किया गया है। राज्य सरकार की संस्थाओं को कृषि से संबंधित वस्तुओं की खरीद के लिये मार्च 2020 के बाद से 6700 करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी मंजूर की गयी है।’’


अहमदाबाद के डॉक्टरों को दिए दिशा निर्देश


अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के विशेषज्ञों ने गुजरात के अहमदाबाद शहर में स्थित सिविल अस्पताल का शनिवार को दौरा किया और कोविड-19 महामारी से मुकाबला करने में सबसे आगे खड़े चिकित्सकों और कर्मचारियों से मुलाकात की। शहर में कोविड-19 के मरीजों की मौत की दर साढ़े छह प्रतिशत है जो कि देश में इस बीमारी से होने वाली मौत की दर 3.3 प्रतिशत से लगभग दोगुनी है। एक अधिकारी ने बताया कि एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया और एम्स के चिकित्सा विभाग के डॉ. मनीष सोनेजा भारतीय वायु सेना के विशेष विमान से शुक्रवार को अहमदाबाद पहुंचे। एक विज्ञप्ति में बताया गया कि दोनों वरिष्ठ डॉक्टर सिविल अस्पताल गये और कोविड-19 के मरीजों का इलाज और देखभाल कर रहे डॉक्टरों तथा नर्सों से मुलाकात कर उन्हें दिशा-निर्देश दिए। प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) जयंती रवि ने भी अस्पताल में चिकित्साकर्मियों से मुलाकात की। मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से आग्रह किया था कि कोरोना वायरस मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों को दिशा निर्देश देने के लिए विशेषज्ञों को भेजा जाये।


सूरत में प्रवासी श्रमिकों और पुलिस में झड़प


गुजरात के सूरत जिले के एक गांव में गृह राज्य भेजने या फैक्टरियों में काम की इजाजत की मांग करते हुये सैकड़ों प्रवासी श्रमिक सड़कों पर उतर आए आए। पुलिस ने उन्हें समझाने का प्रयास किया तो श्रमिक उन से भिड़ गए। एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठी चार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। इस संबंध में सौ से अधिक श्रमिकों को हिरासत में लिया गया है। घटना हजीरा औद्योगिक नगर के पास स्थित मोरा गांव में हुई। संयुक्त पुलिस आयुक्त (सेक्टर दो) डीएन पटेल ने बताया, “सौ से अधिक श्रमिक अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतर आए, जिसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया। उनकी मांग थी कि या तो उन्हें घर भेजा जाए या हजीरा की उन औद्योगिक इकाइयों में जहां वे कार्यरत थे, उन्हें रोजगार और वेतन प्रदान किया जाए।” पटेल ने कहा कि मोरा गांव में श्रमिकों की कॉलोनी में घरों से बाहर आए श्रमिक बड़े समूह में एकत्रित होकर हजीरा औद्योगिक क्षेत्र की तरफ बढ़ने लगे। उन्होंने कहा कि श्रमिकों की मांग थी कि जिला प्रशासन उन्हें उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और अन्य राज्यों में स्थित उनके गृह नगर भेजने का प्रबंध करे। पटेल ने कहा, “कुछ श्रमिकों ने पुलिस पर पथराव किया जिसके बाद आंसू गैस के चार गोले छोड़े गए और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए हमें लाठी चार्ज करना पड़ा।” एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि क्षेत्र से प्राप्त सीसीटीवी फुटेज के आधार पर घटना के संबंध में मामले दर्ज कर लिए गए हैं और वर्तमान में स्थिति नियंत्रण में है।

 

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सुगम घर वापसी का मोदी से अनुरोध


राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया कि वह उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करें जो प्रवासी कामगारों को वापस घर आने की इजाजत नहीं दे रहे हैं। कोरोना वायरस की वजह से जारी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी कामगारों की उनके गृह राज्य वापसी के मुद्दे पर पवार ने रेल मंत्री पीयूष गोयल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की। राकांपा प्रमुख ने ट्वीट किया, “मैं विनम्रता पूर्वक हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से अनुरोध करता हूं कि वो उन संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात कर मामले में दखल दें जो इन लोगों को वापस घर आने की इजाजत नहीं दे रहे हैं।” उन्होंने ट्वीट में हालांकि किसी राज्य का नाम नहीं लिया लेकिन राकांपा ने हाल में आरोप लगाया था कि भाजपा शासित उत्तर प्रदेश और कर्नाटक अपने राज्य के श्रमिकों को वापस नहीं लेना चाहते। पवार ने ट्वीट किया, “महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और रेल मंत्री पीयूष गोयल के साथ प्रवासी कामगारों के मुद्दे पर चर्चा की।” उन्होंने कहा कि ठाकरे ने उन्हें आश्वस्त किया है कि अपने गृह राज्य जाने के इच्छुक कामगारों के परिवहन के लिये इंतजाम कर रहे हैं। पवार ने कहा, “इस यात्रा के लिये राज्य परिवहन की बसों का इस्तेमाल किया जाएगा।” पवार ने कहा कि गोयल ने भी ट्रेन से कामगारों की यात्रा का इंतजाम करने का आश्वासन दिया है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में शुक्रवार को पटरी पर सो रहे 16 प्रवासी कामगारों की मालगाड़ी से कटकर मौत हो गई थी।


कोविड-19 से मरने वाले मुसलमानों को दफनाने का आग्रह किया


श्रीलंका में मुस्लिम धर्मगुरुओं ने सरकार से आग्रह किया है कि वह कोरोना वायरस के कारण जान गंवाने वाले मुसलमानों के अंतिम संस्कार को लेकर अपने फैसले पर पुनर्विचार करें। उनका कहना है कि संशोधित नियम इस्लामी परंपरा के खिलाफ है। गौरतलब है कि श्रीलंका ने देश के मुसलमानों के विरोध को अनदेखा करते हुए कोरोना वायरस मृतकों का अंतिम संस्कार के तहत दहन अनिवार्य किया है। स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक को लिखे पत्र में, ऑल सीलोन जमियतुल उलेमा (एसीजेयू) ने दावा किया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों के अनुसार 180 से अधिक देशों में कोविड-19 से मरने वाले मुसलमानों को दफनाने की अनुमति दी गई है। पत्र में लिखा गया, ‘‘देश के कानून का पालन करना और इसके प्रति लोगों का मार्गदर्शन करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। इसका मतलब यह नहीं है कि हम इस फैसले का समर्थन करते हैं या सहमति देते हैं क्योंकि यह हमारे धार्मिक सिद्धांतों के खिलाफ है।’’ उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों से इस फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि शव को दफनाने से वायरस के फैलने खतरा होगा। देश में इस घातक संक्रामक बीमारी से अब तक नौ लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें कम-से-कम तीन मुसलमान हैं। मुस्लिम मृतकों के परिजनों के विरोध के बावजूद उनके शवों का दहन किया गया था। श्रीलंका में अब तक कोरोना वायरस के 835 मामले सामने आए हैं। इनमें से 404 श्रीलंकाई नौसेना के जवान हैं। देश में 20 मार्च से लॉकडाउन लगा हुआ है, लेकिन सरकार ने 11 मई से इसे हटाने की योजना बनाई है।


जॉनसन रविवार को करेंगे राष्ट्र को संबोधित


ब्रिटेन में कोरोना वायरस संक्रमण से डेढ़ महीने की एक बच्ची की मौत हो गई है। देश में इस महामारी से इतने छोटे शिशु की मौत होने का यह पहला मामला है। इसके साथ ही, ब्रिटेन में कोविड-19 से होने वाली मौतों का आधिकारिक आंकड़ा बढ़ कर 31,241 पहुंच गया है। कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये लागू लॉकडाउन की सख्त पाबंदियों में छूट देने की ब्रिटेन द्वारा तैयारी करने के बीच डेढ़ महीने की इस बच्ची की शुक्रवार को संक्रमण से मौत हो गई। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन रविवार को टीवी पर राष्ट्र को संबोधित करेंगे, जिस दौरान वह अर्थव्यवस्था को खोलने की शुरूआत करने के लिये एक ‘‘व्यापक योजना’’ पेश करेंगे। इस बीच, ब्रिटेन ने आयरलैंड को छोड़ कर दुनिया के किसी भी हिस्से से आने वाले यात्रियों के लिये 14 दिनों के अनिवार्य पृथक-वास का नियम लागू करने की योजना बनाई है। इस नये प्रतिबंध के इस महीने के आखिर से प्रभावी होने की उम्मीद है। नयी पाबंदियों के तहत ब्रिटेन पहुंचने वाले ब्रिटेनवासी सहित अन्य यात्रियों को एक निजी आवास में पृथक-वास में रहना होगा और नियमों का उल्लंघन करने पर उन्हें वापस भेज दिया जाएगा या फिर उन पर 1,000 पाउंड का जुर्माना लगाया जाएगा। पिछले महीने यह खुलासा हुआ था कि करीब 15,000 लोग प्रत्येक दिन पहुंच रहे हैं। ‘द टाइम्स’ की खबर के मुताबिक जॉनसन रविवार को टीवी पर अपने संबोधन में इस नये नियम की घोषणा करेंगे।


रविवार से खुलने लगेंगे तनिष्क के स्टोर


टाटा के आभूषण ब्रांड तनिष्क ने देश भर में अपने 328 स्टोर को फिर से खोलने की शनिवार को घोषणा की। करीब डेढ़ महीने से बंद पड़े स्टोर को चरणबद्ध तरीके से खोला जाएगा और इसकी शुरुआत रविवार को 50 स्टोर के साथ होगी। तनिष्क ने एक बयान में कहा कि वह स्टोर को फिर से खोलने और इनके परिचालन के दौरान कोरोना वायरस से संबंधित सुरक्षा व बचाव के सभी नियमों का अनुपालन करेगा। उसने कहा कि उसने स्वर्ण मानक सुरक्षा ई-बुक की शुरुआत की है। इससे ग्राहकों और उसके कर्मचारियों की सुरक्षा व कल्याण के प्रति कंपनी की प्रतिबद्धता का पता चलता है। उसने कहा कि इसके दायरे में संपर्क रहित खरीदारी तथा लोगों के बीच आपसी दूरी समेत कर्मचारियों और ग्राहकों के बीच संपर्क की सभी गुंजाइश को लाया गया है। टाइटन कंपनी लिमिटेड के आभूषण खंड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अजय चावला ने कहा, ‘‘हम अपने स्टोर को चरणबद्ध तरीके से फिर से खोल रहे हैं क्योंकि प्रत्येक स्टोर को परिचालन शुरू करने से पहले मानक जांच से गुजरना है। यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक स्टोर कर्मचारियों और ग्राहकों को प्रबंधित करने के लिये पूरी तरह से तैयार हैं।’’

 

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190 अरब डॉलर के उत्पादन का हुआ नुकसान


निवेशकों के साझा कोष का प्रबंध करने वाली कंपनी कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट के प्रबंध निदेशक (एमडी) निलेश शाह ने शनिवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये देश भर में लागू किये गये लॉकडाउन से भारतीय कंपनियों को 190 अरब डॉलर (करीब 14 लाख करोड़ रुपये) के उत्पादन का नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि कारोबारियों को दोबारा काम-काज शुरू करने के लिये काफी लागत उठानी होगी। शाह ने उद्योग एवं वाणिज्य संगठन एसोचैम के द्वारा शुक्रवार की शाम आयोजित वेबिनार ‘कोविड-19: भारतीय म्यूचुअल फंड पर प्रभाव और अवसर’ में यह टिप्पणी की। शाह एसोसियेशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के चेयरमैन भी हैं। एसोचैम ने शनिवार को जारी बयान में शाह के हवाले से कहा कि उत्पादन के इस नुकसान की भरपाई में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और सरकार तथा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से राजकोषीय व मौद्रिक समर्थन अथवा प्रोत्साहन की बड़ी भूमिका हो सकती है। शाह ने कार्यक्रम में कहा, ‘‘हमारी अर्थव्यवस्था (जीडीपी) सालाना करीब तीन हजार अरब डॉलर की है। कारोबार पूरी तरह से बंद हो तो एक माह का उत्पादन नुकसान 250 अरब डॉलर होगा। यदि 50 फीसदी काम-काज ही बंद हों तो एक महीने में यह नुकसान 125 अरब डॉलर का होगा। इस तरह यदि हम मान कर चलें कि 17 मई के बाद कारोबार पूरी तरह खुल जायेगा, तो 47 दिन में उत्पादन का नुकसान 190 अरब डॉलर के आस-पास रह सकता है।’’ उन्होंने कहा कि मौजूदा समय को अब तक के सबसे कठिन दौर में से एक बताया जा रहा है। इस समय अभूतपूर्व संकट के दौरान कच्चे तेल का भाव गिरने और व्यापार घाटा कम होने से हमें थोड़ा लाभ हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह भारत के लिये एक बड़ा अवसर है कि देश अपनी साख का फायदा उठा कर प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी (एफडीआई) को आकर्षित करे। इससे घरेलू बचत से होने वाले निवेश को बल मिलेगा तथा आर्थिक वृद्धि तेज होगी।'' उन्होंने कहा कि शेयर और बांड बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) तथा चीन से कंपनियों को भारत में एफडीआई के लिये आकर्षित करने से लॉकडाउन के कारण हुए नुकसान की भरपाई में मदद मिल सकती है। एसोचैम की विज्ञप्ति के अनुसार शाह ने कहा कि कच्चा तेल सस्ता होने से इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था को 40-50 अरब डॉलर का लाभ होगा। इसी तरह यदि भारत चीन में बने सामानों की जगह स्थानीय स्तर पर सामानों का विनिर्माण करा पाये तो इससे 20 अरब डॉलर की बचत हो सकती है। ऐसे में हमें लॉकडाउन के कारण हुए उत्पादन नुकसान में सिर्फ बचे 130 अरब डॉलर की भरपाई करने की ही जरूरत बचेगी। उन्होंने कहा कि इस समय कुछ उद्योगों को अनुदान या सब्सिडी की जरूरत है। इसके लिये राजकोषीय प्रोत्साहन जरूरी है। एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने इस कार्यक्रम में कहा कि इस समय बाजार में उतार चढ़ाव का दौर है और म्यूचुअल फंड कंपनियों को निवेश के कम खर्चीले रास्तों की जरूरत है। चर्चा में मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष पी. सोमैया, डीएसपी इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के कल्पेन पारेख और रिलायंस सिक्योरिटीज के कार्यकारी निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी लव चतुर्वेदी आदि भी शामिल थे। गौरतलब है कि कोविड-19 के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में आ गयी है और इसका असर भारत पर भी पड़ा है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने 2020-21 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर शून्य रहने का अनुमान लगाया है और 2021-22 में तेजी के लौट पाने की उम्मीद जताई है। राजस्व वसूली में भारी गिरावट के चलते वित्त मंत्रालय ने भी शुक्रवार को जारी बयान में कहा, ‘‘2020-21 में अनुमानित सकल बाजार उधारी 12 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। बजट अनुमान 2020-21 में इसे 7.80 लाख करोड़ रुपये रखा गया था।’’ कोविड-19 संकट की वजह से बाजार कर्ज के अनुमान में बढ़ोतरी जरूरी हो गयी।


प्रतिबंध की तैयारी कर रहा है अमेरिका


अमेरिका अस्थायी तौर पर एच-1बी जैसे कुछ कार्य वीजा पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है। भारत के आईटी सचना प्रौद्यागिकी में दक्ष पेशेवरों में यह वीजा काफी लोकप्रिय है। इसके अलावा अमेरिकी सरकार पढ़ाई के लिए आने वाले छात्र-छात्राओं के वीजा और कार्य-अधिकरण वीजा पर भी अस्थायी पाबंदी लगाने की तैयारी में है। मीडिया की खबरों में कहा गया है कि कोरोना वायरस की वजह से अमेरिका में बेरोजगारी काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है। इसके मद्देनजर अमेरिका यह कदम उठाने जा रहा है। एच-1बी गैर-आव्रजक (अस्थायी कार्य के लिए) वीजा है। इसके जरिये अमेरिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों के कुशल व्यक्तियों को कुछ विशेषज्ञता वाले पदों पर नियुक्ति कर सकती हैं। अमेरिका में करीब 5,00,000 प्रवासी कर्मचारी एच-1बी वीजा पर काम कर रहे हैं। ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आव्रजन सलाहकार इस में सरकारी आदेश जारी करने के लिए योजना बना रहा है। यह आदेश इसी महीने आ सकता है। इसके तहत कुछ नए अस्थायी कार्य आधारित वीजा पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। यह आदेश एच-1बी वीजा, सीजन के हिसाब से काम पर आने वाले आव्रजन श्रमिकों के लिए एच-2बी वीजा, छात्र वीजा और इसके साथ आने वाला कार्य अधिकरण वीजा पर केंद्रित होगा। कोरोना वायरस महामारी की वजह से पिछले दो माह में 3.3 करोड़ से अधिक अमेरिकी बेरोजगार हुए हैं। इस महामारी की वजह से अमेरिकी अर्थव्यवस्था ठहर गई।


किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम


सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन का बचाव करते हुए राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा है कि कोविड-19 की लड़ाई ने एक बार फिर दिखाया है कि सीपीसी नेतृत्व और देश की सामाजिक राजनीतिक नेतृत्व व्यवस्था किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। कोरोना वायरस के खिलाफ शुरू में कार्रवाई नहीं करने के लिए चीन की पूरी दुनिया में हो रही आलोचना के बाद शी का यह बयान आया है। चीन के अधिकारियों के मुताबिक यह वायरस पिछले वर्ष दिसम्बर में चीन के शहर वुहान में सामने आया था। बीजिंग पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह वायरस की उत्पत्ति की अंतरराष्ट्रीय जांच पर सहमत हो। शी सीपीसी के प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि चीन ने करीब एक महीने में कोरोना वायरस के प्रसार पर रोक लगा दी और इसके केंद्र बिंदु वुहान में करीब तीन महीने के अंदर इस पर नियंत्रण पा लिया। उन्होंने कोविड-19 के निवारण एवं नियंत्रण पर गैर सत्तारूढ़ सीपीसी दलों का सुझाव जानने के लिए आयोजित एक सेमिनार में ये बातें कहीं। उन्होंने कोविड-19 महामारी पर रोकथाम को दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश और दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए ‘‘कठिन परिश्रम से अर्जित उपलब्धियां करार दिया।’’ उन्होंने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई ने एक बार फिर दिखाया है कि सीपीसी नेतृत्व, चीन की समाजवादी व्यवस्था और इसकी प्रशासनिक व्यवस्था किसी भी चुनौती से पार पा सकती है और मानव सभ्यता की प्रगति में बड़े योगदान कर सकती है। शी ने कहा कि चीन ने एक महीने से थोड़ा अधिक समय में वायरस के प्रसार पर काबू पा लिया है। उन्होंने कहा, ‘‘140 करोड़ की आबादी वाले देश के लिए यह कठिन परिश्रम से अर्जित उपलब्धियां हैं।’’ शी ने चीन में एक पार्टी की राजनीतिक व्यवस्था की प्रशंसा की।


-नीरज कुमार दुबे


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