सांप की तरह पाकिस्तान का फन कुचलने की जरूरत

By मनोज झा | Feb 06, 2018

एक मां का 23 साल का इकलौता बेटा देश के लिए शहीद हो गया, मां ने ये कहकर कलेजे पर पत्थर रख लिया कि उसका बेटा देश के लिए काम आया। लेकिन सवाल है कि आखिर कब तक हम इस तरह जवान सैनिकों को खोते रहेंगे। आज देश राजौरी में एलओसी पर पाकिस्तान की ओर से हुई फायरिंग में कैप्टन कपिल कुंडू समेत 4 जवानों की शहादत का हिसाब मांग रहा है। देश की जनता सर्जिकल स्ट्राइक पर पीठ थपथपाने वाली मोदी सरकार से यही सवाल पूछ रही है कि पाकिस्तान को लेकर उसकी क्या नीति है। वैसे सेना हर समय पाकिस्तान को उसकी हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देती रही है लेकिन पाकिस्तान सुधरने का नाम नहीं ले रहा।

 

वैसे तो पाकिस्तान की ओर से हर दूसरे-तीसरे दिन सीजफायर का उल्लंघन होता है लेकिन उसका सबसे ज्यादा असर रविवार को देखने को मिला...जब पाक रेंजरों ने राजौरी और पुंछ में एलओसी पर भारतीय चौकियों को निशाना बनाकर एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल दागी। पाकिस्तान की ओर से हुई इस गोलीबारी में हमने एक कैप्टन समेत 4 जांबाज जवानों को हमेशा के लिए खो दिया। वैसे वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ शरत चंद ने पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात कही है.. लेकिन क्या इतने से पाकिस्तान शांत होकर बैठ जाएगा। हरगिज नहीं....पिछले साल 2017 में एलओसी पर भारत की जवाबी फायरिंग में पाकिस्तान अपने 138 सैनिकों को खो चुका है, लेकिन अपने सैंकड़ों जवानों के मारे जाने के बाद भी उसने कोई सबक नहीं सीखा।

 

पिछले साल पाकिस्तान ने 780 बार सीजफायर तोड़ा, 2016 में 228, 2015 में 152 और 2014 में 153 बार पाकिस्तान की ओर से सीजफायर का उल्लंघन हुआ। ये आंकड़ा साफ बताता है कि मोदी सरकार बनने के बाद पाकिस्तान की ओर से एलओसी पर फायरिंग में इजाफा हुआ है। कई लोग मानते हैं कि मोदी सरकार की आक्रामक नीति के चलते पाकिस्तान बौखलाहट में आकर इस तरह की हरकत कर रहा है।

जम्मू-कश्मीर में पिछले साल ऑपरेशन ऑलआउट के तहत सुरक्षाबलों ने 190 आतंकियों को मार गिराया...लेकिन अब भी पाकिस्तान की सरपरस्ती में घाटी में घुसपैठ की कोशिशें जारी हैं। घाटी में जहां सेना एक तरफ आतंकियों का सफाया करने में लगी है वहीं दूसरी तरफ पीडीपी-बीजेपी गठबंधन की सरकार पत्थरबाजों पर मेहरबान है। सेना पर पत्थरबाजी करने वालों पर महबूबा सरकार इस कदर मेहरबान हुई कि उसने सेना के काफिले पर पत्थर बरसाने वाले 9730 लोगों के खिलाफ केस वापस ले लिया। घाटी में अलगाववादियों को लेकर पीडीपी का रवैया सभी को पहले से मालूम है लेकिन हर कोई यही जानना चाहता है कि आखिर बीजेपी को क्या हो गया है? 

 

आखिर पाकिस्तान को लेकर मोदी सरकार की क्या नीति है? ये बात सच है कि आप पड़ोसी नहीं बदल सकते और ना ही युद्ध किसी समस्या का समाधान है...लेकिन जब आपका पड़ोसी पाकिस्तान हो तो फिर आपको कड़े फैसले लेने ही होंगे। पहले 1965, फिर 1971 और आखिर में 1999 में करगिल... इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान को हर बार मुंह की खानी पड़ी है। लेकिन सांप को मारने के बाद जब तक उसे पूरी तरह कुचला ना जाए उसके काटने का खतरा बना रहता है... हमें लगता है पाकिस्तान के साथ भी कुछ ऐसा ही सलूक करना होगा।

 

पाकिस्तान को लेकर हमने जितना संयम दिखाया है उतना शायद ही किसी देश ने दिखाया हो...दुनिया का हर देश अपनी रक्षा के लिए कड़े से कड़े कदम उठाता आया है...तो फिर हम क्यों चुप बैठें?

 

मनोज झा

(लेखक टीवी चैनल में वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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