Gyan Ganga: चाणक्य और चाणक्य नीति पर डालते हैं एक नजर, भाग-9

By आरएन तिवारी | Dec 07, 2024

चाणक्य कहते हैं----


भस्मना शुध्यते कांस्यं ताम्रमम्लेन शुध्यति ।

रजसा शुध्यते नारि नदी वेगेन शुध्यति ।।


अर्थ- राख से पीतल चमकता है, ताम्बा इमली से साफ़ होता है. औरतें प्रदर से शुद्ध होती हैं और नदी बहती रहे तो साफ़ रहती है। 


Meaning- Brass is polished by ashes; copper is cleaned by tamarind; a woman, by her menses; and a river by its flow.


नैव पश्यति जन्माधः कामान्धो नैव पश्यति ।

मदोन्मत्ता न पश्यन्ति अर्थी दोषं न पश्यति ।।

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जन्म से अंधा व्यक्ति देख नहीं सकता, वासना के अधीन रहने वाला भी देख नहीं सकता, अहंकारी व्यक्ति को कभी ऐसा नहीं लगता की वह कुछ बुरा कर रहा है। और जो पैसे के पीछे पड़े है उनको अपने कर्मो में कोई पाप दिखाई नहीं देता।


Meaning- Those born blind cannot see; similarly blind are those in the grip of lust. Proud men have no perception of evil; and those bent on acquiring riches see no sin in their actions.


स्वयं कर्म करोत्यत्मा स्वयं तत्फलमश्नुते ।

स्वयं भ्रमति संसारे स्वयं तस्माद्विमुच्यते ।।


जीवात्मा अपने कर्म के मार्ग से जाता है. और जो भी अच्छे बुरे कर्मों के परिणाम आते हैं उन्हें भोगता है. अपने ही कर्मो से वह संसार में बंधता है और अपने ही कर्मो से बन्धनों से छूटता है.


Meaning- The spirit soul goes through his own course of karma and he himself suffers the good and bad results thereby accrued. By his own actions he entangles himself in samsara, and by his own efforts he extricates himself.


लुब्धमर्थेन गृहिणीयात् स्तब्धमञ्जलिकर्मणा ।

मूर्खं छन्दानुवृत्या च यथार्थत्वेन पण्डितम् ।।

 

 लालची आदमी को कुछ देकर संतुष्ट करना चाहिए, एक कठोर आदमी को हाथ जोड़कर संतुष्ट करे, मूर्ख को सम्मान देकर संतुष्ट करे और विद्वान् आदमी को सच बोलकर संतुष्ट करना चाहिए। 


Meaning- Conciliate a covetous man by means of a gift, an obstinate man with folded hands in salutation, a fool by humouring him, and a learned man by truthful words.


कुराजराज्येन कुतः प्रजासुखं

कुमित्रमित्रेण कुतोऽभिनिर्वृतिः ।

कुदारदारैश्च कुतो गृहे रतिः

कुशिष्यमध्यापयतः कुतो यशः ।।


एक बेकार राज्य में लोग सुखी नहीं रह सकते, कैसे हो? एक पापी से किसी शान्ति की प्राप्ति नहीं रह हो सकती, एक बुरी पत्नी के साथ घर में सुख प्राप्त नहीं हो सकता है और एक नालायक शिष्य को शिक्षा देकर कीर्ति प्राप्त नहीं की जा सकती। 


Meaning- How can people be made happy in a petty kingdom? What peace can we expect from a rascal friend? What happiness can we have at home in the company of a bad wife? How can renown be gained by instructing an unworthy disciple?


सिंहादेकं वकादेकं शिक्षेच्चत्वारि कुक्कुटात् ।

वायसात्पञ्च शिक्षेच्चष्ट् शुनस्त्रीणिगर्दभात् ।।


शेर से एक बात सीखे. बगुले से एक, मुर्गे से चार, कौवे से पांच, कुत्ते से छह, और गधे से तीन,


Meaning- Learn one thing from a lion; one from a crane; four a cock; five from a crow; six from a dog; and three from an ass.


प्रभूतं कार्यमपि वा तन्नरः कर्तुमिच्छति ।

सर्वारम्भेण तत्कार्यं सिंहादेकं प्रचक्षते ।।


शेर से यह सीखे कि आप जो भी करना चाहते हैं उसमें अपना सम्पूर्ण प्रयास लगाकर मन से करना चाहिए। 


Meaning- The one excellent thing that can be learned from a lion is that whatever a man intends doing should be done by him with a whole-hearted and strenuous effort.


इन्द्रियाणि च संयम्य वकवत् पण्डितो नरः ।

देशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत् ।।


बुद्धिमान व्यक्ति अपने इन्द्रियों को बगुले की तरह वश में करते हुए अपने लक्ष्य को जगह, समय और योग्यता का पूरा ध्यान रखते हुए पूर्ण करे.


Meaning- The wise man should restrain his senses like the crane and accomplish his purpose with due knowledge of his place, time and ability.


प्रत्युत्थानञ्च युध्द्ञ्च संविभागञ्च बन्धुषु ।

स्वयमाक्रम्यभुक्तञ्चशिक्षेच्चत्वारिकुक्कुटात् ।।


अर्थ- मुर्गे से ये चार बाते सीखे...

१. सही समय पर उठे.

२. नीडर बने और लढ़े.

३. अपने भाई-बंधुओं में संपत्ति का बटवारा ठीक से करे.

४. अपने कष्ट से अपना रोजगार प्राप्त करे.


Meaning- To wake at the proper time; to take a bold stand and fight; to make a fair division (of property) among relations; and to earn one's own bread by personal exertion are the four excellent things to be learned from a cock.


गूढमैथुनचारित्वं काले काले च संग्रहम् ।

अप्रमत्तमविश्वासं पञ्च शिक्षेच्च वायसात् ।।


कौवे से ये पाँच बाते सीखे...

१. अपनी पत्नी के साथ एकांत में प्रणय करे.

२. नीडरता

३. उपयोगी वस्तुओ का संचय करे.

४. सदा सतर्क रहें .

५. दूसरो पर आसानी से विश्वास ना करे.


Meaning- Union in privacy (with one's wife); boldness; storing away useful items; watchfulness; and not easily trusting others; these five things are to be learned from a crow.


बह्वाशी स्वल्पसन्तुष्टः सनिद्रो लघुचेतनः ।

स्वामिभक्तश्च शूरश्च षडेतो श्वानतोगुणाः ।।


कुत्ते से ये बाते सीखे

१. बहुत भूख हो पर खाने को कुछ मिले या कम मिले तो भी संतोष करे.

२. गहरी नींद में हो तो भी तुरंत उठ जाए.

३. अपने स्वामी के प्रति बेहिचक इमानदारी रखे

४. निर्भय बना रहे। 


Meaning- Contentment with little or nothing to eat although one may have a great appetite; to awaken instantly although one may be in a deep slumber; unflinching devotion to the master; and bravery; these six qualities should be learned from the dog.


सुश्रान्तोऽपि वहेत भारं शीतोष्णं न च पश्यति ।

सन्तुष्टश्चरते नित्यं त्रीणि शिक्षेच्च गर्दभात् ।।२१।।


गधे से ये तीन बाते सीखे.

१. अपना बोझा ढोना न छोड़े.

२. सर्दी गर्मी की चिंता न करे.

३. सदा संतुष्ट रहे.


Meaning- Although an ass is tired, he continues to carry his burden; he is unmindful of cold and heat; and he is always contented; these three things should be learned from the ass.


शेष अगले प्रसंग में ------

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव ----------

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय । 


- आरएन तिवारी

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