चाणक्य कहते हैं----
नास्ति कामसमो व्याधिर्नास्ति मोहसमो रिपुः ।
नास्ति कोपसमो वहि नर्नास्ति ज्ञानात्परं सुखम् ।।
अर्थ- वासना के समान दुष्कर कोई रोग नहीं. मोह के समान कोई शत्रु नहीं। क्रोध के समान अग्नि नहीं। स्वरुप ज्ञान के समान कोई बोध नहीं।
Meaning- There is no disease (so destructive) as lust; no enemy like infatuation; no fire like wrath; and no happiness like spiritual knowledge.
जन्ममृत्युं हि यात्येको भुनक्त्येकं शुभाशुभम् ।
नरकेषु पतत्येक एको याति परां गतिम् ।।
अर्थ- व्यक्ति अकेले ही पैदा होता है। अकेले ही मरता है। अपने कर्मो के शुभ अशुभ परिणाम अकेले ही भोगता है। अकेले ही नरक में जाता है या सदगति प्राप्त करता है।
Meaning- A man is born alone and dies alone; and he experiences the good and bad consequences of his karma alone; and he goes alone to hell or the Supreme abode.
तृणं ब्रह्मविदः स्वर्गस्तृणं शूरस्य जीवितम् ।
जिताक्षस्य तृणं नारी निःस्पृहस्य तृणं जगत् ।।
अर्थ- जिसने अपने स्वरुप को जान लिया उसके लिए स्वर्ग तो तिनके के समान है। एक पराक्रमी योद्धा अपने जीवन को तुच्छ मानता है। जिसने अपनी कामना को जीत लिया उसके लिए स्त्री भोग का विषय नहीं। उसके लिए सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड तुच्छ है जिसके मन में कोई आसक्ति नहीं।
Meaning- Heaven is but a straw to him who knows spiritual life (Krsna consciousness); so is life to a valiant man; a woman to him who has subdued his senses; and the universe to him who is without attachment for the world.
विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्रं गृहेषु च ।
व्यधितस्यौषधं मित्रं धर्मो मित्रं मृतस्य च ।।
अर्थ- जब आप सफ़र पर जाते हो तो विद्यार्जन ही आपका मित्र है। घर में पत्नी मित्र है। बीमार होने पर दवा मित्र है। अर्जित पुण्य मृत्यु के बाद एकमात्र मित्र है।
Meaning- Learning is a friend on the journey; a wife in the house; medicine in sickness; and religious merit is the only friend after death.
वृथा वृष्टिस्समुद्रेषु वृथा तृप्तेषु भोजनम् ।
वृथा दानं धनाढ्येषु वृथा दीपोऽदीवाऽपि च ।।
अर्थ- समुद्र में होने वाली वर्षा व्यर्थ है। जिसका पेट भरा हुआ है उसके लिए अन्न व्यर्थ है। पैसे वाले आदमी के लिए भेट वस्तु का कोई अर्थ नहीं। दिन के समय जलता दिया व्यर्थ है।
Meaning- Rain which falls upon the sea is useless; so is food for one who is satiated; in vain is a gift for one who is wealthy; and a burning lamp during the daytime is useless.
नास्ति मेघसमं तोयं नास्ति चात्मसमं बलम् ।
नास्तिचक्षुः समं तेजो नास्ति धान्यसमं प्रियम् ।।
अर्थ- वर्षा के जल के समान कोई जल नहीं। खुदकी शक्ति के समान कोई शक्ति नहीं। नेत्र ज्योति के समान कोई प्रकाश नहीं. अन्न से बढ़कर कोई संपत्ति नहीं।
Meaning- There is no water like rainwater; no strength like one's own; no light like that of the eyes; and no wealth more dear than food grain.
अधना धनमिच्छन्ति वाचं चैव चतुष्पदः ।
मानवाः स्वर्गमिच्छन्ति मोक्षमिच्छन्तिदेवताः ।।
अर्थ- निर्धन को धन की कामना। पशु को वाणी की कामना। लोगो को स्वर्ग की कामना। देव लोगो को मुक्ति की कामना।
Meaning- The poor wish for wealth; animals for the faculty of speech; men wish for heaven; and godly persons for liberation.
स्त्येन धार्यते पृथ्वी स्त्येन तपते रविः ।
स्त्येन वाति वायुश्च सर्वं सत्ये प्रतिष्ठितम् ।।
अर्थ- सत्य की शक्ति ही इस दुनिया को धारण करती है। सत्य की शक्ति से ही सूर्य प्रकाशमान है, हवाए चलती है, सही में सब कुछ सत्य पर आश्रित है।
Meaning- The earth is supported by the power of truth; it is the power of truth that makes the sunshine and the winds blow; indeed all things rest upon truth.
चला लक्ष्मीश्चलाः प्राणश्चले जीवितमन्दिरे ।
चलाऽचले च संसारे धर्म एको हि निश्चलः ।।
अर्थ- लक्ष्मी जो संपत्ति की देवता है, वह चंचला है। हमारी श्वास भी चंचला है। हम कितना समय जियेंगे इसका कोई ठिकाना नहीं। हम कहा रहेंगे यह भी पक्का नहीं। कोई बात यहाँ पर पक्की है तो यह है की हमारा अर्जित पुण्य कितना है।
Meaning- The Goddess of wealth is unsteady (chanchala), and so is the life breath. The duration of life is uncertain, and the place of habitation is uncertain; but in all this inconsistent world religious merit alone is immovable.
नराणां नापितो धूर्तः पक्षिणां चैव वायसः ।
चतुष्पदां श्रृगालस्तु स्त्रीणां धुर्ता च मालिनी ।।
अर्थ- आदमियों में नाई सबसे धूर्त है। कौवा पक्षीयों में धूर्त है। लोमड़ी प्राणीयो में धूर्त है। औरतो में लम्पट औरत सबसे धूर्त है।
Meaning- Among men the barber is cunning; among birds the crow; among beasts the jackal; and among women, the malin (flower girl).
जनिता चोपनेता च यस्तु विद्यां प्रयच्छति ।
अन्नदाता भयत्राता पञ्चैते पितरः स्मृताः ।।
अर्थ- ये सब आपके पिता है...
1. जिसने आपको जन्म दिया.
2. जिसने आपका यज्ञोपवित संस्कार किया.
3. जिसने आपको पढाया.
4. जिसने आपको भोजन दिया.
5. जिसने आपको भयपूर्ण परिस्थितियों में बचाया.
शेष अगले प्रसंग में ------
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव ----------
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।
- आरएन तिवारी