डॉ राकेश वर्मा से जानें , कोविड की दूसरी लहर में दिल और दिमाग को कैसे रखें स्वस्थ

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 23, 2021

पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास द्वारा ग्यारहवीं स्वास्थ्य परिचर्चा का आयोजन किया गया। हेल्थ वेबिनार में देश के प्रख्यात सफ़दरजंग हॉस्पिटल नई दिल्ली के वरिष्ठ चिकित्सक  डॉ. (प्रो.) राकेश कुमार वर्मा (विभागाध्यक्ष,  ह्रदय रोग  विभाग एवं पूर्व प्रधानमंत्री के चिकित्सक)  ने कोविड की दूसरी लहर में हृदय रोग, डायबिटीज और लिवर से जुड़ी बीमारियों से बचाव व उपचार के विषय में महत्वपूर्ण जानकारिया दी।माइक्रोसॉफ्ट टीम सॉफ़्टवेयर के जरिए हुए हेल्थ वेबिनार में डॉ राकेश वर्मा जी ने बड़ी बेबाक़ी से सरल सहज भावों से लोगों के प्रश्न का उत्तर दिया। डेढ़ घंटे तक चली इस परिचर्चा में ह्रदय रोग, कोरोना, दवाइयों, टीकाकरण पर सभी प्रश्नों के उत्तर दिये गये ।आज की इस परिचर्चा में 382 प्रश्न प्राप्त हुये थे, जिनके उत्तर डॉ. वर्मा जी ने सरलता व समझाइस के साथ दिये। कुल 2874 मोबाइल फ़ोन/ लैपटॉप/ आईपैड/ टीवी स्क्रीन पर 6712 लोगों ने इसका लाभ उठाया ।देश विदेश की अनेक बड़ी हस्तियों ने व छोटे गॉंव के छोर पर रहने वालों ने सहभागिता करके लाभ उठाया।


पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास द्वारा आयोजित इस परिचर्चा का लोगों ने बेसब्री से इंतज़ार किया।यह परिचर्चा सेवा न्यास के यूट्यूब चैनल पर प्रसारित कर दी गई है। अगली परिचर्चा रविवार 23 अप्रैल 2021 को सायं सात बजे नये विषय पर देश के ख्यातिलब्ध चिकित्सा विशेषज्ञ के साथ होगी। न्यास की सचिव श्रीमती आशा रावत ने अंत में सभी का आभार व्यक्त किया।


डॉ राकेश वर्मा ने चर्चा की शुरुआत करते हुए बताया कि कोविड एक इतना सूक्ष्म विषाणु है, जो आंखों से ही नहीं साधारण माइक्रोस्कोप से भी नहीं देखा जा सकता, इसे देखने के लिए आपको इलेक्ट्रोन माइक्रोस्कोप की आवश्यकता पड़ती है।  यह माइक्रोस्कोप किसी भी सूक्ष्म वस्तु को दस लाख गुना बड़ा बड़े आकार में देखने योग्य बनाता है। कोविड-19 या किसी भी वायरस को समझने के लिए उसकी संरचना को समझना होगा। किसी भी वायरस के केंद्र में प्रोटीन और उस प्रोटीन के चारो तरफ  वसा का कवच होता है। इसी वसा  की परत को हमारा शरीर या कहें शरीर की कोशिकाएं भेद नहीं पाती हैं। लेकिन जैसे ही अल्कोहल या साबुन का आप इस्तेमाल करते हैं तो कोविड वायरस हाँथ के माध्यम से यदि आ रहा है तो धुलते ही नष्ट हो जाता है।एक कहावत आपने सुनी होगी।गिरगिट की तरह रंग बदलना। कोविड -19 जो कि विदेश से भारत में आया, वह भी बहुत जल्द अपनी संरचना बदल लेता है। 

इस अवसर पर प्रोफेसर डॉ श्री राकेश वर्मा जी से पूछे गए प्रश्न व उनके उत्तर:


विनोद रावत: इस वक्त देश में डर का वातावरण है। ऑक्सीजन, इंजेक्शन बेड की कमी के समाचार नकारात्मक वातावरण बना रहे हैं।


डॉ. राकेश वर्मा :  मैं पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास द्वारा आयोजित इस स्वास्थ्य परिचर्चा के माध्यम से सभी दर्शकों को यह आश्वस्त करना चाहता हूँ कि देश में किसी भी चीज़ की कोई कमी नहीं है। न ऑक्सीजन की, न इंजेक्शन न बेड और अन्य किसी भी संसाधन की। दरसअल कुछ प्राइवेट हॉस्पिटल ने ऑक्सीजन या रेमेडेसिविर इंजेक्शन का जरूरत से ज्यादा स्टॉक कर लिया, इस कारण कुछ समस्या आई। ठीक इसी तरह मीडिया के कई संस्थान सकारात्मक कार्य करते हैं, किन्तु कुछ ने नकारात्मक खबर अधिक दिखाई जिससे लोगों को ऐसा लग रहा है। कुछ एक हॉस्पिटल में कुछ मरीज़ों की मृत्यु हुई है, हम सभी को दुःख है, सरकार ने दुःख प्रगट किया। किन्तु हर दिन हज़ारों लोग स्वस्थ होकर घर लौट रहे हैं लेकिन उनकी कोई चर्चा नहीं। 


दीपन वर्मा (नौगांव)

क्या कोविड- 19 भी टी बी की तरह स्थायी रूप से या लंबे समय तक रहने वाला है?

 

डॉ. राकेश वर्मा: यह एक नई बीमारी है। वर्ष भर पहले इसके बारे में किसी को कुछ नही पता था। पिछले साल नवंबर-दिसंबर में लगा इससे सभी को निजात मिल जाएगी। लेकिन यह लगातार अपना स्वरूप बदल रहा है। इसलिए फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता कि यह कब तक रहेगा। टी. बी. से इसकी तुलना नहीं की जा सकती। टी.बी. से कोविड-19 कहीं अधिक व्यापक संक्रमण फैलाता है। टी.बी. के मरीज की एक दिन या सप्ताह भर या महीने भर मे मृत्यु नहीं होती थी। अब टी.बी. को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया गया है । भगवान न करे की टी.बी. भी किसी को हो, लेकिन इसमें समान्यतः सात-आठ माह बाद मृत्यु जैसी स्थिति सामने आती थी। कोविड-19 की बीमारी ज्वार-भाटे की तरह ही आती है, और उसी तरह ख़त्म भी होती है।


प्रो.आरके जैन : मैंने दो बार एंजियोप्लास्टी करवाई है, कोविड-19 के दौर में क्या सावधानियां रखनी चाहिए?


डॉ राकेश वर्मा : हार्ट चूंकि शरीर को ऊर्जा या कहें रक्त संचार करने वाला केंद्र है। इसलिए यदि जिन भी व्यक्ति को ह्रदय से जुड़ी कोई बीमारी है, उन्हें विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। बल्कि जिस भी व्यक्ति को कोई भी बीमारी हो फिर चाहे वह सुगर या डायबिटीज हो, उन्हें  स्वाभाविक रूप से अधिक एहतियात बरतने की आवश्यकता है। चूंकि कोविड-19 रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की स्थिति में कहीं अधिक खतरनाक या असर डालता है।


रजनीश ( पदुचेरी): मेरा ब्लड प्रेशर व पल्स बढ़ी रहती है। क्या करना चाहिए?

 

डॉ राकेश वर्मा : जिस पर्यावरण व प्रकृति के निकट आप रह रहे हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। हाँ, एक काम तत्काल करें, खाने में नमक का प्रयोग  बिल्कुल कम करें। योग आदि करें। सब ठीक हो जाएगा। ऊपर ब्लड प्रेशर 150 से अधिक और नीचे 100 से अधिक होने पर तत्काल नजदीकी चिकित्सक को दिखाएं।


विनीत रावत : कोरोना के संक्रमण में कहा जाता है कि फेफड़े सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।कैसे बचें?

 

डॉ राकेश वर्मा : कोरोना से शरीर का हर अंग सिर से लेकर नाखून तक प्रभावित होता है। किन्तु कोविड-19 चूंकि नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है, इसलिए नाक, गले और फिर फेफड़े शुरुआत में ही प्रभावित होते हैं। फेफड़े कितने प्रभावित हुए हैं, कितने मात्रा में संक्रमण हुआ है, उसके आधार पर स्कोरिंग होती है। लेकिन यह फेफड़े में संक्रमण का स्कोर देखना मरीज का नहीं डॉक्टर का काम है। अधिक स्कोर भी कई बार चिंता का कारण नहीं होता, कम स्कोर के बावजूद चिन्तजनक स्थिति बन जाती है। मरीज को सिर्फ डॉक्टर के बताए सुझाव को मानना चाहिए। सौ में से एक मरीज को ही वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है।


मंजू सजय शाह (सतना) : पहले दिन से भाप इतना अधिक ले ली और काढ़ा पी लिया, इसका बुरा असर तो नहीं।


 डॉ राकेश वर्मा :  मैं आपके इस प्रश्न के लिए साधुवाद देता हूँ।हमारे देश में अफवाह सुनना और फैलाना बहुत अच्छा लगता है। ऐसी किसी भी बात को न सुनें। गरारा करना, काढ़ा पीना और भाप लेना अत्यंत कारगर है। 


प्रो राजेन्द्र त्रिपाठी : पत्नी की एंजियोप्लास्टी हुई है, एम्स में ईलाज के लिए जाना पड़ता है। क्या करें?


डॉ. राकेश वर्मा : प्रो. साहब पत्नी के भक्त हैं। पत्नी को परमेश्वर मानकर उनकी सेवा करें। आजकल सभी डॉक्टर्स ऑनलाइन सेवाएं देना प्रारंभ कर दिये है। आप आवश्यकता पड़ने पर उनसे परामर्श ले सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर न्यास के सहयोग से मुझसे सम्पर्क कर सकते हैं।


विवेक श्रीवास्तव  इंदौर : कोविड से डिस्चार्ज होकर घर आ गए हैं, बच्चे को कैसे आइसोलेट करें? 


 डॉ राकेश वर्मा : देखिए यहां मैं थोड़ा अलग विषय पर बात करना चाहूंगा। आज ऐसी समस्याएं एकल परिवार के कारण हो रही हैं। मैं यह बात विवेक जी के संदर्भ में नहीं कह रहा हूँ। बच्चे को नाना-नानी, दादा-दादी, भाई-बहन ऐसे लोगों के यहां रखें जिनका प्यार मिलना बच्चों के लिए भी बहुत जरूरी है।

 

ओमप्रकाश लिटौरिया (दिल्ली) : पत्नी की ऑक्सीजन 75-80 के लेवल पर है। क्या करूँ?


डॉ राकेश वर्मा  आप उदास न हों। इसका संबन्ध बुखार से होने पर चिंता होती है। पेट के बल लेटें। तत्काल ऑक्सीजन दस डिग्री बढ़ जाएगी। छोटे रुमाल में कपूर और लौंग हल्की मात्रा में डालकर सूंघें। कुछ ऑक्सीजन इससे भी बढ़ेगी।


हरदयाल कुशवाहा नौगांव (मध्यप्रदेश) : पिता जी गांव में रहते हैं, सांस में तकलीफ रहती है। हालांकि गंभीर स्थिति नहीं है। लोग कहते हैं मेदांता जाइए, दिल्ली, मुम्बई जाइए। क्या करूँ?


डॉ राकेश वर्मा:  बहुत ही सुंदर सवाल। मैं इसे आज की परिचर्चा का सबसे बढ़िया सवाल करार देता हूँ। अपने नजदीकी सरकारी हॉस्पिटल जाइए, आजकल हर जगह 100-50 किमी की दूरी पर तमाम चिकित्सा व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं। इसलिए कहीं  भोपाल, दिल्ली, मुम्बई भागने की जरूरत नहीं है।


श्रीराम रिछारिया धवर्रा: टीवी में कोरोना की खबरें देखकर लग रहा है ,मानसिक रोगी हो जाऊंगा, क्या अभी पीक टाइम आना शेष है।


डॉ राकेश वर्मा : जिंदगी में सभी के साथ उतार-चढ़ाव आता है। नकारात्मक बातों से दूर रहें और रिश्ते व परिजनों को महत्व दें, उनसे सँवाद करें। मुझे नहीं लगता हम जिस देश के नागरिक हैं वहां मानसिक विकार की भी कोई समस्या होनी चाहिए। सत्संग अवश्य करिये! कोरोना संकट अभी साल-डेढ़ साल से पहले खत्म हो जाएगा, ऐसा फिलहाल मुझे नहीं लगता।

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