हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक रहा है Kumbh Mela, मानवता की सेवा के लिए लोग लेते हैं भाग

By Anoop Prajapati | Jul 23, 2024

भारत में गंगा-जमुनी तहजीब हमेशा से ही देश की एकता और आपसी भाईचारे की पहचान रही है। जिसे देश में मनाये जाने वाले हर दूसरे त्यौहार में महसूस भी किया जा सकता है। कुंभ जैसे बड़े मेले में यह एकता और भी अधिक गहरी हो जाती है। हिंदुओं की आस्था के सबसे बड़े प्रतीक कुंभ में मुस्लिम समाज के लोग बढ़-चढ़कर सेवादार का कार्य करते हैं। देश में इसकी मिसाल और भी गहरी जब होती है जब देश को पता चलता है कि हिंदू धर्म में जन्म लेकर एक किन्नर मुस्लिम धर्म अपनाकर हज भी जाती है। और कुछ दिनों बाद वापस से हिंदु धर्म में लौटकर अखाड़े में हैं महामंडलेश्वर भी बनती है।


धर्मनगरी हरिद्वार में हुए कुंभ मेला के दौरान मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने अखाड़े की पेशवाई में शामिल साधु-संतों पर फूलों की वर्षा कर उनका स्वागत किया था। स्वागत करने वालों ने रास्ते पर पानी का स्टॉल लगाकर भी सामाजिक सौहार्द का परिचय दिया। मुस्लिम समाज के लोगों ने जिस तरह से अखाड़ा की पेशवाई के स्वागत की पहल की, लोगों ने उसकी खासी सराहना की। कुंभ में आशीर्वाद की चाह में पहुंचे लोगों को वहां से निराश होकर नही लौटना पड़ता है। अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नरायण त्रिपाठी बड़ी सहजता से लोगों से मिलती हैं। 


इसी अखाड़े में दूसरी प्रमुख हैं चिरपी भवानी। 1992 में जन्मी चिरपी के परिजनों को 2005 में पता चला कि चिरपी ट्रांसजेंडर यानि किन्नर है तो परिवार के लोगों को बेइज्जती महसूस होने लगी। भवानी को स्कूल से भी निकाल दिया गया। इससे व्यथित होकर चिरपी भवानी ने 1 साल बाद यानि 14 वर्ष की उम्र में घर-परिवार छोड़ दिया। समाज के ताने से परेशान चिरपी ने 2007 में अपना धर्म त्यागकर इस्लाम अपना लिया और अपना नाम शबनम नाम रख लिया। इस्लाम अपनाने के बाद वह किन्नर समाज का हिस्सा बन गई। इसके बाद वह दिल्ली में लोगों के घर जाकर नाच-गाना करने लगी। जो पैसा मिलता उसी में गुजारा करती। 


इस्लाम अपनाने के बाद उन्होंने उसी धर्म का पालन किया। नमाज पढ़ा, रोजा रखा और 2012 में हज भी किया। 2015 में उज्जैन कुंभ के 1 साल पहले भवानी ने किन्नर अखाड़ा बनाने की सोची। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने एक झटके में इसे 14वें अखाड़े के रूप में मान्यता देने से मना कर दिया। 2017 आते-आते किन्नर अखाड़े को पहचान मिली (मान्यता नहीं)। और फिर चिरपी भवानी उत्तर भारत की महामंडलेश्वर बनीं। चिरपी भवानी अब भवानी मां के रूप में हैं। वह एकमात्र ऐसी महामंडलेश्वर हैं जिन्होंने हज यात्रा किया है। धार्मिक समागम के रूप में स्थापित इस कुंभ की विविधता का एक रंग यह भी है।


तो वहीं दूसरी ओर, 2019 के कुंभ मेले से पहले प्रयागराज में मुसलमानों ने विभिन्न मस्जिदों के कुछ हिस्सों को ध्वस्त कर दिया था। जो सुचारू विकास गतिविधियों को सुनिश्चित करने के लिए सरकारी भूमि पर बनाए गए थे। इस दौरान उन्होंने बताया था कि सरकारी जमीन पर बने खंडों को ध्वस्त कर दिया गया है। सरकार कुंभ मेले से पहले सड़कों को चौड़ा कर रही है और हम इसका समर्थन करते हैं। हमने यह अपनी इच्छा से किया है।

प्रमुख खबरें

PUBG फीचर का इस्तेमाल करके पाकिस्तान में कैसे आतंकियों ने पुलिस स्टेशन को बनाया निशाना, सुरक्षा एजेंसियों के उड़े होश

अचानक ही नीतीश कुमार की पार्टी ने बुला ली नेताओं की बड़ी बैठक, क्या बिहार में कुछ बड़ा होने वाला है?

हैरिस-बाइडेन पर कोई कोशिश भी नहीं कर रहा, ट्रंप पर हुए दूसरे अटैक के बाद एलन मस्क का विवादित बयान

Korean Skin Care Tips: कोरियन जैसी ग्लास स्किन पाने के लिए, फॉलों करें ये रुटीन