स्प्लिट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर एक मानसिक विकार है, जिसमें एक व्यक्ति का असल व्यक्तित्व पहचान पाना बेहद मुश्किल होता है, क्योंकि एक ही व्यक्ति में दो या उससे अधिक विशिष्ट पर्सनैलिटीज हो सकती हैं। हर व्यक्तित्व के विचार, कार्य और व्यवहार पूरी तरह से अलग हो सकते हैं। कई बार ऐसा होता है कि बचपन में व्यक्ति किसी ट्रॉमा से गुजरता है, जिससे कारण मन ही मन उसके भीतर कई पर्सनैलिटीज जन्म लेनी लगती हैं। इस मानसिक समस्या का कोई परिभाषित इलाज नहीं है, लेकिन लॉन्ग टर्म ट्रीटमेंट से उन्हें सभी व्यक्तित्व को मिलाकर एक बनाने में मदद मिलती है। तो चलिए आज हम आपको इस मानसिक समस्या के बारे में विस्तापूर्वक बता रहे हैं−
क्या है स्प्लिट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर
मनोचिकित्सक बताते हैं कि स्प्लिट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर को डीआईडी अर्थात् डाइजैक्टिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर भी कहा जाता है। यह एक ऐसी मानसिक समस्या है, जिसमें एक ही व्यक्ति दो या उससे भी ज्यादा अलग−अलग व्यक्तित्व होने की स्थिति महसूस कर सकता है। यह अलग−अलग व्यक्तित्व कुछ समय के लिए व्यक्ति की वास्तविक आइडेंटिटी को कुछ समय के लिए नियंत्रित कर सकते हैं।
कारण
मनोचिकित्सकों के अनुसार स्प्लिट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का एक सटीक कारण आज तक ज्ञात नहीं है, लेकिन इसे व्यक्ति की कंडीशन और ट्रॉमा से जोड़कर देखा जाता है। हो सकता है कि व्यक्ति को अपने बचपन में किसी एब्यूज या ट्रॉमा का सामना करना पड़ा हो और उस ट्रॉमा की उसके मन−मस्तिष्क पर बेहद गहरी छाप पड़ी हो। अमूमन इस स्थिति से बचने या उसे नजरअंदाज करने के लिए व्यक्ति एक अलग व्यक्तित्व डेवलप करने लगता है। जिसके कारण वह अनजाने ही स्प्लिट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर को विकसित कर सकता है।
पहचानें लक्षण
इस मानसिक समस्या की पहचान व्यक्ति के भीतर आए बदलावों से की जा सकती है। दरअसल, स्प्लिट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से पीडि़त व्यक्ति के सभी व्यक्तित्व एक−दूसरे से काफी अलग होते हैं, ऐसे में व्यक्ति के व्यवहार में आए बदलाव के आधार पर स्प्लिट पर्सनैलिटी को पहचाना जा सकता है। इतना ही नहीं, जब व्यक्ति एक पर्सनैलिटी से दूसरे में शिफ्ट होता है, तब उसे पहले की गई गतिविधियों व बातों के बारे में कुछ भी याद नहीं रहता।
मिताली जैन