इन कारणों से होता है फैटी लिवर, नहीं संभले तो होगी बड़ी दिक्कत

By मिताली जैन | Oct 22, 2020

फैटी लिवर जिसे हेपेटिक स्टीटोसिस के नाम से भी जाता है, यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें जिगर में वसा का निर्माण होता है। लिवर में कम मात्रा में वसा का होना सामान्य है, लेकिन बहुत अधिक एक स्वास्थ्य समस्या बन सकती है। आपका जिगर आपके शरीर का दूसरा सबसे बड़ा अंग है। यह भोजन और पेय से पोषक तत्वों को संसाधित करने में मदद करता है और आपके रक्त से हानिकारक पदार्थों को फि़ल्टर करता है। आपके जिगर में बहुत अधिक वसा यकृत की सूजन का कारण बन सकती है, जो आपके जिगर को नुकसान पहुंचा सकती है और स्कारिंग पैदा कर सकती है। गंभीर मामलों में, यह निशान जिगर की विफलता का कारण बन सकता है। जब फैटी लिवर किसी ऐसे व्यक्ति में विकसित होता है जो बहुत अधिक शराब पीता है, तो इसे एल्कोहल फैटी लिवर डिजीज के रूप में जाना जाता है। जो कोई बहुत अधिक शराब नहीं पीता है, उसे नॉन−अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के रूप में जाना जाता है। तो चलिए आज हम आपको फैटी लिवर के कारण और उसके रिस्क फैक्टर के बारे में बता रहे हैं−

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फैटी लिवर के कारण

हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि फैटी लिवर तब विकसित होता है, जब आपका शरीर बहुत अधिक वसा का उत्पादन करता है या फिर वह पर्याप्त रूप से वसा का चयापचय नहीं करता है। अतिरिक्त वसा यकृत कोशिकाओं में जमा होती है, जहां यह जमा होती है और फैटी लिवर रोग का कारण बनती है। वसा का यह निर्माण विभिन्न प्रकार की चीजों के कारण हो सकता है। उदाहरण के लिए, बहुत अधिक शराब पीने से शराबी फैटी लीवर की बीमारी हो सकती है। यह शराब से संबंधित यकृत रोग का पहला चरण है। जो लोग बहुत अधिक शराब नहीं पीते हैं, उनमें फैटी लिवर की बीमारी के कई कारण हो सकते हैं। जैसे− मोटापा, उच्च रक्त शर्करा, इंसुलिन प्रतिरोध, आपके रक्त में वसा का उच्च स्तर, विशेष रूप से ट्राइग्लिसराइड्स, गर्भावस्था, तेजी से वजन कम होना, कुछ प्रकार के संक्रमण, जैसे हेपेटाइटिस सी या कुछ प्रकार की दवाओं से साइड इफेक्ट्स, जैसे मेथोट्रेक्सेट (ट्रेक्साल), टैमोक्सीफेन (नॉलवाडेक्स), अमियोडोरोन (पैकरोन), और वैल्प्रोइक एसिड (डेपकोट) आदि भी फैटी लिवर का कारण बनते हैं। इसके अलावा, कुछ जीन भी फैटी लिवर के विकास के आपके जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

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फैटी लिवर हो सकता है घातक

हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि फैटी लिवर की बीमारी सेहत के लिए बेहद घातक हो सकता है। इससे लिवर की कोशिकाओं में सूजन हो सकती है। इसके कारण व्यक्ति को अन्य कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मसलन, इससे लिवर कैंसर हो सकता है। कई बार तो लास्ट स्टेज में लिवर फेल हो जाता है और काम करना बंद कर देता है। हालांकि यह स्थिति बेहद कम मरीजों में देखी जाती है और ऐसे में लिवर टांसप्लांट करने की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा सिरोसिस, भ्रम, उनींदापन और बोलते हुए अटकना भी इस दौरान देखा जाता है।


मिताली जैन

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